लेख
17-Aug-2025
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कांग्रेस और विपक्ष एसआईआर के मुद्दे को लेकर लगातार हमलावर है, जिससे मॉनसून सत्र में अपेक्षा के अनुरूप कार्य नहीं हो पा रहा है, वहीं विपक्ष के तमाम प्रमुख सांसद उच्चतम न्यायालय में गये हैं, जहां वे तर्क नहीं दे पाये। उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को मतदाताओं के अनुकूल माना है, फिर भी विपक्ष का सवाल बरकरार है। सोमवार को संसद के बाहर विपक्ष के द्वारा सड़क पर सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग पर हमला बोला गया लेकिन, इस प्रदर्शन का पूरा श्रेय अखिलेश यादव के नाम पर दर्ज हो गया, उनकी छलांग देशभर में छाई रही, इसी मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं बीपी गौतम... संसद से सड़क तक हंगामा विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग एसआईआर के द्वारा बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना चाहता है, वे दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। बिहार में एसआईआर को लेकर संसद में गतिरोध बना हुआ है। 21 जुलाई को संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से दोनों सदनों में लगातार व्यवधान और नाम मात्र का विधायी कार्य हुआ है, दोनों सदनों में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को छोड़कर 21 जुलाई को मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से संसद में बहुत कम काम हुआ है। बार-बार कार्यवाही स्थगित की जा रही है, इसी मुद्दे को लेकर विपक्षी सांसदों ने सोमवार को संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक विरोध मार्च निकाला, इस दौरान प्रदर्शनकारी विपक्षी सांसदों को रोकने के लिये परिवहन भवन पर पुलिस बैरिकेड्स लगा दिये, जहाँ उन्हें चुनाव आयोग मुख्यालय की ओर आगे बढ़ने से रोक दिया गया। पुलिस का तर्क था कि विपक्षी सांसदों ने मार्च निकालने के लिये कोई अनुमति नहीं ली है। पुलिस द्वारा रोके जाने पर अखिलेश यादव, महुआ मोइत्रा सहित कई सांसदों ने बैरिकेड्स पर चढ़ने का प्रयास किया, इस दौरान अखिलेश यादव का एक्शन देशभर में चर्चा का विषय बन गया और राहुल गांधी पर ही भारी पड़ गया। पूरे प्रदर्शन का श्रेय अखिलेश यादव के नाम चला गया। अखिलेश के अलावा कई सांसद बैरिकेड्स कूदकर बीच सड़क पर धरने पर बैठ गये। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे सांसदों को समझाने का प्रयास किया लेकिन, सांसदों ने सड़क से हटने से मना किया तो, राहुल, प्रियंका और अखिलेश सहित तमाम नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया, इस दौरान विपक्षी सांसद विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया और वोट चोरी के आरोपों के विरोध में नारे लगाते देखे गये। पुलिस ने इसलिये रोके विपक्षी सांसद चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश को पत्र लिखकर दोपहर 12.30 बजे मिलने के लिये बुलाया था, साथ ही चुनाव आयोग ने उनसे 30 सांसदों के साथ आने को कहा था और आने से पहले उन सांसदों की सूचना देने को भी कहा था, इसको लेकर पुलिस ने प्रदर्शनकारी सांसदों से कहा कि 30 लोग चुनाव आयोग के मुख्यालय तक जा सकते हैं, इसके लिये पैदल या, वाहन जैसे विकल्प चुन सकते हैं लेकिन, विपक्ष इसके लिये तैयार नहीं हुआ, साथ ही मार्च निकालने के लिये अनुमति नहीं ली गई थी। नई दिल्ली के संयुक्त पुलिस आयुक्त दीपक पुरोहित ने कहा कि हिरासत में लिये गये विपक्षी सांसदों को पास के एक पुलिस स्टेशन ले जाया गया है। हम अभी भी हिरासत में लिये गये सांसदों की संख्या गिन रहे हैं, यहां विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं थी लेकिन, हमें सूचना मिल गई थी। अगर, वे तय करते हैं तो, हम उन्हें चुनाव आयोग कार्यालय तक पहुंचा