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14-Sep-2025
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- आरबीआई के पूर्व गवर्नर राजन ने कहा-क्या हम महंगाई सही तरीके से गिन रहे हैं? नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत की अर्थव्यवस्था की पहली तिमाही में 7.8 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर्ज की गई है, जो पिछले पांच तिमाहियों में सबसे ऊंचा स्तर है। यह आंकड़ा सतही तौर पर उत्साहजनक नजर आता है, लेकिन आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि इस पर गहराई से विचार करने की जरुरत है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजन ने कहा कि मजबूत वृद्धि के आंकड़े का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन इसके पीछे की असल सच्चाई को समझना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब भी आंकड़े ऊंचे आते हैं तो खुशी होती है, लेकिन असली सवाल यह है कि यह इतना ऊंचा क्यों है? राजन ने दो बड़ी चिंताओं की ओर इशारा किया। पहली, निजी निवेश का सुस्त रहना, जो लंबे समय तक टिकाऊ विकास के लिए बेहद अहम है। दूसरी, रोजगार सृजन की कमजोरी, जिससे विकास का लाभ आम जनता तक सीमित रूप से पहुंच पा रहा है। राजन ने कहा कि भारत में महंगाई मापने का तरीका हकीकत को पूरी तरह नहीं दिखाता। उन्होंने समझाया कि क्या हम महंगाई सही तरीके से गिन रहे हैं? जब आप अर्थशास्त्रियों से बात करते हैं तो पता चलता है कि इसमें दिक्कतें हैं, क्योंकि यह असली महंगाई को पूरी तरह नहीं दिखाता है। कभी यह हमारे लिए फायदे में होता है, कभी नुकसान में। अभी यह हमें फायदा दे रहा है, इसलिए हमारे आंकड़े अच्छे नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व गर्वनर राजन ने सिर्फ आंकड़ों की खामियों पर ही नहीं, बल्कि गहरी चिंताओं पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि आजकल ज्यादातर निवेश सरकार कर रही है, चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, लेकिन निजी क्षेत्र उतना निवेश नहीं कर रहा है। पिछले 10–12 साल से यह एक बड़ी चिंता है। अगर हम सचमुच इतनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, तो फिर निजी क्षेत्र निवेश क्यों नहीं कर रहा? यही सवाल हर अर्थशास्त्री को परेशान करता है। राजन ने कहा कि हाल ही में ग्रामीण मांग अच्छी फसल की वजह से मजबूत रही है। यह अच्छी बात है क्योंकि इससे अमीर और गरीब के बीच असमानता थोड़ी कम होती है, लेकिन शहरी इलाकों में खपत अभी भी कमजोर है। उन्होंने कहा कि हमें लंबे समय तक टिकाऊ खपत चाहिए। इसके लिए घर-परिवारों को रोजगार को लेकर भरोसा होना चाहिए। लेकिन शहरी परिवार इस मामले में ज्यादा चिंतित और परेशान हैं। उन्होंने कहा कि आपने खबरें देखी होंगी- जैसे टीसीएस नौकरियां घटा रहा है। असली समस्या यह है कि हमारी अर्थव्यवस्था उतनी अच्छी नौकरियां नहीं पैदा कर पा रही, जितनी जरूरत है ताकि मजदूरी की उम्र में आने वाले युवाओं को रोजगार मिल सके। अमेरिका की टैरिफ नीति पर राजन ने कहा कि इसका भारत पर असर सीमित होगा, लेकिन यह असर सब पर बराबर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि भारत से अमेरिका को होने वाले करीब 85 अरब डॉलर के निर्यात में से करीब 40 अरब डॉलर का मूल्य भारत में ही जोड़ा जाता है। अगर मान भी लें कि निर्यात पूरी तरह बंद हो जाए, तो भी भारत को करीब 40 अरब डॉलर यानी करीब 1 फीसदी जीडीपी का नुकसान होगा। हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि ऐसा पूरी तरह से रुकना संभव नहीं है। राजन ने चेतावनी दी कि कुछ क्षेत्रों पर असर ज्यादा हो सकता है, जैसे टेक्सटाइल और झींगा पालन। उन्होंने सुझाव दिया कि हमारे झींगा किसान ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि अमेरिकी बाजार में हमारे व्यापारी और कंपनियां अमेरिकी पक्षों के साथ मिलकर लॉबिंग करें। मौजूदा अमेरिकी प्रशासन छूट देने को तैयार दिखता है। ब्राज़ील को 50 फीसदी टैरिफ के बावजूद कई छूटें मिली हैं। राजन ने अनुमान लगाया कि अगर ये टैरिफ कुछ महीनों तक बने रहते हैं, तो भारत की जीडीपी पर 0.2 फीसदी से 0.4 फीसदी तक का असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि वह निर्यातकों की मदद करे ताकि वे अमेरिकी लॉबिंग का इस्तेमाल कर नुकसान को कम कर सकें। राजन ने भारत और चीन के रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि भारत का स्वाभाविक गठजोड़ चीन के साथ नहीं हो सकता, क्योंकि दोनों देशों के बीच गहरा ऐतिहासिक अविश्वास है। सिराज/ईएमएस 14सितंबर25