लेख
06-Sep-2025
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान में वार्ता करते समय चीन का संकोच नहीं कर रहे थे। कुछ घंटे बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भेंटवार्ता होने वाली थी लेकिन, अत्यधिक व्यस्तताओं के बीच ही उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी वार्ता की और उन्हें शांति स्थापित करने के प्रयास करते रहने को आश्वस्त किया, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की भूमि पर थे, उस समय भारत में डीजीटीआर एंटी-डंपिंग शुल्क लगा रहा था, जिसका सीधा उद्देश्य चीन को किनारे करना ही है, इस सबके बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अनुभूति कराई कि भारत, रूस का अभिन्न मित्र है, साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने-अपने हितों के साथ गहरी मित्रता स्थापित करने को प्रेरित किया, इस सबसे स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी के लिये राष्ट्रहित सर्वोपरि है, इसी विषय पर चर्चा कर रहे हैं बीपी गौतम... भारत-जापान ने लिखा मित्रता का नया अध्याय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत-जापान संबंधों का नया अध्याय शुरू हुआ है, दोनों देशों के बीच साझेदारी मेक इन इंडिया से लेकर मेक फॉर द वर्ल्ड तक की यात्रा तय करती दिख रही है, यह रिश्ता सिर्फ निवेश से परे, साझा भविष्य की नींव रखता हुआ दिख रहा है। दो वर्षों में 170 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर हुये, जिनसे भारत में 13 अरब डॉलर से अधिक का निवेश आया। यह आंकड़ा भारत के आर्थिक विकास की दिशा में जापान के अटूट विश्वास का प्रतीक है। जापान का यह निवेश भारत के कई प्रमुख क्षेत्रों में फैला हुआ है, जिसमें इस्पात, ऑटो मोबाइल, नवीकरणीय ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस सम्मिलित हैं। निप्पॉन स्टील ने गुजरात और आंध्र प्रदेश में अपने इस्पात संयंत्रों का विस्तार करने के लिये भारी निवेश किया है, वहीं सुजुकी मोटर और टोयोटा किर्लोस्कर ने क्रमशः गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में नये संयंत्र स्थापित करने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने का संकल्प लिया है। यह निवेश न केवल रोजगार के अवसर पैदा करेगा बल्कि, भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। यह सहयोग भारत में चीजों का निर्माण करने और उसे दुनिया के लिये बाजार में उतारने के दृष्टिकोण को भी साकार कर रहा है। भारत में जापानी संयुक्त उद्यमों से निर्मित उत्पाद अब वैश्विक बाजारों में निर्यात किये जायेंगे। टोयोटा और सुजुकी के भारत में निर्मित हाइब्रिड और ईवी वाहन अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में निर्यात किये जायेंगे। साझेदारी का एसएमई को मिल रहा है सीधा लाभ साझेदारी का अहम पहलू भारतीय लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) को मिल रहा लाभ है। एसएमई वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं का हिस्सा बन रहे हैं। टोक्यो इलेक्ट्रॉन, फुजीफिल्म और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के सहयोग से एक सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का निर्माण किया जा रहा है, इसमें भारतीय एसएमई उच्च-मूल्य वाले घटकों के आपूर्तिकर्ता बनेंगे। यह सहयोग उन्हें वैश्विक कार्य प्रणालियों और प्रौद्योगिकी से परिचित करायेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। दोनों देशों के बीच साझेदारी सिर्फ बड़े उद्योगों तक सीमित नहीं है बल्कि, ग्रामीण भारत को भी सशक्त कर रही है। सोजित्ज कॉरपोरेशन और इंडियन ऑयल मिलकर 30 बायोगैस संयंत्रों की स्थापना कर रहे हैं, इनमें किसान अपनी फसलों के अवशेष व कृषि-अपशिष्ट की आपूर्ति करके अतिरिक्त आय अर्जित कर पायेंगे। यह पहल स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी। पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की बढ़ती सैन्य ताकत और वर्तमान व भविष्य की जरूरतों को देखते हुये दोनों देश सैन्य उपकरण व प्रौद्योगिकी विकसित करेंगे। मोदी और इशिबा ने चार देशों के क्वाड के महत्वपूर्ण और स्थायी क्षेत्रीय समूह के रूप में विकसित होने का स्वागत किया। मोदी ने कहा कि रक्षा सहयोग के नये ढांचे के तहत, भारत और जापान ने अपने रक्षा बलों के बीच अंतर-संचालन और तालमेल को बढ़ावा देकर एक-दूसरे की रक्षा क्षमताओं में योगदान करने का निर्णय लिया, इसके लिए दोनों देश तीनों सेनाओं के बीच सैन्य अभ्यास बढ़ायेंगे, दोनों पक्षों ने खुफिया जानकारी और अनुभव-साझाकरण के माध्यम से आतंकवाद और संगठित अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये सहयोग बढ़ाने का भी संकल्प लिया। ऊर्जा और पर्यावरण सहयोग के लिये संयुक्त क्रेडिट तंत्र का समझौता हुआ। नरेंद्र मोदी और वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई अति व्यस्त दौरे के बीच में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। यह बातचीत चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से इतर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मोदी की बैठक से दो दिन पहले हुई। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने यूक्रेन से जुड़े हालिया घटनाक्रमों के बारे में पीएम मोदी को विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की का धन्यवाद किया। उन्होंने संघर्ष के शांति पूर्ण समाधान और शांति की शीघ्र बहाली के प्रयासों के प्रति भारत के दृढ़ और निरंतर रुख को दोहराया। प्रधानमंत्री ने इस संबंध में हर संभव सहयोग देने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। नरेंद्र मोदी ने सोशल साइट्स प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि राष्ट्रपति जेलेंस्की को आज फोन कॉल के लिये धन्यवाद। हमने चल रहे संघर्ष, उसके मानवीय पहलू, शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयासों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। भारत इस दिशा में सभी प्रयासों को पूर्ण समर्थन देता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी ट्वीट किया, जिसमें लिखा कि मैंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। मैंने वाशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ यूरोपीय नेताओं की भागीदारी वाली बातचीत की जानकारी दी। यूक्रेन ने रूस के प्रमुख के साथ बैठक के लिये अपनी तत्परता दोहराई। लगभग दो हफ्ते बीत चुके हैं और इस दौरान जब रूस को कूटनीति की तैयारी करनी चाहिए थी, मॉस्को ने कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया है। उसने केवल नागरिक ठिकानों पर निंदनीय हमले किए हैं और हमारे दर्जनों लोगों को मार डाला है। मैं पीड़ितों के परिवारों और प्रियजनों के प्रति व्यक्त की गई संवेदनाओं के लिये प्रधानमंत्री का धन्यवाद करता हूं। हमने शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन से पहले अपनी स्थिति में समन्वय स्थापित किया। भारत आवश्यक प्रयास करने और शिखर सम्मेलन से इतर होने वाली बैठकों के दौरान रूस और अन्य नेताओं को उचित संकेत देने के लिये तैयार है। मुझे निकट भविष्य में प्रधानमंत्री से मिलकर खुशी होगी। सकारात्मक वार्ता से खुले नये रास्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात वर्षों के बाद शनिवार को चीन पहुंचे। उन्होंने 31 अगस्त और 1 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। शुक्रवार को प्रकाशित एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा था कि विश्व अर्थव्यवस्था में मौजूदा अस्थिरता को देखते हुये दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में भारत और चीन के लिये विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिये मिलकर काम करना भी जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार यानी 31 अगस्त को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन के नेताओं के शिखर सम्मेलन के अवसर पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की, इस दौरान पीएम मोदी ने आतंकवाद और उससे उत्पन्न चुनौतियों का मुद्दा उठाया। विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों नेताओं ने अक्तूबर 2024 में कजान में अपनी पिछली बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक गति और निरंतर प्रगति का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश विकास भागीदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं। उनके मतभेद विवादों में नहीं बदलने चाहिये। भारत-चीन और उनके 2.8 अरब लोगों के बीच आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर एक स्थिर संबंध और सहयोग दोनों देशों की वृद्धि और विकास के साथ-साथ 21वीं सदी के रुझानों के अनुरूप एक बहुध्रुवीय विश्व और बहुध्रुवीय एशिया के लिये जरूरी है। प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के महत्व पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने पिछले वर्ष सफल सैन्य वापसी और उसके बाद से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाये रखने पर संतोष जताया। उन्होंने अपने समग्र द्विपक्षीय संबंधों और दोनों देशों के लोगों के दीर्घकालिक हितों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से सीमा विवाद के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिये प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में दोनों विशेष प्रतिनिधियों की ओर से अपनी वार्ता में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों को स्वीकार किया और उनके प्रयासों को और समर्थन देने पर सहमति व्यक्त की। भारत और चीन के नेताओं ने कैलाश मानसरोवर यात्रा और पर्यटक वीजा की बहाली के आधार पर सीधी उड़ानों और वीजा सुविधा के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर ध्यान दिया। आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के संदर्भ में उन्होंने विश्व व्यापार को स्थिर करने में अपनी दोनों अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को मान्यता दी। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों का विस्तार करने और व्यापार घाटे को कम करने के लिये एक राजनीतिक और रणनीतिक दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और चीन दोनों ही रणनीतिक स्वायत्तता चाहते हैं, उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिये, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों और चुनौतियों जैसे- आतंकवाद और बहुपक्षीय मंचों पर निष्पक्ष व्यापार पर साझा आधार का विस्तार करने आवश्यकता पर सहमति जताई। शी को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ की चीन की अध्यक्षता और तियानजिन में शिखर सम्मेलन के लिये समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने राष्ट्रपति शी को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी आमंत्रित किया, जिसकी मेजबानी भारत 2026 में करेगा। राष्ट्रपति शी ने निमंत्रण के लिये प्रधानमंत्री का धन्यवाद व्यक्त किया और भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के लिये चीन के समर्थन की पेशकश की। प्रधानमंत्री ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य काई क्वी के साथ भी बैठक की। प्रधानमंत्री ने काई के साथ द्विपक्षीय संबंधों के लिये अपने दृष्टिकोण को साझा किया और दोनों नेताओं के दृष्टिकोण को साकार करने के लिये, उनका समर्थन मांगा। काई ने द्विपक्षीय आदान-प्रदान का विस्तार करने और दोनों नेताओं के बीच बनी सहमति के अनुरूप संबंधों को और बेहतर बनाने की चीनी पक्ष की इच्छा दोहराई। डीजीटीआर ने एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा डीजीटीआर ने लिफ्ट प्रणाली में इस्तेमाल होने वाली चीनी इंजीनियरिंग वस्तुओं पर पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने का फैसला किया है, इसका उद्देश्य घरेलू कंपनियों को सस्ते आयात से बचाना है। डीजीटीआर ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में पाया है कि चीन से आयातित टी-शेप्ड एलिवेटर/लिफ्ट गाइड रेल और काउंटरवेट गाइड रेल भारत में सामान्य मूल्य से कम कीमत पर बेचे जा रहे हैं, इससे डंपिंग की स्थिति उत्पन्न हुई है। डीजीटीआर ने आयात पर 24.11 प्रतिशत से 51.87 प्रतिशत तक सीआईएफ (कास्ट, इंश्योरेंस और फ्रेट) मूल्य के आधार पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। डीजीटीआर शुल्क की सिफारिश करता है, जबकि वित्त मंत्रालय इसे लगाने का अंतिम निर्णय लेता है। डीजीटीआर ने लिफ्ट कार और काउंटरवेट/संतुलन वजन के सुरक्षित और सुचारू संचालन के लिये इस्तेमाल होने वाली गाइडिंग स्ट्रक्चर यानी गाइड रेल्स पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है। एंटी-डंपिंग जांच का उद्देश्य यह निर्धारित करना होता है कि क्या सस्ते आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंचा है, इस जांच के बाद देशों द्वारा डंपिंग रोकने के लिए ड्यूटी लगाई जाती है, वह जेनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के बहुपक्षीय नियमों के अंतर्गत होती है। भारत और चीन दोनों डब्लयूटीओ के सदस्य हैं, इस शुल्क का उद्देश्य निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करना व विदेशी उत्पादकों और निर्यातकों के मुकाबले घरेलू उत्पादकों के लिये समान अवसर उपलब्ध कराना है। भारत ने चीन सहित विभिन्न देशों से सस्ते आयात से निपटने के लिये पहले ही कई उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगा दिया है। भारत का चीन के साथ लगभग 100 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है। भारत-रूस के संबंध बहुआयामी: पुतिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी से कहा कि आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई। एससीओ वैश्विक दक्षिण और पूर्व के देशों को एकजुट करने के लिये एक मंच प्रदान करता है। 