देंगे। चुनाव आयोग से 30 सांसदों की अनुमति थी। चूंकि वे बड़ी संख्या में थे, इसलिये हमने उन्हें हिरासत में लिया। हमने उन्हें सूचित कर दिया है कि 30 सांसदों को अनुमति दी जायेगी। चुनाव आयोग में उचित पुलिस व्यवस्था है। नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार महला ने कहा कि 30 सांसदों की अनुमति है। जब हमें उनके नाम मिल जायेंगे तो, हम उन्हें चुनाव आयोग के पास ले जायेंगे। अब छिपना बहुत मुश्किल होगा: राहुल राहुल गांधी ने कहा कि हकीकत यह है कि वो बात नहीं कर सकते। सच्चाई देश के सामने है। ये लड़ाई राजनीतिक नहीं है। ये लड़ाई संविधान बचाने की है। ये लड़ाई एक व्यक्ति, एक वोट की है। हम एक साफ-सुथरी मतदाता सूची चाहते हैं। राहुल ने कहा कि भारत के लोकतंत्र की हालत देखिये। 300 सांसद चुनाव आयोग से मिलकर एक दस्तावेज पेश करना चाहते थे लेकिन, उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई। वे डरे हुये हैं। अगर, 300 सांसद आ गये और उनकी सच्चाई सामने आ गई तो, क्या होगा? यह लड़ाई अब राजनीतिक नहीं रही। यह लड़ाई संविधान और एक व्यक्ति एक वोट के लिये है। हमने कर्नाटक में साफ तौर पर दिखा दिया है, यह मल्टीपल मैन, मल्टीपल वोट था। पूरा विपक्ष इसके खिलाफ लड़ रहा है। चुनाव आयोग के लिये अब छिपना बहुत मुश्किल होगा। इसके अलावा राहुल गांधी ने शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने को लेकर कहा कि मैं शपथ पत्र पर हस्ताक्षर क्यों करूं? यह उनका डाटा है, मेरा नहीं। उन्हें इसे अपनी वेबसाइट से लेना चाहिये, वे बस ध्यान भटका रहे हैं और किसी को यह नहीं सोचना चाहिये कि यह केवल बंगलूरू में हुआ है, यह देश के कई निर्वाचन क्षेत्रों में हुआ है। आज चुनाव आयोग कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है लेकिन, मैं आपको बताना चाहता हूं कि एक दिन सब कुछ सामने आ जायेगा। कांग्रेस नेताओं ने यह कहा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उन्होंने जो कहा है, वो सच है और मेरा बयान भी वही है। अगर, कोई सरकार चुनाव आयोग के पास भी नहीं जाती है तो, मुझे नहीं पता कि सरकार किस बात से डरती है। यह वीवीआईपी का शांति पूर्ण प्रदर्शन है। चुनाव आयोग चीजों को अलग तरीके से संभाल सकता था। सभी गठबंधन दलों से 30 सांसदों को चुनना संभव नहीं है। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग को लिखा मेरा पत्र सीधा था। मैंने साफ-साफ लिखा था कि सभी विपक्षी सांसद संसद से चुनाव आयोग तक शांति पूर्ण मार्च निकालेंगे। सभी सांसद चुनाव आयोग को एसआईआर के बारे में एक दस्तावेज देना चाहते हैं, यही हमारी मांग थी। मैंने कल शाम यह पत्र लिखा था और चुनाव आयोग, जो अब चुराओ आयोग बन गया है, ने मुझे कोई जवाब नहीं दिया और अब वे कह रहे हैं कि सिर्फ 30 सांसद ही आ सकते हैं। हम चाहते थे कि सभी विपक्षी सांसद सामूहिक रूप से चुनाव आयोग को एक दस्तावेज दें। हमें यहीं रोक दिया गया है। हमें चुनाव आयोग नहीं जाने दिया जा रहा है। कांग्रेस महासचिव और सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पुलिस और सरकार हमें 30 सेकेंड भी मार्च नहीं करने दे रही है। वे हमें यहीं रोकना चाहते हैं। देश में कैसा लोकतंत्र है? सांसदों को चुनाव आयोग जाने की आजादी नहीं है। अब वे कह रहे हैं कि सिर्फ 30 लोग ही आ सकते हैं लेकिन, कम से कम उन 30 लोगों को चुनाव आयोग कार्यालय तो जाने दो। कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि क्या जेल की सलाखें राहुल गांधी और विपक्ष को रोक पायेंगी? अब एक ही नारा है- बोल रहा है पूरा देश, वोट हमारा छू के देख... इस देश की जनता ने मोदी सरकार और चुनाव आयोग की साझेदारी को नकार दिया है। यह था राहुल का बम राहुल गांधी ने गुरुवार को भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत के द्वारा चुनावों में बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी का दावा किया था। उन्होंने पिछले साल कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूची के विश्लेषण का हवाला दिया था, इसके एक दिन बाद उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और भाजपा ने लोगों से लोकसभा चुनाव चुराने के लिये मिलीभगत की, इस दौरान कम से कम तीन राज्यों में वोट चोरी हुई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के इस शक को स्पष्ट करते हैं कि चुनाव चुराया गया था। शपथ पत्र दें राहुल या, माफी मांगें: आयोग भारत के चुनाव आयोग ने रविवार को राहुल गांधी की ओर जारी उस मतदाता सूची को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया है, जिसमें 30,000 मतदाताओं के पते फर्जी होने का दावा किया है। चुनाव आयोग ने फैक्ट चेक के बाद कहा कि विधि सम्मत प्रक्रिया को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं और जितना भी संभव हो सकता है, उतना ज्यादा लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक एक्स सोशल साइट्स पर कांग्रेस की पोस्ट को साझा करते हुये लिखा कि यह बयान पूरी तरह भ्रामक है। अगर, राहुल गांधी को लगता है कि उनकी तरफ से साझा की जा रही सूची वाकई सही है तो, उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये। उन्हें बिना देरी कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जवाब भेजना चाहिये। आयोग ने इसके साथ ही फिर दोहराया कि या, तो वह अपनी प्रेस कांफ्रेंस में उठाये गये मुद्दों पर हस्ताक्षरित शपथ पत्र दें या फिर देश से माफी मांगें। आयोग की पोस्ट में लिखा है कि पक्ष के नेता के पास अब दो ही विकल्प हैं। पहला, अगर उन्हें लगता है कि उनका विश्लेषण सही है और आयोग पर लगाये गये, उनके आरोप सत्य हैं तो, उन्हें संबंधित मतदाताओं के बारे में दावे और आपत्तियां जताते हुये मतदाता पंजीकरण नियम- 1960 की धारा- 20 (3) (बी) के अंतर्गत हस्ताक्षरित शपथ देनी चाहिये। दूसरा, अगर वह शपथ पत्र नहीं देते हैं तो, यही माना जायेगा कि उनकी जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है और वह बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, इसके लिये उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिये। राहुल ने कहा कि वे हस्ताक्षर नहीं करेंगे राहुल गांधी का स्पष्ट कहना है कि वह किसी घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। उन्होंने संसद सदस्य के रूप में संविधान की रक्षा करने की शपथ पहले ही ले ली है। राहुल गांधी ने बिहार की मतदाता सूची में मृत घोषित किये गये लोगों के साथ दिल्ली बुला कर चाय पी और पुनः आयोग को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया। लोकसभा से इस्तीफा दें राहुल: भाजपा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है तो, उन्हें नैतिकता के आधार पर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिये। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा को भी राज्यसभा और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिये। भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा गौरव भाटिया ने कहा कि आप (राहुल गांधी) मीडिया के सामने निराधार आरोप लगाते हैं और जब संवैधानिक संस्था सुबूत और लिखित घोषणा मांगती है तो, देने से इन्कार कर देते हैं। भाजपा प्रवक्ता ने मांग की कि कांग्रेस शासित कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी इस्तीफा देना चाहिये, क्योंकि उनके शीर्ष नेताओं को चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है। गौरव भाटिया ने कहा कि जो आपको ठीक लगे, आप स्वीकार करें। जो असुविधाजनक लगे, आप उसे अस्वीकार करें और चुनाव आयोग पर आरोप लगायें, यह नहीं चलेगा। गौरव भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुये कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने स्पष्ट कहा था कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर कोई शक नहीं है और यह एक सच्चाई है कि आयोग ने वर्षों में एक ईमानदार संस्था के रूप में पहचान बनाई है। कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र के आयोग ने मांगा जवाब हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उनसे उन दस्तावेजों को पेश करने के लिये कहा गया है, जिनके आधार पर उन्होंने 7 अगस्त को दिल्ली में एक प्रेस वार्ता के दौरान हरियाणा के चुनाव से संबंधित आरोप लगाये थे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से जारी पत्र के अनुसार प्रेस वार्ता के दौरान राहुल गांधी ने दिये गये बयानों में उल्लेख है कि हरियाणा की मतदाता सूची में कथित रूप से अयोग्य मतदाताओं को शामिल करने और योग्य मतदाताओं को बाहर करने से संबंधित है, इस संबंध में दस्तावेजों को दस दिन के अंदर प्रदान करवाया जाये, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके। रविवार को कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से उन दस्तावेजों और सबूतों की मांग की, जिनके आधार पर उन्होंने दावा किया था कि एक महिला ने दो बार वोट डाला। आयोग ने कहा कि आपने यह भी बताया था कि मतदान अधिकारी द्वारा दिये गये रिकॉर्ड के अनुसार शकुन रानी ने दो बार मतदान किया था। जांच करने पर शकुन रानी ने कहा है कि उन्होंने केवल एक बार मतदान किया है, दो बार नहीं, जैसा कि आपने आरोप लगाया है। पत्र में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला है कि कांग्रेस नेता द्वारा प्रस्तुत प्रस्तुति में दिखाया गया सही का निशान वाला दस्तावेज मतदान अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया था। नोटिस में कहा गया कि आपसे अनुरोध है कि आप वे प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध करायें, जिनके आधार पर आपने यह निष्कर्ष निकाला है कि शकुन रानी या, किसी और ने दो बार मतदान किया है, ताकि इस कार्यालय द्वारा विस्तृत जांच की जा सके। महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि वे हस्ताक्षरित घोषणा/शपथ दस दिनों के अंदर कार्यालय को वापस कर दें, ताकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के प्रावधानों के अनुसार आवश्यक कार्यवाही शुरू की जा सके। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आरोपों की जांच के दिये आदेश कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राज्य के विधि विभाग को 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदान में धांधली के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है। सिद्धरमैया ने कहा कि यह जांच आगामी बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) चुनावों से पहले पूरी हो जायेगी। शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने पुष्टि की कि महाधिवक्ता को जांच करने और जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने का काम सौंपा जायेगा। उन्होंने आश्वासन दिया, सिफारिशों के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी। भाजपा चुनावी भ्रष्टाचार का ब्रह्मांड विश्वविद्यालय: अखिलेश समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव आयोग न्याय करेगा या नहीं, इस पर बहस होनी चाहिये, उस पर वोट चोरी के जो आरोप लगे हैं, उसकी सफाई देना, स्वयं चुनाव आयोग की विश्वसनीयता एवं चुनावी पारदर्शिता के लिये जरूरी है। जनता का विश्वास किसी संवैधानिक संस्था से डिगा तो, उसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। ऐसा लगता है कि भाजपा भ्रष्टाचार का विश्वविद्यालय है और चुनावी भ्रष्टाचार का ब्रह्मांड विश्वविद्यालय। रविवार को जारी अपने बयान