नई दिल्ली(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार कर रहा है कि अग्रिम जमानत के लिए सीधे हाईकोर्ट में सुनवाई होना चाहिए या नहीं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केरल हाई कोर्ट में होने वाली इस नियमित प्रक्रिया पर गौर फरमाया है, जिसमें याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत के लिए बिना सेशन कोर्ट में गए सीधे उच्च न्यायालय में पहुंच जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इसकी पड़ताल करेगा कि यह विकल्प याचिकाकर्ता के पास होना चाहिए कि अग्रिम जमानत की अर्जी लेकर सीधे हाई कोर्ट में पहुंच जाए या फिर उसे अनिवार्य रूप से पहले सेशन कोर्ट में जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह पाया है कि केरल हाई की यह नियमित प्रक्रिया बन गई है, जिसमें अग्रिम जमानत के मामले में याचिकाकर्ता के बिना सेशन कोर्ट में गए, उसकी याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लेता है। अदालत ने कहा कि यह मुद्दा हमें परेशान कर रहा है। बेंच का कहना है कि वह ये तय करना चाहता है कि सीधे हाई कोर्ट में जाने का विकल्प पार्टी के पास रहे या फिर पहले सेशन कोर्ट में पहुंचना अनिवार्य कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अपने रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से केरल हाई कोर्ट को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सहायता के लिए सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है, ऐसा क्यों है? अदालत ने आगे कहा, दूसरे किसी राज्य में ऐसा नहीं होता। सिर्फ केरल हाई कोर्ट में हमने पाया है कि लगातार याचिकाएं (अग्रिम जमानत के लिए) सीधे सुनी जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी दो लोगों की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की है, जिसमें उन्होंने केरल हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज किए जाने वाले आदेश को चुनौती दी है। बेंच ने पाया कि उस केस में याचिकाकर्ता राहत के लिए पहले सेशन कोर्ट में नहीं गया और सुनवाई के लिए सीधे हाई कोर्ट पहुंच गया। वीरेंद्र/ईएमएस/09सितंबर2025