नई दिल्ली (ईएमएस)। पुडुचेरी स्थित मनकुला विनायागर मंदिर में आजकल देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं। मंदिर इन दिनों भव्य ब्रह्मोत्सव का आयोजन हो रहा है, जिसने न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं बल्कि विदेशी भक्तों को भी आकर्षित किया है। गणेश चतुर्थी से आरंभ हुआ यह उत्सव 24 दिनों तक चलता है और विजयादशमी पर विशेष शोभायात्रा के साथ सम्पन्न होता है। खास बात यह है कि इस दौरान वियतनाम, इंडोनेशिया, सिंगापुर और नेपाल जैसे देशों से भी भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके प्रांगण में भगवान गणेश की 58 अनूठी मूर्तियां स्थापित हैं, जिन्हें देश के प्रसिद्ध चित्रकारों ने सजाया है। इन मूर्तियों में भगवान के जीवन से जुड़े प्रसंगों को दर्शाया गया है। यह संग्रह मंदिर को भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिलाता है। विदेशी भक्त यहां अपने पारिवारिक अनुष्ठानों और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से आते हैं। इतिहासकारों के अनुसार, मनकुला विनायागर मंदिर का दस्तावेजी इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है। फ्रेंच शासन से जुड़े प्रसिद्ध कारोबारी आनंद रंग पिल्लई की डायरी में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। पांडिचेरी के समाजसेवी और कारोबारी हरिहरन के मुताबिक, यह मंदिर सदियों से स्थानीय समाज और विदेशों में बसे तमिल मूल के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां रहने वाले फ्रेंच नागरिकों ने भी समय के साथ इस मंदिर को अपनी आस्था का हिस्सा बना लिया। मंदिर प्रशासन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पननीयन बताते हैं कि हर गुरुवार को यहां दूर-दराज से भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। सालाना ब्रह्मोत्सव की तैयारियां गणेश चतुर्थी से 15 दिन पहले शुरू हो जाती हैं। इस दौरान विशेष पूजाओं और धार्मिक आयोजनों की श्रृंखला चलती है, जिसमें विदेशी श्रद्धालु भी सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं। मंदिर की सबसे आकर्षक धरोहर भगवान विनायागर की स्वर्ण मंडित प्रतिमा है। इसके अलावा मंदिर प्रांगण में 10 फीट ऊंचा रथ भी स्थापित है, जिस पर लगभग साढ़े सात किलोग्राम सोना जड़ा हुआ है। विजयादशमी के दिन भगवान की इस स्वर्ण जड़ित प्रतिमा को इसी रथ पर सवार कर नगर भ्रमण कराया जाता है, जिसे देखने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती है। सुदामा/ईएमएस 01 सितंबर 2025