- चितरंगी ब्लॉक में आजीविका मिशन का खेल उजागर - सैकड़ों करोड़ की बंदरबांट छिपाने के लिए सीएलएफ और ग्राम संगठनों में अध्यक्ष-सचिवों का धड़ाधड़ फेरबदल सिंगरौली (ईएमएस)। जिले के चितरंगी ब्लॉक में आजीविका मिशन के तहत चल रहे भ्रष्टाचार और अफसरशाही की साजिश का बड़ा खुलासा हुआ है। ब्लॉक के सभी सीएलएफ (क्लस्टर लेवल फेडरेशन) के अध्यक्ष और सचिवों को अचानक बदल दिया गया है। इतना ही नहीं, करीब 60 सीएलएफ से जुड़े ग्राम संगठनों में भी अध्यक्ष-सचिव स्तर पर मनमाना फेरबदल किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि हाल ही में उजागर हुए सैकड़ों करोड़ रुपए के घोटाले और बंदरबांट को छुपाने और शासन की जांच को उलझाने के लिए यह चाल चली जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि जिन अध्यक्षों और सचिवों को हटाया जा रहा है, वे वित्तीय गड़बड़ियों और अधिकारियों की मिलीभगत का सच उजागर कर सकते थे। इसी डर से जिला स्तरीय अधिकारी पदों में हेरफेर कर भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं। महिला सदस्यों की पीड़ा ग्राम संगठन से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि उन्हें तो सिर्फ “मोहरा” बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। एक महिला सदस्य ने कहा, “हमने दिन-रात मेहनत कर समूह को मजबूत किया। लेकिन जब हमने गड़बड़ी पर सवाल उठाया, तो हमें ही पद से हटा दिया गया। अधिकारी चाहते हैं कि हम चुप रहें।” दूसरी महिला सदस्य ने कहा, “हम गरीब महिलाओं के नाम पर पैसा आता है, लेकिन असली फायदा अफसरों और बिचौलियों को हो रहा है। हमें डराया-धमकाया जा रहा है कि ज्यादा सवाल मत पूछो।” समाजसेवियों का हमला सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों ने इस पूरी कार्रवाई को “गंभीर गोरखधंधा” बताया है। समाजसेवी राजेश पटेल का कहना है, “यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार को बचाने और जांच को भटकाने की कोशिश है। सीएलएफ और ग्राम संगठन महिलाओं की आर्थिक रीढ़ हैं, लेकिन जिले के अधिकारी इन्हें अपनी ढाल बना रहे हैं।” वहीं, एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “अगर यह खेल तुरंत नहीं रोका गया तो हम बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे। गरीब महिलाओं के हक पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।” जवाबदेही की मांग समाजसेवियों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि— सीएलएफ और ग्राम संगठनों में हो रहे इस मनमाने फेरबदल पर तत्काल रोक लगाई जाए। पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। दोषी अधिकारियों और पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। ग्राम की महिलाओं का कहना है कि जो अधिकारी उनकी आजीविका की रक्षा करने के लिए बैठे हैं, वही भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। यह मामला अब न केवल जिले में बल्कि प्रदेश स्तर पर भी बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। आर एन पाण्डेय कि रिपोर्ट