लेख
06-Aug-2025
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मध्यप्रदेश में आपका स्वागत है। कभी आप इसे बीमारु राज्य के रुप में जानते रहे होंगे लेकिन आज यह विकास का रोल मॉडल बना हुआ है। बुनियादी सुविधाओं से लबरेज मध्यप्रदेश के विकास की यह कहानी दो दशक पहले आरम्भ हुयी थी। प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव हैं जो अपने प्रदेश से अत्याधिक लगाव रखते हैं। उनके नेतृत्व में यह प्रदेश विकास के पथ पर निरंतर अग्रसर है। सड़क, पानी, स्कूल, स्वास्थ्य के साथ ही घटाघोप अंधेरे में रहने वाले मध्यप्रदेश के सैकड़ों गांव अब रोशन हो चुकें हैं। मोहन यादव सरकार बिजली की उपलब्धता को दिनोंदिन बढ़ाने के लिये सारे जतन कर रही है। शहर ही नहीं बल्कि गांवों को भी प्राथमिकता के आधार पर भरपूर रोशन किया जा रहा है। याद करें वह दिन, जब बिजली कटौती होती थी तो पूरा प्रदेश अंधेरें के साये में डूब जाता था। लेकिन यह सरकार बिजली उत्पादन के क्षेत्र में अन्य राज्यों के लिये नजीर बन गयी है। एक तरफ जहाँ विध्यालयों को पढ़ने के लिए भरपूर बिजली मिल रही है वहीं किसानों के खेतों में पानी पहुँचाने के लिए बिजली की कोई कमी नहीं है। प्रसंगवश बता दें कि अटल ज्योति अभियान ने मध्यप्रदेश को सरप्लस बिजली वाला प्रदेश बना दिया है। वर्तमान में जब बिजली की कमी को पूरा करते हुए जिन परियोजनाओं पर काम चल रहा है उससे यह कहने में संकोच नहीं है, सन 2028 के आते आते इतनी अधिक मात्रा में आवश्यकता के अनुरूप बिजली उत्पन्न होने लगेगी कि राज्य स्थायी रूप से बिजली संकट से मुक्त हो जायेगा। देश में छह बड़े राज्य ऐसे हैं जो सर्वार्धिक बिजली उत्पादन कर रहें हैं, संतोष की बात है कि उन राज्यों की श्रेणी में मध्यप्रदेश भी शुमार हो चुका है। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश सरप्लस पॉवर स्टेट बन चुका है। यहां शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अब बिजली नहीं जाती। इसे मध्यप्रदेश सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जायेगा, इसमें कोई संशय नहीं है। हालांकि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली अपेक्षानुरूप नहीं पहुँच पाती है इसकी जानकारी अक्सर प्रशासन तक पहुँचती है लेकिन उन क्षेत्रों में बिजली उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने हर तरह के प्रयास शुरू किये हंै। मध्यप्रदेश में आई टी के माध्यम से जहां एक ओर बड़े बड़े पूँजी निवेशकों को आकर्षित करने में सरकार सफल रही है वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों को बड़े शहरों से जोड़ने में उसे सफलता मिल रही है। कहना गलत न होगा कि प्रदेश की अन्य बुनियादी समस्याओं के साथ - साथ बिजली संकट से जूझना चुनौतीपूर्ण काम होता है लेकिन प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने अपनी सूझबूझ और तर्कसंगत फैसलों के कारण बिजली संकट को अपने शब्दकोश से ही हटा दिया है। गरीब और मध्यम वर्ग को सस्ती तथा निम्न दर पर बिजली उपलब्ध करवाकर कीर्तिमान रचने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के शब्दों में श्श्अंधेरे का युग वर्षो पहले समाप्त हो चुका है। मध्यप्रदेश अब ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। किसान भाईयों, शहरी नागरिकों और औधोगिक इकाईयों को भरपूर बिजली दी जा रही है।श्श् यहाँ बता दें कि प्रदेश में बिजली उपयुक्त और कम दरों पर मिलने से सबसे ज्यादा किसान खुश हैं। अत्यधिक वर्षा तथा सूखे की विपदाओं से गुजरने वाला किसान कम से कम बिजली की चिंता से मुक्त हो चुका है। मध्यप्रदेश बिजली बोर्ड का गठन 1 दिसम्बर 1950 को हुआ और 1952 में इसने काम करना शुरू किया था। इसके बाद प्रदेश का विभाजन हुआ और बिजली के कुशल प्रबंधन के लिये राज्य विद्युत बोर्ड को सन् 2002 में पुर्नगठित कर दिया गया। जुलाई 2002 में बिजली उत्पादन एवं वितरण के लिये तीन विधुत कम्पनियों की स्थापना की गयी। मध्यप्रदेश में कई विधुत संयंत्र स्थापित किये गये जिनमें थर्मल पावर प्लांट, जल विधुत संयंत्र और परमाणु ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं। कुछ प्रमुख विधुत संयंत्रों में अमरकंटक, संजय गांधी, सतपुड़ा और सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट शामिल हैं। मध्यप्रदेश में बिजली से संबंधित कई योजनायें चल रही हैं, जिनमें अटल गृह ज्योति योजना और पी एम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना शामिल है। अटल गृह ज्योति योजना का उददेश्य कम ऊर्जा खपत वाले घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली बिलों में सब्सिडी देना है। जबकि पी एम सूर्य घर योजना का लक्ष्य घरों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है। मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के बिरसिहंपुर में संजय गांधी थर्मल पॉवर स्टेशन 1340 मेगावाट की क्षमता वाला एक कोयला आधारित बिजली संयंत्र है। जबकि सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन बैतूल जिले के सारनी में स्थित है, यह प्रदेश का तीसरा बड़ा बिजली संयंत्र है। मध्यप्रदेश में पवन ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2011 में पवन ऊर्जा परियोजना नीति की शुरूआत हुयी थी। प्रदेश के इंदौर, मंदसौर, देवास, रतलाम, राजगढ, और आगर मालवा जिलों में पवन चक्कियाँ स्थापित की गयीं हैं। इसके साथ ही प्रदेश में अपारम्परिक ऊर्जा स्त्रोंतों से भी विद्युत उत्पादन की परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के लिये युद्व स्तर पर प्रयास किये जा रहें हैं। अमरकंटक, बिरसिंहपुर और सीधी में विद्युत उत्पादन को बढ़ाने के लिये आवश्यक संसाधन जुटायें जा रहें हैं। बिजली उत्पादन और उसकी क्षमता बढ़ाने के लिये मध्यप्रदेश में काम जिस तेज गति से चल रहा है उससे संकेत मिलते हैं कि आगामी पाँच से सात वर्षो के दौरान मध्यप्रदेश पूर्ण रूप से बिजली की कमी से मुक्त होगा। ईएमएस/06/08/2025