अंतर्राष्ट्रीय
09-Sep-2025
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मॉस्को(ईएमएस)। रूस और यूक्रेन के बीच जंग खत्म होती नहीं दिख रही। रूस का यूक्रेन पर लगातार हमला जारी है। इससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खिसिया गए हैं। इस कारण अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तो उन्होंने रूस पर और प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया है। जी हां, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह रूस पर ‘दूसरे चरण’ के प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध और वैश्विक शांति को चुनौती देता रहा तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश कहीं ज्यादा सख्त आर्थिक कदम उठाएंगे। दरअसल, पहले सैंक्शन के चरण में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस के बैंकों, बड़ी कंपनियों, हथियारों और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर रोक लगाई थी। इसके बाद रूस को डॉलर और यूरो में लेन-देन करने में बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ीं। अब जब अमेरिका दूसरे चरण के प्रतिबंधों को लगाएगा तो रूस पर मुसीबत का पहाड़ टूट सकता है। ट्रंप से पहले अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा था कि अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर और अधिक प्रतिबंध लगाते हैं तो रूसी अर्थव्यवस्था ‘ध्वस्त’ हो जाएगी। अमेरिका अगर रूस पर दूसरा प्रतिबंध लगाता है तो इसका असर व्यापक होगा। अगर ऐसा होता है तो भारत पर इसका सीधा असर पड़ेगा। कारण कि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है। साल 2025 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया। पश्चिमी देशों के पहले चरण के प्रतिबंधों के बावजूद भारत को सस्ते दाम पर कच्चा तेल मिला, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें कुछ हद तक काबू में रहीं। रूस से तेल खरीदना मुश्किल हो सकता है या इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पेमेंट सिस्टम यानी डॉलर/स्विफ्ट बंद हुआ तो भारत को रुपया-रूबल व्यापार पर और निर्भर रहना पड़ेगा।दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म नहीं हो रहा है। यही कारण है कि ट्रंप अब सैंक्शन के सहारे ही इसे खत्म करने पर तुले हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध तीन साल से अधिक समय से चल रहा है। ट्रंप ने जनवरी 2025 में पद संभालते ही युद्ध खत्म करने का वादा किया था, मगर अब तक वादा पूरा नहीं कर पाए हैं। इधर, भारत, रूस और चीन ने भी अमेरिका के इन गीदड़भभकी का जवाब देने की तैयारी कर ली है। यह तिकड़ी एससीओ समिट में सदेश दे चुकी है कि वे अमेरिका के सामने झुकेंगे नहीं। भारत भी पहले ही कह चुका है कि वह किसी भी कीमत पर ट्रंप के टैरिफ के सामने नहीं झुकेगा। दरअसल, दूसरे चरण के प्रतिबंध मुख्य रूप से ‘सेकेंडरी सैंक्शंस’ हैं। ये रूस से तेल और ऊर्जा खरीदने वाले देशों को टारगेट करेंगे। ट्रंप प्रशासन के मुताबिक, ये प्रतिबंध रूस की तेल आय को और कम करेंगे। अमेरिका इसे रूस की युद्ध मशीनरी का मुख्य स्रोत मानता है। पहले चरण में रूस के बैंकों, ऊर्जा क्षेत्र और निर्यात पर प्रतिबंध लगाए गए थे, मगर अब फेज टू यानी दूसरे चरण में भारत और चीन जैसे देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जा सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही भारत पर 25प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। इससे भारत पर कुल टैरिफ 50 फीसदी है। अमेरिका ने साफ कहा है कि रूस से कच्चा तेल आयात करने वाले देशों पर अतिरिक्त टैरिफ या प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इसका मतलब है कि भारत और चीन पर भी प्रतिबंध लगेंगे। अमेरिका का मकसद रूस की तेल आय को कम करना है। दूसरे चरण में रूस के प्रमुख वित्तीय संस्थानों पर और सख्त प्रतिबंध शामिल हो सकते हैं। पहले से ही रूस के वित्तीय संस्थानों पर कई प्रतिबंध हैं, जो उनकी वैश्विक बाजारों तक पहुंच और ऋण प्राप्त करने की क्षमता को सीमित करते हैं।रूस के ऊर्जा क्षेत्र मसलन गैस, तेल और पाइपलाइन कंपनियों को टारगेट किया जा सकता है। वैसे भी पहले से ही रूस के औद्योगिक क्षेत्रों में उत्पादों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। वीरेंद्र/ईएमएस 09 सितंबर 2025