- डॉक्टर हेडगेवार ने आजादी के क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया था, वे कांग्रेस में पदाधिकारी भी रहे - संघ के पंच परिवर्तन पर दृढ़ता से काम करें तो समाज में परिवर्तन संभव : गोविंद राजपूत हरदा (ईएमएस)। तराजू लेकर व्यापार करने आया अंग्रेज हमारे देश पर राज करने लगे। इतना ही नहीं, अंग्रेज अफसर के कहने पर भारतीय सैनिकों ने गोलियां दागकर जलियांवाला बाग जैसा नरसंहार किया। अकबर के कहने पर मानसिंह ने भी हिंदू राजा का सारा राज अकबर को बता दिया। समाज में पहले भी शत्रु बोध का अभाव था और आज भी वही अभाव दिखाई देता है। इसे दूर करने की जरूरत है। यह बात संघ के मध्य भारत प्रांत प्रचार विभाग के सोशल मीडिया प्रमुख कौशलेश तिवारी ने कही। वे रविवार को सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स संवाद -2025 को सम्बोधित कर रहे थे। शहर के हरदा डिग्री कॉलेज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हरदा जिला प्रचार विभाग द्वारा आयोजित इस संवाद में बड़ी संख्या में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स उपस्थित थे। श्री कौशलेश ने कहा, डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ स्थापना के पूर्व आजादी के क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लिया था. वे 1915 में नागपुर लौटे और कांग्रेस में सक्रिय हो गये और कुछ समय में विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव भी बन गए थे। बाद में उनका कांग्रेस से मोह भंग हो गया था. उन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की दुर्दशा और हिंदू समाज में व्याप्त विखंडन से दुखी होकर 27 सितम्बर 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना नागपुर के मोहिते के बाड़े में की थी। हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी प्रभाव, और मुसलमानों के प्रति ब्रिटिश नीतियों से चिंतित होकर, हेडगेवार ने एक ऐसे संगठन की आवश्यकता महसूस की जो हिंदू समाज को एकजुट और सशक्त बना सके। वे हिंदू समाज में फैले आंतरिक मतभेदों, सामाजिक विभाजन और आत्मविश्वास की कमी से चिंतित थे। उन्हें डर था कि पश्चिमी विचारों और संस्कृति के बढ़ते प्रभाव से हिंदू संस्कृति और पहचान कमजोर हो रही है। डॉ. हेडगेवार का मानना था कि हिंदू समाज में राष्ट्रवाद और एकता की कमी है, जिसके कारण वह बाहरी शक्तियों के सामने कमजोर पड़ जाता है। उनका मानना था गांधी जी ने लोगों को जगाया जरूर, लेकिन यह जागरूकता कुछ काम नहीं आ रही है। राष्ट्र रक्षा के लिए ऐसे प्रशिक्षित कार्यकर्त्ता चाहिए, जिनका शारीरिक और मानसिक शक्ति का विकास हो। उनमें राष्ट्रीय भावना जागृत हो सके, ताकि वे एक मजबूत और स्वाभिमानी राष्ट्र का निर्माण कर सकें। इसके लिए एक घंटे की शाखा लगाना शुरू किया. 8 - 10 वर्ष की उम्र के बच्चों को लेकर शुरू किया गया संघ आज विशाल रूप ले चुका है. 27 सितम्बर 2025 को संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस शताब्दी वर्ष में संघ स्थापना का उद्देश्य घर घर तक पहुंचाना हैं। श्री कौशलेश ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स से अपील की कि राष्ट्र प्रथम के भाव और समाज परिवर्तन में हमारी भूमिका को स्पष्ट करते हुए कार्य करें। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, इन तीन शब्दों की सुन्दर व्याख्या की। संघ यानी सब मिलकर, एक व्यक्ति नहीं। स्वयंसेवक यानी जो स्वयं की इच्छा से राष्ट्र सेवा करे, कोई अपेक्षा ना रखे। राष्ट्रीय यानी राष्ट्र के लिए, अपने लिए नहीं। इस तरह पूरा नाम बना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ। जिला कार्यवाह गोविन्द राजपूत ने कहा, शताब्दी वर्ष में संघ पूरे देश में पंच परिवर्तन( सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, नागरिक शिष्टाचार व स्वदेशी ) पर काम करने वाला हैं। उन्होंने कहा इन पंच परिवर्तन के विषय पर दृढ़ता से काम किया जाए तो समाज में बड़ा परिवर्तन दिखाई देगा, जो राष्ट्र हित में होगा। नर्मदापुरम विभाग के प्रचार विभाग के प्रमुख संतोष नौरिया ने भी शताब्दी वर्ष में होने वाले आयोजन की जानकारी दी। शुरुआत में भारत माता के चित्र पर तीनों अतिथियों ने माल्यार्पण कर, दीप प्रज्जवलित किया। कार्यक्रम का संचालन व आभार संघ प्रचार विभाग के हरदा जिला प्रमुख डॉ. विवेक अतुल भुस्कुटे ने माना।