-विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस विशेष भोपाल (ईएमएस) । मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. संदीप गोहे ने कहा कि आत्महत्या को रोका जा सकता है, यदि हम मानसिक स्वास्थ्य को समझें और सहयोग की संस्कृति अपनाएँ। आज छोटी-सी असफलता, रिश्तों में तनाव या बेरोज़गारी जैसी परिस्थितियों में लोग जल्दबाज़ी में जीवन समाप्त करने का निर्णय ले रहे हैं, जबकि कठिनाइयाँ अंत नहीं बल्कि नए रास्ते की तलाश होती हैं। डॉ. गोहे ने बताया कि आत्महत्या कई बार आवेग में लिया गया निर्णय होता है। निराशा, सामाजिक दूरी और भावनात्मक दबाव इसकी मुख्य वजहें हैं। विशेषकर पुरुष अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि समाज उनसे हमेशा मज़बूत रहने की अपेक्षा करता है और वे अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं कर पाते। समाधान पर उन्होंने कहा कि सुनना सीखना ज़रूरी है। कई बार धैर्य से किसी की बात सुन लेना ही जीवन बचा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद लेना और देना सामान्य बनाना होगा। पर्याप्त नींद, व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए किरण हेल्पलाइन (1800-599-0019) शुरू की है, जहाँ प्रशिक्षित विशेषज्ञ 24 घंटे सहायता उपलब्ध कराते हैं। अंत में डॉ. गोहे का संदेश था – “हर जीवन अनमोल है, आत्महत्या आख़िरी रास्ता नहीं, बातचीत पहला समाधान है।” जुनेद/ईएमएस/09सितंबर2025