(जन्माष्टमी पर विशेष दोहे) कृष्ण जन्मदिन मांगलिक,एक सुखद उपहार। बिखरा सारे विश्व में,गहन सत्य का सार।। कृष्ण जन्म दिन दे खुशी,सौंपे हमको धर्म। देवपुरुष सिखला गए,करना सबको कर्म।। कृष्ण जन्मदिन रच रहा,गोकुल में उल्लास। जिसने सबको सीख दी,रखना हर पल आस।। कृष्ण जन्मदिन सत्य का,बना एक उद्घोष। कंस हनन कर हर लिया,कान्हा ने सब दोष।। कृष्ण जन्मदिन कह रहा,चलो सत्य की राह। नहीं धर्मच्युत हो कभी,तभी बनोगे शाह।। कृष्ण जन्मदिन मति रचे,देता व्यापक न्याय। है दुष्टों पर वार जो,रचे नवल अध्याय।। कृष्ण जन्मदिन पूज्य है,वंदन का है पाठ। बालरूप में चेतना,निश्छल मन का ठाठ।। कृष्ण जन्मदिन रच रहा,राधाजी से नेह। अंतर का आवेग बस,दूर सदा ही देह।। कृष्ण जन्मदिन सदफलित,गीता का नव सार। उजियारे की वंदना,अँधियारे की हार।। कृष्ण जन्मदिन अवतरण,विष्णुदेव-आलोक। परे हटाता जो होता,शरद हृदय का शोक।। ईएमएस / 14 अगस्त 25