मुंबई, (ईएमएस)। कई कठिनाइयों और जुलूस में देरी के बाद, चंद्र ग्रहण से कुछ मिनट पहले आख़िरकार मुंबई के लालबागका राजा का विसर्जन किया गया। यह विसर्जन 33 घंटे बाद किया गया। अनंत चतुर्दशी यानि 6 सितंबर के दिन मुंबई के लालबागका राजा के विसर्जन के लिए जुलूस सुबह करीब 10 बजे शुरू हुआ और रविवार यानि 7 सितंबर को सुबह करीब करीब पौने 9 बजे राजा की सवारी गिरगांव चौपाटी पर पहुंची। विसर्जन के लिए पहुंचे लालबागका राजा के बेड़े में कठिनाइयाँ थीं। इसके अलावा, समंदर में हाई टायड (ज्वार) का समय था। इस वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई कि विसर्जन के लिए कई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। अंततः, 33 घंटे बाद, यानि रविवार रात लगभग 9 बजे लालबागका राजा को गिरगांव चौपाटी पर अरब सागर में अनुष्ठानपूर्वक विसर्जित किया गया। इससे पहले आरती की गई। दरअसल लालबागकाराजा को ज्वार आने से पहले विसर्जन के लिए गिरगांव चौपाटी तक पहुंचना था। लेकिन वह समय चूक गया। इस वजह से भक्तों को लालबागका राजा के विसर्जन के लिए रविवार को दिनभर इंतजार करना पड़ा। क्योंकि समुद्र में तेज लहरें उठने के कारण प्रतिमा को विसर्जित करने का प्रयास विफल रहा। बाद में, कम ज्वार के बाद, लालबागचा राजा को एक आधुनिक बेड़ा पर रखा गया। लेकिन विसर्जन के लिए बेड़ा ले जाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं था। इसलिए, ज्वार का इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अंततः, चंद्रग्रहण शुरू होने से कुछ मिनट पहले लालबागका राजा का विसर्जन किया गया। दरअसल, कम ज्वार के दौरान लालबागका राजा को बेड़ा पर रखा जाता है। फिर, उच्च ज्वार के दौरान बेड़ा से विसर्जन किया जाता है। लेकिन ज्वार शुरू होने के बाद लालबागका राजा का जुलूस गिरगांव चौपाटी पहुंचा। लालबागका राजा को विसर्जन स्थल तक पहुंचने में पंद्रह से बीस मिनट की देरी हुई। इस कारण बाद की सारी गणनाएं बिगड़ गईं। इस कारण विसर्जन के लिए पूरे दिन इंतजार करना पड़ा। इसके बाद, रात साढ़े आठ से नौ बजे के आसपास फिर से ज्वार शुरू हो गया। मगर तमाम जद्दोजहद के बाद आख़िरकार लालबागका राजा का विसर्जन किया गया। स्वेता/संतोष झा- ०८ सितंबर/२०२५/ईएमएस