अंतर्राष्ट्रीय
14-Sep-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। नेपाल में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। सदियों पुराने रिश्तों और गहरे कारोबारी संबंधों के कारण नेपाल भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक रूप से बेहद अहम है। नेपाल की विदेशी निवेश संरचना में भारत का करीब 35 प्रतिशत हिस्सा है। जुलाई 2023 तक नेपाल में भारतीय निवेश का आंकड़ा 755.12 मिलियन डॉलर तक पहुंच चुका था। यहां भारत की लगभग 150 से ज्यादा कंपनियां ऊर्जा, मैन्युफैक्चरिंग, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, टेलीकॉम और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। नेपाल की हाइड्रोपावर क्षमता भारत के लिए सबसे बड़ा निवेश क्षेत्र है। भारत ने अगले दशक तक नेपाल से 10,000 मेगावाट बिजली खरीदने का वादा किया है। अरुण-3 हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट (900 मेगावाट, निवेश 58 अरब रुपये) का भारत की सरकारी कंपनी एसजेवीएन 2026 तक पूरा करेगी। अपर कर्णाली हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट (900 मेगावाट, निवेश 13 अरब रुपये) निजी क्षेत्र की कंपनी जीएमआर इसका निर्माण कर रही है। इसके अलावा लोअर अरुण हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट (669 मेगावाट, निवेश 9 अरब रुपये) इसमें भी एसजेवीएन शामिल है। सके अलावा मुजफ्फरपुर-ढालकेबार 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन और अन्य क्रॉस-बॉर्डर प्रोजेक्ट्स नेपाल की बिजली आपूर्ति और भारत-नेपाल ऊर्जा व्यापार को जोड़ते हैं। मोतिहारी-अमलेखगंज तेल पाइपलाइन नेपाल की पहली पेट्रोलियम आपूर्ति पाइपलाइन, जो ट्रक टैंकरों पर निर्भरता खत्म करेगी। भारत ने नेपाल को चार लाइन ऑफ क्रेडिट दी हैं जिनसे 45 सड़क परियोजनाएं, 6 हाइड्रोपावर और ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसके अलावा टूरिज्म और एविएशन सेक्टर में भी भारत ने बड़ा निवेश किया है। व्यापारिक रिश्ते भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2023-24 में भारत से नेपाल को निर्यात 7040.98 अरब डॉलर का हुआ, जबकि नेपाल से भारत को निर्यात 831 अरब डॉलर का रहा। यानी व्यापार संतुलन पूरी तरह भारत के पक्ष में है। नेपाल में बढ़ती हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल इन अरबों रुपये के निवेश पर सीधा खतरा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तब ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के बड़े प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं। इससे न केवल भारत की आर्थिक हानि होगी बल्कि दोनों देशों के रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है। आशीष/ईएमएस 14 सितंबर 2025