में अखिलेश यादव ने कहा कि सबसे ज्यादा फर्जी वोटर भाजपा ने बनवाये हैं। भाजपा के चुनावी हथकंडे अब उजागर हो चुके हैं। भाजपा कुछ लोगों की मिलीभगत से अपने समर्थक फर्जी मतदाताओं का नाम बढ़ा देती है और चुनावी अधिकारियों से सांठ-गांठ कर कभी अपने विरोधियों के नाम मतदाता सूची से गायब कर देती है। भाजपा चुनाव में लगे अपने चुनिंदा अधिकारियों को बाकायदा टारगेट देती है कि कितने फर्जी वोट डालना है। कुंदरकी, मीरापुर और अयोध्या के मिल्कीपुर उप-चुनावों में भाजपा के वोट हथियाने के तरीकों की बानगी दिखाई दी थी। मतदाता सूची में हेरा-फेरी के मामलों में 18 हजार एफिडेविट चुनाव आयोग को सपा ने दिये थे, उन पर कार्यवाही का पता नहीं चला। आयोग कुंडली मारकर बैठ गया है। यह साफ है कि चुनाव आयोग की साख बहुत हद तक जनता की निगाहों में गिर गई है। 2027 के चुनाव में भाजपा और चुनाव आयोग की सांठ-गांठ से वोटों की हेरा-फेरी और जबरन चोरी कतई नहीं होने पायेगी। समर्थन जुटाने को राहुल ने जारी किया पोर्टल राहुल गांधी ने सोशल साइट्स प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुये लिखा कि वोट चोरी एक व्यक्ति, एक वोट के बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांत पर हमला है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिये साफ-सुथरी मतदाता सूची अनिवार्य है। चुनाव आयोग से हमारी मांग साफ है कि पारदर्शिता दिखायें और डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक करें, ताकि जनता और राजनीतिक दल उसका खुद ऑडिट कर सकें। आप भी हमारे साथ जुड़ कर इस मांग का समर्थन करें- http://votechori.in/ecdemand पर जायें या 9650003420 पर मिस्ड कॉल दें। यह लड़ाई लोकतंत्र की रक्षा की है। राहुल ने भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से चुनावों में बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी होने के अपने दावों को दोहराया। पोर्टल पर एक संदेश भी है, जिसमें कहा गया है कि वोट हमारे लोकतंत्र की नींव है लेकिन, इस पर भाजपा की ओर से सुनियोजित हमला किया जा रहा है, जिसमें चुनाव आयोग भी शामिल है, इसमें दावा किया गया है कि बंगलूरू मध्य के सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र में हमें एक लाख से ज्यादा फर्जी मतदाता मिले, जिन्होंने भाजपा को यह लोकसभा सीट जीतने में मदद की। कल्पना कीजिए कि अगर ऐसा 70-100 सीटों पर हो तो, यह स्वतंत्र चुनावों को नष्ट कर देगा। पोर्टल पर दिये गये संदेश में लिखा है कि कांग्रेस और भारत ने पहले भी महाराष्ट्र सहित कई जगहों पर चिंता जताई है। अब हमारे पास सबूत हैं। हम इस वोट चोरी से पूरी ताकत से लड़ेंगे। हमारे लोकतंत्र की रक्षा के लिये हमारे साथ जुड़ें। जब कोई व्यक्ति पोर्टल पर पंजीकरण करता है तो, उसके नाम पर एक प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, जिसमें लिखा होता है कि वह वोट चोरी के खिलाफ है। प्रमाण पत्र में लिखा है कि मैं चुनाव आयोग से डिजिटल मतदाता सूची की राहुल गांधी की मांग का समर्थन करता हूं। प्रमाण पत्र पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और कोषाध्यक्ष अजय माकन के हस्ताक्षर हैं। भारत विरोधी एनजीओ से मिलते हैं राहुल: सुधांशु भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि भारतीय राजनीति के सदाबहार युवा लगातार देश की संवैधानिक संस्थाओं की छवि खराब करने में लगे हैं। राहुल गांधी की तुलना नाजी जर्मनी के प्रचार मंत्री गोएबल्स से करते हुये उन्होंने आरोप लगाया कि वह सत्ता खोने की हताशा में झूठे और बेबुनियाद बयान दे रहे हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी के बंगलूरू सेंट्रल सीट के बयान पर सवाल उठाते हुये कहा कि अगर, यह आंकड़े चुनाव आयोग के नहीं हैं तो, राहुल गांधी को 1 लाख फर्जी वोटरों की जानकारी