वॉशिंगटन (ईएमएस)। भारत से खुन्नस निकाल रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब एक नई चखल चली है। ट्रंप प्रशासन के एक नए फैसले से अमेरिका में रह रहे भारतीय प्रवासियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। अमेरिकी इमिग्रेशन एजेंसियां अब आंतरिक राजस्व सेवा के टैक्स रिकॉर्ड्स का इस्तेमाल कर रही हैं, ताकि बिना अनुमति वाले रोजगार के मामलों का पता लगाया जा सके। इसका सीधा असर एच-1बी वीजा धारकों और छात्र वीजा (एफ-1) पर रहने वाले भारतीय पर पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार, टैक्स रिटर्न में साइड हसल यानी अतिरिक्त कमाई की जानकारी देने वाले कई लोग अब मुश्किल में फंस रहे हैं। टैक्स भरने और ईमानदारी से आय रिपोर्ट करने के बावजूद, उन पर वीजा अवधि बढ़ाने की मनाही, दोबारा आने पर रोक, यहां तक कि डिपोर्टेशन तक की कार्रवाई हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, इमिग्रेशन अटॉर्नी जाथ शाओ ने बताया, ‘आईआरएस ने इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट के साथ डेटा शेयर किया है। अब हम देख रहे हैं कि लोग उन्हीं कामों के लिए फंसे हैं, जिनकी कमाई उन्होंने खुद रिपोर्ट की और टैक्स भरा।’ शाओ के मुताबिक, कई बार यह आरोप उस समय लगते हैं जब कोई प्रवासी दूसरी गलती (जैसे ट्रैफिक उल्लंघन) में पकड़ा जाता है और जांच में पुरानी कमाई सामने आ जाती है।विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से एच-1बी वीजा धारक सबसे अधिक जोखिम में हैं, क्योंकि उनकी नौकरी सीधे स्पॉन्सर कंपनी से जुड़ी होती है। वकील अभिनव त्रिपाठी कहते हैं, ‘अगर टैक्स रिकॉर्ड में दिखाए गए साइड इनकम के आधार पर नोटिस जारी कर रहा है, तो यह गंभीर नतीजे ला सकता है। यह वीजा स्टेटस के उल्लंघन का मामला बन सकता है और डिपोर्टेशन तक ले जा सकता है।हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ब्याज या पूंजीगत लाभ जैसी इनकम पर समस्या नहीं होती, लेकिन फ्रीलांस प्रोजेक्ट या ऑनलाइन साइड जॉब्स गंभीर जोखिम बढ़ा देती हैं। उनका कहना है कि चिंता का विषय यह है कि अधिकारी अब टैक्स रिकॉर्ड्स की गहराई में जाकर पैसिव और एक्टिव इनकम की व्याख्या अपने हिसाब से करने लगेंगे, जिससे प्रवासियों के लिए स्थिति और पेचीदा हो सकती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अमेरिका में प्रवासियों को अब बेहद सतर्क रहना होगा। एक अटॉर्नी ने कहा, साइड हसल से भले ही कुछ डॉलर की कमाई हो जाए, लेकिन इसकी कीमत आपका अमेरिकी सपना हो सकता है। वीरेंद्र/ईएमएस 09 सितंबर 2025