अंतर्राष्ट्रीय
14-Aug-2025
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गाजा (ईएमएस)।युद्ध के बीच इजरायल अब वहां के फिलिस्तीनियों को पूर्वी अफ्रीका के युद्धग्रस्त देश साउथ सूडान यानी दक्षिणी सूडान में बसाने की संभावना पर चर्चा कर रहा है। छह सूत्रों ने एसोसिएटेड प्रेस को इसकी पुष्टि की है। अगर यह योजना लागू होती है, तो लोग एक युद्ध और अकाल से जूझ रहे इलाके से दूसरे संकटग्रस्त देश में जाएंगे। यह चर्चा ही अपने आप में गंभीर मानवीय सवाल खड़े करती है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस सोच को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जिसमें गाजा की बड़ी आबादी को ‘स्वैच्छिक प्रवास’ के जरिए बाहर बसाने की बात है। इजरायल इससे पहले भी कई अफ्रीकी देशों से ऐसे प्रस्ताव पर बात कर चुका है। ज्यादातर फिलिस्तीनी, मानवाधिकार संगठन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस योजना को जबरन निष्कासन का प्रयास बताया है। मिस्र, जो गाजा की सीमा से जुड़ा है, इसका कड़ा विरोध कर रहा है, क्योंकि उसे अपने यहां शरणार्थियों के आने का डर है। विश्लेषकों के मुताबिक, साउथ सूडान इजरायल के साथ संबंध मजबूत करने और अमेरिका में अपना पक्ष मजबूत करने के लिए तैयार हो सकता है। यह देश पहले ही आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार और विदेशी सहायता पर निर्भरता से जूझ रहा है। अमेरिकी और इजरायली अधिकारियों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन इजरायल और दक्षिणी सीरिया के शहर स्वैदा के बीच एक मानवीय कॉरिडोर बनाने के समझौते की कोशिश कर रहा है, ताकि वहां की द्रूज समुदाय को सहायता पहुंचाई जा सके। महत्व इसलिए है क्योंकि पिछले महीने स्वैदा में हिंसक झड़पों के बीच इजरायल ने सीरिया पर बमबारी की थी। इजरायल ने दावा किया था कि यह कार्रवाई सीरिया के द्रूज समुदाय की रक्षा के लिए की गई, जो इजरायल की अपनी द्रूज अल्पसंख्यक आबादी के प्रति एकजुटता का संकेत है। ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, जापान और कई यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों समेत 25 देशों के विदेश मंत्रियों ने चेतावनी दी है कि गाजा में मानवीय पीड़ा ‘अकल्पनीय स्तर’ पर पहुंच चुकी है और इजरायली सरकार से अपील की है कि वहां आवश्यक मानवीय संगठनों को काम करने की अनुमति दी जाए। विदेश मंत्रियों के संयुक्त बयान में कहा गया, ‘गाजा में मानवीय पीड़ा अकल्पनीय स्तर पर पहुंच चुकी है। अकाल हमारी आंखों के सामने पनप रहा है। भुखमरी को रोकने और पलटने के लिए तुरंत कार्रवाई की जरूरत है। मानवीय कार्यक्षेत्र की रक्षा होनी चाहिए और राहत को कभी भी राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।’ वीरेंद्र/ईएमएस 14 अगस्त 2025