21 दिसंबर 2025 भारत-रूस संबंधों को विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित करने की 15वीं वर्षगांठ है। हमारे बीच बहुआयामी संबंध हैं। आज की बैठक से भारत-रूस संबंधों को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। रूस और भारत के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। घोषणा पत्र में दिखी भारत की कूटनीतिक विजय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का घोषणा पत्र जारी कर दिया गया है। विशेष बात यह है कि इस घोषणा पत्र में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई है और हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की प्रतिबद्धता जताई गई है। सदस्य देशों ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की। घोषणा पत्र में आतंकवादी, अलगाववादी और उग्रवादी समूहों को अपने फायदे के लिये इस्तेमाल करने के प्रयासों की निंदा की गई। घोषणा पत्र में कहा गया है, सदस्य देश आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा करते हैं, इस बात पर बल देते हैं कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद, जिसमें आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियां भी शामिल हैं, का मुकाबला करने का आह्वान करते हैं। घोषणा पत्र में एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य की भावना होती है। सदस्य देशों ने वैज्ञानिक एवं तकनीकी उपलब्धियों और नवाचारों के क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने में पांचवें एससीओ स्टार्टअप फोरम के परिणामों का स्वागत किया। सदस्य देशों ने एससीओ थिंक टैंक फोरम की 20वीं बैठक के आयोजन का उल्लेख किया। उन्होंने सांस्कृतिक और मानवीय आदान-प्रदान को मजबूत करने में भारतीय विश्व मामलों की परिषद में एससीओ अध्ययन केंद्र के योगदान का भी उल्लेख किया। सकारात्मक रही मोदी और पुतिन की बैठक प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय बैठक दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई, इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर लगातार चर्चा कर रहे हैं। हम शांति के लिये हाल के सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष रचनात्मक रूप से आगे बढ़ेंगे। संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करने और स्थायी शांति स्थापित करने का रास्ता खोजना होगा। यह पूरी मानवता का आह्वान है। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि मुझे हमेशा लगता है कि आपसे मिलना एक यादगार अनुभव रहा है। हमें कई विषयों पर जानकारी का आदान-प्रदान करने का अवसर मिला है। हम निरंतर संपर्क में रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच नियमित रूप से कई उच्च-स्तरीय बैठकें हुई हैं। 140 करोड़ भारतीय इस वर्ष दिसंबर में होने वाले हमारे 23वें शिखर सम्मेलन के लिये आपका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह हमारी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त साझेदारी की गहराई और व्यापकता को दर्शाता है। पीएम मोदी ने कहा भारत और रूस हमेशा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे हैं। हमारा घनिष्ठ सहयोग न केवल दोनों देशों की जनता के लिये बल्कि, वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिये भी महत्वपूर्ण है। हम यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर लगातार चर्चा करते रहे हैं। हम शांति के लिये हाल के सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष रचनात्मक रूप से आगे बढ़ेंगे। शक्तिशाली फोटो ने बढ़ाया भारत का कद शंघाई सहयोग संगठन के मंच से सोमवार को एक बेहद शक्तिशाली तस्वीर सामने आई, इस तस्वीर ने एक ओर अमेरिका के मनमाने टैरिफ के रवैये को आईना दिखाया तो, दूसरी ओर दुनिया को बताया कि भारत के पास डोनाल्ड ट्रंप की हर रणनीति का काट है, इस बीच एक बड़ा ही रोचक दृश्य भी दिखाई दिया, जिसको लेकर पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ट्रोल भी हो गये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र से पहले कुछ समय साथ बिताया, इस दौरान तीनों ही नेता एक-दूसरे से हल्के फुल्के अंदाज में हंसी मजाक करते दिखे, इस दौरान तीनों नेता ठहाके लगाते दिखाई दिये, इसके बाद पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन एक साथ मंच की ओर चले गये, इस दौरान दोनों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने से निकले, जो पहले से ही मंच पर फोटो सेशन के लिये खड़े थे, इस दौरान शहबाज की नजरें पीएम मोदी और पुतिन पर ही टिकी हुई थीं, उनके चेहरे से बेबसी के भाव झलक रहे थे, इस वर्ष के शिखर सम्मेलन को एससीओ समूह का सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन बताया गया है, क्योंकि इस वर्ष इस संगठन की अध्यक्षता कर रहे चीन ने एससीओ प्लस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये 20 विदेशी नेताओं और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित 10 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को आमंत्रित किया, संबंधों को लेकर गंभीर दिखाई दिये शी जिनपिंग शी जिनपिंग ने पीएम मोदी से कहा कि दोनों पक्षों को अपने संबंधों को रणनीतिक ऊंचाइयों और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखना और संभालना होगा ताकि, हमारे द्विपक्षीय संबंधों का निरंतर, सुदृढ़ और स्थिर विकास हो सके। