ज़रा हटके
05-Aug-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। औषधीय पौधा अश्वगंधा न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी मानी जाती है। इसके वैज्ञानिक नाम विथानिया सोमनीफेरा वाली इस झाड़ी के सफेद फूल और लाल-नारंगी फल होते हैं, जबकि इसकी जड़ से घोड़े जैसी गंध आने के कारण इसे ‘अश्वगंधा’ नाम दिया गया। यह औषधीय पौधा भारत, मध्य पूर्व और अफ्रीका में पाया जाता है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, अश्वगंधा तनाव को कम करने, शरीर में ऊर्जा बढ़ाने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में प्रभावी है। यह चूर्ण रूप में उपलब्ध होती है और आयुर्वेदाचार्यों द्वारा वर्षों से इसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के रूप में किया जा रहा है। आयुर्वेद विशेषज्ञ मानते हैं कि अश्वगंधा का नियमित सेवन मानसिक शांति, रोग प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक बल को बढ़ाता है। इसे मधुमेह नियंत्रण, पाचन सुधार और हड्डियों को मजबूत करने के लिए भी उपयोगी बताया गया है। गले की खराश से राहत देने और सर्दी-जुकाम से बचाव में भी यह असरदार है। विशेषज्ञों की सलाह है कि अश्वगंधा चूर्ण को दूध के साथ लेने से इसके गुण और प्रभावी हो जाते हैं। इसमें स्वाद बढ़ाने के लिए गुड़ या शहद भी मिलाया जा सकता है। बदलते मौसम में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अश्वगंधा, तुलसी और अदरक को पानी में उबालकर हर्बल चाय के रूप में पीने की भी सलाह दी जाती है। यह न केवल सर्दी-जुकाम से राहत देता है, बल्कि तनाव भी दूर करता है। हालांकि, किसी भी आयुर्वेदिक औषधि की तरह अश्वगंधा का भी सेवन बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं करना चाहिए। सही मात्रा और तरीका अपनाने पर यह औषधि स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित हो सकती है। सुदामा/ईएमएस 05 अगस्त 2025