राष्ट्रीय
14-Sep-2025


114 राफेल फाइटर जेट के लिए 22 अरब डॉलर की डील वायुसेना ने भेजा प्रस्ताव केंद्र के पास पहुंचा नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत फ्रांस के साथ बहुत जल्द 114 राफेल फाइटर जेट के लिए अभूतपूर्व डील कर सकता है। इस डील का मकसद भारतीय वायुसेना के घटते लड़ाकू स्कार्डर्न की कमी को पूरा करना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन ने डील की अनुमानित लागत करीब 22 अरब डॉलर आंकी है। डील को मेक इन इंडिया के तहत किया जाएगा, जिसमें 60 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी उत्पादन शामिल है। अगर इस मेगा डील को रक्षा मंत्रालय से आखिरी मुहर लगती है, तब ये भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा डिफेंस सौदा होगा। लेकिन इसके साथ ही राफेल फाइटर जेट दुनिया का सबसे महंगा लड़ाकू विमान बन जाएगा। वायुसेना ने राफेल खरीदने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा है और अगर सौदा तय होता है, तब प्रति यूनिट राफेल फाइटर जेट की अनुमानित कीमत करीब 193 मिलियन डॉलर होगी। सौदे में सिर्फ विमानों की कीमत ही शामिल नहीं है, बल्कि प्रोडक्शन प्लांट बनाना, राफेल में लगने वाली मिसाइलें, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, ट्रेनिंग प्रोग्राम, मेंटेनेंस इंफ्रास्ट्रक्चर और लंबे समय के लिए लॉजिस्टिक्स सपोर्ट भी शामिल रहेगा है। इसके बाद अगर यह सौदा अंतिम रूप लेता है, तब यह न सिर्फ भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा। राफेल फाइटर जेट की कीमत को लेकर भारत में गंभीर सवाल उठने लगे हैं। भारत ने जब पहली बार राफेल फाइटर जेट खरीदा था, तब भी इसकी कीमत को लेकर कई महीनों तक बवाल होता रहा था। राफेल फाइटर जेट की जब इस कैटोगिरी में आने वाले दुनिया के बाकी एडवांस लड़ाकू विमानों से तुलना की जाती है, तब राफेल काफी ज्यादा महंगा साबित होता है। लेकिन रक्षा जानकारों का मानना है कि मेक इन इंडिया के तहत प्रोडक्शन, लंबे समय तक सपोर्ट पैकेज और डसॉल्ट की अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम कीमत को सही ठहराती है। राफेल की कीमत को लेकर बहस होना स्वाभाविक है, क्योंकि 114 राफेल की अनुमानित कीमत करीब 22 अरब डॉलर है। फिर भी रक्षा जानकार डील को जल्द फाइनल करने की मांग कर रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह भारतीय वायुसेना के बेड़े में लगातार कम होते लड़ाकू विमान हैं। भारतीय वायुसेना के पास मौजूदा समय में सिर्फ 31 स्क्वॉड्रन हैं, जबकि जरूरत 42 स्क्वॉड्रन की है। इससे न सिर्फ वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता प्रभावित हो रही है, बल्कि चीन और पाकिस्तान के खिलाफ टू फ्रंट युद्ध के दौरान हम मुश्किल में फंस सकते हैं। आशीष दुबे / 14 सिंतबर 2025