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एकतरफा नीतियों पर कटाक्ष करते हुये शी ने कहा कि दोनों देशों को बहुपक्षवाद को कायम रखना चाहिये। शी ने कहा कि भारत और चीन को एक बहुध्रुवीय विश्व और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अधिक लोकतंत्र के लिये भी काम करना चाहिये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन और भारत पूर्व की दो प्राचीन सभ्यतायें हैं। हम दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं और हम ग्लोबल साउथ के भी महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हम दोनों अपने लोगों की भलाई में सुधार लाने, विकासशील देशों की एकजुटता और कायाकल्प को बढ़ावा देने, और मानव समाज की प्रगति को बढ़ावा देने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाते हैं। दोनों देशों के लिए यह सही विकल्प है कि वे ऐसे मित्र बनें, जिनके अच्छे पड़ोसी और सौहार्द पूर्ण संबंध हों, ऐसे साझेदार बनें, जो एक-दूसरे की सफलता में सहायक हों और ड्रैगन और हाथी एक साथ आयें। जिनपिंग ने कहा कि आज दुनिया सदी में एक बार होने वाले बदलावों से गुजर रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्थिति अस्थिर और अराजक दोनों है, इस वर्ष चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है, दोनों पक्षों को अपने संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखने और संभालने की आवश्यकता है। हमें बहुपक्षवाद को बनाये रखने, एक बहुध्रुवीय विश्व और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अधिक लोकतंत्र लाने के लिये मिलकर काम करने और एशिया और दुनिया भर में शांति और समृद्धि में अपना सच्चा योगदान देने की अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी को भी पूरा करना होगा। शांति और विकास को खतरा है आतंकवाद: मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदस्य देशों को संबोधित करते हुये कहा कि आतंकवाद आज भी शांति और विकास की राह में सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने SCO को S- सिक्योरिटी, C- कनेक्टिविटी और O- अपॉर्चुनिटी का मंच बताया। मोदी ने कहा कि संगठन को सामूहिक सुरक्षा, आपसी जुड़ाव और अवसरों की साझेदारी के जरिए भविष्य की चुनौतियों से निपटना चाहिये। यूक्रेन संकट के जिम्मेदार पश्चिमी देश: पुतिन शंघाई सहयोग परिषद के सदस्यों के सत्र को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संबोधित किया, उन्होंने यूक्रेन के साथ जारी रूस के संघर्ष के दौरान शांति प्रयासों के लिये भारत और चीन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मैं यूक्रेन संकट को सुलझाने के लिये चीन और भारत के प्रयासों की सराहना करता हूं, इस दौरान पुतिन ने व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो के इस दावे का भी खंडन किया कि यूक्रेन मोदी का युद्ध है। पुतिन ने कहा कि मैं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अपनी अलास्का बैठक के विवरण द्विपक्षीय बैठकों के दौरान नेताओं को बताऊंगा। उन्होंने मॉस्को के इस रुख को दोहराया कि यूक्रेन में संकट किसी आक्रमण के कारण नहीं बल्कि, यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों की ओर से समर्थित कीव में तख्तापलट के परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अलास्का शिखर सम्मेलन में हुई सहमति यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कहा कि कीव को नाटो में शामिल करने के पश्चिम के निरंतर प्रयास यूक्रेनी संघर्ष के मुख्य कारणों में से एक हैं। पुतिन ने दावा किया कि यह संकट मुख्य रूप से 2014 में कीव में हुए तख्ता पलट की वजह से उपजा, जिसे पश्चिम ने उकसाया था। उन्होंने कहा कि संकट का दूसरा कारण यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के पश्चिम के निरंतर प्रयास हैं। जैसा कि हमने बार-बार जोर दिया है, यह रूस की सुरक्षा के लिये सीधा खतरा है। 15 जून 2001 को शंघाई में हुई थी स्थापना एससीओ की स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई में हुई थी। शुरुआत में इसमें छः देश रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान सम्मिलित थे। भारत और पाकिस्तान 2017 में सम्मिलित हुये, इसके बाद 2023 में ईरान और 2024 में बेलारूस सम्मिलित हुये। (लेखक, दिल्ली से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक गौतम संदेश के संपादक हैं) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) ईएमएस / 06 सितम्बर 25