इंदौर,(ईएमएस)। मंदसौर में गांधीसागर रिट्रीट फेस्टिवल के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में हुआ हॉट एयर बैलून हादसा अब तूल पकड़ रहा है। शनिवार सुबह सीएम बैलून में सवार थे, तभी इसमें आग लग गई। गनीमत रही कि बड़ा हादसा टल गया। प्रारंभिक जांच का हवाला देते हुए बताया जा रहा है कि हॉट एयर बैलून उड़ाने वाली कंपनी के पास न तो नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से एयर ऑपरेटर परमिट है और न ही पायलट के पास ही कोई लाइसेंस। इसके बावजूद बीते तीन सालों में कंपनी सैकड़ों उड़ानें करा चुकी है। दावा किया जा रहा है कि हर साल होने वाले इस फेस्टिवल के दौरान एक दिन में औसतन 50 राइड कराई जाती हैं। नियमों के मुताबिक भारत में हॉट एयर बैलून उड़ाने के लिए डीजीसीए से बैलून पायलट लाइसेंस और एयर ऑपरेटर परमिट दोनों जरूरी हैं। डीजीसीए बैलून की मेकिंग क्वालिटी, बर्नर, बॉस्केट और गैस सिस्टम की जांच के बाद ही मंजूरी देता है। बैलून उड़ाने में प्रोपेन गैस का इस्तेमाल होता है, जिसमें लीकेज की स्थिति में आग फैलने का खतरा बढ़ जाता है। संबंधितों ने जैसा कहा कंपनी के पायलट इरफान ने दावा किया कि बैलून उड़ाने के लिए लाइसेंस जरूरी नहीं, उनका 8 साल का अनुभव ही काफी है। वहीं, इवेंट कंपनी के मैनेजर सौरभ गुप्ता का कहना है कि बैलून महज 80 फीट की ऊंचाई तक उड़ता है, इसलिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं। गौरतलब है कि आयोजन की जिम्मेदारी संभाल रही गुजरात की लल्लूजी एंड संस कंपनी पहले भी विवादों में रह चुकी है। प्रयागराज अर्धकुंभ 2019 में विवाद के चलते इसे 2020 में पांच साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था। बाद में 2021 में समझौते के बाद ब्लैकलिस्टिंग हटा दी गई। अब इस हादसे के बाद कंपनी फिर से चर्चाओं में आ गई है। हिदायत/ईएमएस 14सितंबर25