कहां से मिली? उन्होंने सिर्फ उन्हीं इलाकों की बात क्यों की जहां भाजपा आगे थी? उन्होंने चामराजपेट और शिवाजीनगर जैसे इलाकों का जिक्र क्यों नहीं किया, जहां कांग्रेस को 60% से ज्यादा वोट मिले? उन्होंने कहा कि जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है तो, मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री इस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पहले से ही विदेशी, राष्ट्र विरोधी ताकतों से मिलीभगत के शक के घेरे में हैं। उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी, ऐसे एनजीओ और नेताओं से मिलते हैं, जो भारत विरोधी हैं और यही गठबंधन विदेशी ताकतों के जरिये भारत के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को ही चुरा लिया था: अनुराग भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने भाजपा मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हर हार के बाद कांग्रेस नया बहाना ढूंढती है। ईवीएम और चुनाव आयोग से लेकर हर संवैधानिक संस्था पर आरोप लगाये जाते हैं। बिहार चुनाव पास देख कांग्रेस फिर यही कर रही है, उन्होंने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस आयोग पर सवाल उठा रही है, उससे ये तो साफ है कि वो साफ तौर पर देश की जनता अपमान कर रही है। कांग्रेस देश को वोटरों को नीचा दिखा रही है। हारते ये हैं और इल्जाम चुनाव आयोग और बीजेपी पर लगा देते हैं, इनकी हालत वैसी है कि धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करते रहे। अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को चुनाव हरवाया और चुनावी भ्रष्टाचार की नींव कांग्रेस ने 1952 में ही रख दी थी। कांग्रेस ने सीपीआई के साथ मिलकर आंबेडकर को हराया था। रिकॉर्ड में है कि 74,333 वोट, उस दौरान खारिज किये गये थे, जबकि डॉ. आंबेडकर मात्र 14,561 वोट से हारे थे। कांग्रेस ने तो संविधान निर्माता और दलित नेता को पहले चुनाव में ही निपटाने की कोशिश की। 31 अप्रैल 1952 को आंबेडकर ने 18 पेज की याचिका दी थी। संविधान निर्माता को चुनावी भ्रष्टाचार से हराया गया। अनुराग ठाकुर ने रायबरेली के आंकड़े गिनाते हुये कहा कि एक ही घर में 47 डुप्लिकेट वोटर हैं। मोहम्मद कैफ खान नाम से बूथ 83, बूथ 151 और बूथ 218 पर वोटर लिस्ट में नाम है। रायरबरेली में 47 वोटर आईडी मकान नंबर 189 के पोलिंग बूथ 131 पर रजिस्टर हैं, उनके नाम मोहम्मद इस्लाम, मोहम्मद कासिम, साफिया आदि हैं, ऐसा ही कुछ हाल पश्चिम बंगाल में भी है, जहां डायमंड हार्बर लोकसभा सीट पर मकान नंबर 0011 पर कई मतदाता रजिस्टर हैं। कांग्रेस चुनाव आयोग को भी चोरी करने का काम करती थी। 2005 में खबर छपी कि नवीन चावला को सोनिया गांधी ने चुनाव आयुक्त नियुक्त किया, उस समय पीएम मनमोहन सिंह थे, चीफ इलेक्शन कमिश्नर गोपाल स्वामी ने इसकी लिखित शिकायत की थी कि नवीन चावला ने बाहर जाकर फोन पर सोनिया से बात कर खबर लीक करने का काम किया है। चुनाव आयुक्त आरके त्रिवेदी कांग्रेस में शामिल हुये और गुजरात के गवर्नर बने, रमा देवी हिमाचल प्रदेश की गवर्नर बनीं, लिंगदोह भी कांग्रेस में शामिल हुये, टीएन शेषन भी कांग्रेस में शामिल हुये, चुनाव लड़े और हार गये। सोनिया गांधी नागरिक बनने से पहले थीं मतदाता भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट कर दावा किया कि सोनिया गांधी का वोटर आईडी कार्ड उन्हें देश का नागरिकता मिलने से पहले ही मिल गया था, उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी का वोटर कार्ड भारत की नागरिकता लेने से पहले ही बनाया जा चुका था। शशि थरूर ने कहा कि जवाब मिलना चाहिये कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि मेरे लिये यह मुद्दा बहुत सीधा है। राहुल गांधी ने कुछ गंभीर सवाल उठाये हैं, वे गंभीर जवाबों के हकदार हैं। चुनाव