इंदौर देश का आठ बार का ‘सबसे स्वच्छ शहर’। लेकिन इसी शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) की नर्सरी में दो नवजात शिशु चूहों के काटने से मौत के मुंह में समा गए। जहाँ जीवन की रक्षा होनी चाहिए थी, वहीं मासूम असहाय होकर कुतरे गए। यह केवल एक अस्पताल की विफलता नहीं, बल्कि उस व्यवस्था का चेहरा है जो चमचमाती सड़कों और स्वच्छता पुरस्कारों के पीछे जनस्वास्थ्य जैसी अपनी सबसे कमजोर कड़ी को छिपाती रही है। दोनों शिशु पहले से ही नाजुक हालात में थे - एक खंडवा से लाया गया परित्यक्त बच्चा, दूसरा देवास से ऑपरेशन के बाद रेफर हुआ। लेकिन उनकी मौत ने साफ़ कर दिया कि जिस एमवायएच पर 16 जिलों के लोग जीवन की उम्मीद के साथ भरोसा करते हैं, वही अस्पताल अब जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। इंदौर की स्वच्छता रैंकिंग और अस्पताल की यह भयावह तस्वीर गहरी विडंबना उजागर करती है। विपक्ष ने इसे “जनसंहार” कहा, वहीं सरकार के मंत्री भी मान चुके हैं कि पेस्ट कंट्रोल वर्षों से नियमित नहीं हुआ। सवाल उठता है - जब नर्सरी तक चूहे पहुँच जाएँ तो ‘स्वच्छ भारत’ का ताज आखिर किस काम का? एमवायएच पहले भी विवादों में रहा है। 2016 में ऑक्सीजन की जगह नाइट्रस ऑक्साइड चढ़ाने से बच्चों की मौत हुई। 2023 में भोपाल, विदिशा और सागर के अस्पतालों में चूहों ने शव तक कुतरे। सबक कभी नहीं सीखा गया। लेकिन एनआईसीयू में चूहों का हमला अक्षम्य है - क्योंकि यहाँ सबसे ज़्यादा सावधानी और सुरक्षा की जरूरत थी। नर्सों का निलंबन और ठेकेदार पर जुर्माना केवल दिखावा है। जब तक अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग खुद जवाबदेह नहीं होंगे, ऐसी त्रासदियाँ बार-बार लौटेंगी। एनआईसीयू को चूहा-रोधी संरचना, सील पाइप और नियमित स्वतंत्र ऑडिट की आवश्यकता है। आँकड़ों और जाँच रिपोर्टों के पीछे छुपा सच यही है कि दो मासूम जीवन हमेशा के लिए खो गए - एक समाज ने पहले ही त्याग दिया था और दूसरा जन्म से ही संघर्ष कर रहा था। वे अस्पताल पर भरोसा करके आए थे, और उसी ने उन्हें धोखा दिया। एमवायएच की यह त्रासदी केवल चूहों की कहानी नहीं है। यह उस शासन का आईना है जो दिखावे को नतीजों से ऊपर रखता है, उस सिस्टम की बीमारी है जो अपनी गलतियों से सीखने को तैयार नहीं और उस संस्कृति की विफलता है जो तब तक नहीं जागती जब तक मासूम जिंदगियाँ बलि न चढ़ें। इंदौर चाहे कागज़ों पर ‘भारत का सबसे स्वच्छ शहर’ बना रहे, लेकिन जब तक अस्पताल जैसे एमवायएच सुरक्षित नहीं होंगे, यह ताज केवल खोखली शान ही रहेगा। ईएमएस/4 सितम्बर 2025