-विशालकाय पिरामिड जैसी आकृतियां, सीधी रेखाएं और चौराहे जैसे ढांचे आए नजर हवाना,(ईएमएस)। क्यूबा के पास समुद्र की 2000 फीट गहराई में एक रहस्यमय खोज ने वैज्ञानिकों और इतिहासकारों को हैरान में डाल दिया है। 2001 में कनाडा की इंजीनियर पाउलीना जेलिट्स्की और उनके पति पॉल वेन्जविग ने समुद्री नक्शा तैयार करते समय इस अद्भुत स्थल का पता लगाया था। सोनार स्कैनिंग के जरिए समुद्र की तलहटी में उन्हें विशालकाय पिरामिड जैसी आकृतियां, सीधी रेखाएं और चौराहे जैसे ढांचे दिखे, जो एक प्राचीन शहर का संकेत दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जेलिट्स्की का कहना है कि यह इलाका किसी पुराने शहरी केंद्र जैसा लगता है। उन्होंने समुद्र में रोबोट और कैमरे भेजने की कोशिश की, लेकिन गहराई बहुत ज्यादा होने से साफ तस्वीरें नहीं आईं। फिर भी कुछ वीडियो फुटेज में ऐसे पत्थर दिखाई दिए जिन पर इंसानी निर्माण की झलक दिखाई दे रही थी जैसे घिसाव के निशान, समतल सतह और सटीक कोनों वाली संरचना। ये पत्थर 8 से 10 फीट लंबे थे और आपस में चौराहे जैसे जुड़े नजर आए। अगर यह शहर वास्तव में किसी प्राचीन सभ्यता का हिस्सा है, तो इसकी उम्र मिस्र के पिरामिडों से भी ज्यादा मानी जा रही है। इसने इतिहासकारों के बीच नई बहस छेड़ दी है। क्यूबा के भूगर्भ वैज्ञानिक के मुताबिक इतनी गहराई में किसी शहर का डूबना करीब 50,000 साल पहले ही संभव हो सकता है, जबकि मानव सभ्यता का उद्भव इससे बहुत बाद में हुआ। अगर यह मानव निर्मित है, तो यह अब तक के इतिहास को पूरी तरह से बदल सकता है। हालांकि, इस खोज की अब तक वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हो सकी है, क्योंकि इतनी गहराई में जाकर परीक्षण करना तकनीकी और आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण है। अमेरिका की प्रसिद्ध समुद्री वैज्ञानिक ने 2002 में एक डाइविंग मिशन की योजना बना चुकी थीं, लेकिन फंड और अनुमति की कमी के कारण वह योजना अधूरी रह गई। सोशल मीडिया पर इस स्थान को खोए हुए अटलांटिस से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसी ही एक खोज जापान में योनागुनी स्मारक के रूप में सामने आई थी। इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है क्या हमारी सभ्यता का इतिहास अधूरा या गलत है? सिराज/ईएमएस 06 अगस्त 2025