आयोग की न केवल देश के प्रति बल्कि, अपनी ओर से भी जिम्मेदारी है कि जनता के मन में हमारे चुनावों की विश्वसनीयता को लेकर कोई संदेह न रहे। चुनाव पूरे देश के लिये मायने रखते हैं। हमारा लोकतंत्र इतना अनमोल है कि इसे इस संदेह से खतरे में नहीं डाला जा सकता कि कहीं डुप्लीकेट वोटिंग तो नहीं, कहीं कई पते तो नहीं या, कहीं फर्जी वोट तो नहीं। अगर, लोगों के मन में कोई संदेह है तो, उसका समाधान किया जाना चाहिये, इन सवालों के जवाब उपलब्ध हो सकते हैं लेकिन, यह जवाब विश्वसनीय होने चाहिये। मेरा बस यही अनुरोध है कि चुनाव आयोग इन सवालों को लेकर उनका समाधान करे। शशि थरूर ने कहा कि जब तक लोगों के मन में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर संदेह है तब तक यह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा रहा है। जब तक यह संदेह दूर हो जाते हैं तब तक चुनाव आयोग की विश्वसनीयता फिर से हासिल की जा सकती है। चुनाव आयोग का अपना हित इन सवालों का जवाब देने में ही असली रास्ता है। बिहार को लेकर आयोग ने यह कहा चुनाव आयोग ने रविवार को कहा कि एक अगस्त को बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद से अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने या, हटाने के लिये संपर्क नहीं किया है। आयोग के अनुसार ड्राफ्ट सूची पर एक सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं, जिसमें पात्र नागरिकों के नाम शामिल करने या, अयोग्य नाम हटाने का प्रावधान है। आयोग ने बताया कि एक अगस्त से 10 अगस्त दोपहर तीन बजे तक किसी भी राजनीतिक दल के बूथ-स्तरीय एजेंट ने दावा-आपत्ति की प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। जून में शुरू हुई विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान विभिन्न दलों ने कुल 1.61 लाख बीएलए तैनात किये थे, इस अवधि में व्यक्तिगत स्तर पर 8,341 फॉर्म नाम जोड़ने या, हटाने के लिये प्राप्त हुये। चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से बाहर नहीं रहेगा। अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जायेगी। उच्चतम न्यायालय ने मतदाताओं के अनुकूल मानी प्रक्रिया राजद सांसद झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, शरद पवार गुट की सुप्रिया सुले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा, समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद और सीपीआई (एमएल) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से चुनाव आयोग के 24 जून के निर्णय को चुनौती देते हुये उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की, इसमें पीयूसीएल, एनजीओ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स जैसे कई अन्य नागरिक समाज संगठन और योगेंद्र यादव जैसे कार्यकर्ताओं भी सम्मिलित हैं। बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के चुनाव आयोग के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने फिर से सुनवाई की। न्यायालय ने कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में मतदाताओं से मांगे गये दस्तावेजों की संख्या 11 है, जबकि मतदाता सूची के सारांश पुनरीक्षण में 7 दस्तावेजों पर विचार किया जाता था, यह दर्शाता है कि यह मतदाता हितैषी है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने बुधवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिये मतदाता के पास 11 दस्तावेजों का विकल्प है, जबकि पहले किये गये संक्षिप्त पुनरीक्षण में सात दस्तावेज मांगे गये थे, इससे यह स्पष्ट दिखता है कि प्रक्रिया मतदाताओं के लिये अनुकूल है। (लेखक, दिल्ली से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक गौतम संदेश के संपादक हैं) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 17 अगस्त /2025