राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की जोधपुर में हुई हालिया बैठक में देश की आर्थिक और सामाजिक वास्तविकताओं पर विभिन्न संगठनों के प्रमुख वक्ताओं द्वारा अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। मुरली मनोहर जोशी ने देश की आर्थिक स्थिति को बताते हुए सरकार के गाल में तमाचा मारा है। इस तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला में वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने मोदी सरकार के 11 वर्षों के शासन का विश्लेषण करते हुए उसके दोष एक-एक करके उजागर किए हैं। उन्होंने अपने अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर सरकार की विफलताओं को बेधड़क संघ के सामने रखा। सबसे महत्वपूर्ण चिंता देश में बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं और नशे का विकराल प्रभाव जो बड़ी तेजी के साथ शहरों से गांव तक पहुंच गया है। बड़ी संख्या में युवा नशे की चपेट में आ गए हैं। नशे का कारोबार पिछले 10 वर्षों में बड़ी तेजी के साथ बढ़ा है। रासायनिक ड्रग्स का बढ़ता कारोबार और युवाओं को नशे की लत को लेकर जोशी ने सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। जोशी जी ने चिंता व्यक्त की, भारत में 10 से 17 साल की उम्र के 1 करोड़ 58 लाख बच्चे नशीली दवाओं के आदी बन चुके हैं। दिल्ली में सड़क किनारे फुटपाथ पर रहने वाले एक तिहाई बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं, 2018 में 1.34 लाख आत्महत्या के मामले सामने आए थे। जो 2022 में बढ़कर 1.70 लाख हो गये हैं। 2019 से 2021 के बीच में 3950 छात्रों ने आत्महत्या की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर जोशी ने यह आंकड़े बैठक में रखते हुए भयावह स्थिति का वर्णन किया। उन्होंने कहा यह आंकड़े दर्शाते हैं, हमारे देश की युवा पीढ़ी संकट के दौर से गुजर रही है। मुरली मनोहर जोशी ने देश की आर्थिक स्थिति और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि भारत की कुल घरेलू संपत्ति का 65प्रतिशत हिस्सा केवल 10प्रतिशत लोगों के पास एकत्रित हो गया है। मोदी सरकार भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताकर गर्व करती है। वास्तविक स्थिति यह है कि प्रति व्यक्ति भारत में जीडीपी मात्र 2878 डॉलर है। जबकि जापान में प्रति व्यक्ति यह आय लगभग 34,000 डॉलर है। इससे स्पष्ट है कि देश में आम जनता का समुचित आर्थिक विकास का लाभ नहीं पहुंच रहा है। अर्थव्यवस्था का लाभ कुछ ही परिवारों तक पहुंच रहा है। इस पर जोशी ने बड़ी चिंता जताई है। जोशी जी ने विगत 10 वर्षों के सरकार के कामकाज का उल्लेख करते हुए कहा, भारत ने स्वदेशी उद्योगों और कृषि क्षेत्र की भारी उपेक्षा की है। सरकार ने जो भी नीतियां बनाई हैं उसका लाभ बड़े-बड़े कारपोरेट को हुआ है। उन्होंने कहा विदेशी निर्भरता ने देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। जिसके कारण स्थानीय रोजगार के अवसर बड़ी तेजी के साथ खत्म हुए हैं। सरकार की वर्तमान नीतियों के कारण राष्ट्रीय हित बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। वयोवृद्ध मुरली मनोहर जोशी ने बैठक में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को रेखांकित करते हुए कहा, भारत को कृषि और स्वदेशी उद्योग पर विशेष ध्यान देना चाहिए था। जिसकी उपेक्षा वर्तमान सरकार द्वारा बड़े स्तर पर की गई है। संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने जोशी जी की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि जोशी जी ने बैठक में देश की वास्तविक स्थिति का सही आईना दिखाया है। उन्होंने महत्वपूर्ण तथ्यों को बेबाकी के साथ बैठक में रखा है। जोशी ने कहा इस बैठक की सार्थकता तभी है जब सरकार अपनी नीतियों में बदलाव करे। देश की वर्तमान दिशा पर इस गंभीर चिंतन के दौरान जो सहमति बनती हुई दिख रही है वह सरकार के लिए आगे चलकर मुसीबत खड़ी कर सकती है। देश की सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को समाप्त करने की दिशा में संघ परिवार का यह पहला कदम है। वर्तमान स्थिति में बदलाव के साथ काम करने की जिम्मेदारी सरकार के भरोसे नहीं छोड़ी जाएगी। संघ और आनुवांशिक संगठन राजनीतिक नेतृत्व, और समाज के सभी वर्गों को साथ जोड़कर इन गंभीर मुद्दों पर ठोस और ईमानदार कदम उठाए जाने पर सहमति बनी है। संघ की इस बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी है। सरकार के भरोसे नहीं रहा जा सकता है। सभी लोगों को मिलकर काम करने के लिए आगे आना होगा। संघ इस काम का नेतृत्व करे, अन्यथा आने वाले समय में देश और भी गहरे संकटों मे पड़ सकता है। संघ परिवार के सभी अनुवांशिक संगठन वर्तमान स्थिति को लेकर काफी चिंतित थे। संघ परिवार पूरी मुखरता के साथ अब सरकार के सामने आकर खड़ा हो गया है। एसजे/ 7 सितम्बर /2025