हाल ही में ब्रिटेन की राजधानी लंदन की सड़कों पर लाखों लोग प्रदर्शन के लिए एकत्रित हुए। इसमें एक महत्वपूर्ण संदेश गूंजा। लाखों लोग एकजुट होकर कट्टरपंथ, नफरत के खिलाफ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए सड़कों पर उतरे। यह एक ऐसा आंदोलन था, जिसने दिखा दिया, प्रेम, सहिष्णुता और लोकतंत्र की शक्ति नफरत और विभाजन से अधिक शक्तिशाली है। टॉमी रॉबिनसन के नेतृत्व में नरम दक्षिणपंथी संगठनों ने एक बड़े प्रदर्शन का आयोजन किया। इसके विरोध में ‘स्टैंड अप टू रेसिज्म’ के तहत एक विशाल काउंटर प्रोटेस्ट ने यह साबित किया। ब्रिटेन का समाज आज भी समावेशिता और मानवाधिकारों के प्रति सजग है। नेपाल के प्रदर्शन एवं सत्ता पलटने के तुरंत बाद लंदन की सड़कों पर लोखों प्रदर्शनकरी पंहुच गये हैं। ब्रिटेन भी मंहगाई, बेरोजगारी एवं नस्लवाद की समस्या से उद्देलित है। इस प्रदर्शन को दुनियां के सभी देशों में चिंता के रुप में देखा जा रहा है। दक्षिणपंथी रैली में लाखों लोग यूनियन फ्लैग, सेंट जॉर्ज क्रॉस, अमेरिकी और इजरायली झंडे को लेकर एक साथ प्रदर्शन करते नजर आए। कुछ प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के खिलाफ नारे लगा रहे थे। अवैध प्रवासियों के खिलाफ गुस्से का इज़हार कर रहे थे। इस रैली का नेतृत्व करने वाले प्रदर्शनकारी इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी का जश्न भी कह रहे थे। किसी भी लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी तभी सजीव रह सकती है। जब वह हिंसा और नफरत से परे हो। प्रदर्शन में दूसरी ओर, ‘स्टैंड अप टू रेसिज्म’ के तहत हजारों लोग पोस्टर और तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरे थे। इन पोस्टरों पर लिखा था।“टॉमी रॉबिनसन का विरोध करो”, “रिफ्यूजीज वेलकम” और “नफरत नहीं, प्रेम फैलाओ। प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह नारे लगा रहा था, लोकतांत्रिक समाज में सभी का स्वागत होना चाहिए। यह कहकर प्रदर्शन में शामिल हुआ। कुछ प्रदर्शनकारी अति दक्षिणपंथी ताकतें जो समाज पर कब्जा करना चाहती हैं। उनके विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। प्रवासियों को दोषी ठहराना, पूरी तरह से उन्हें गलत बताने का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शनकारी अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए यह प्रर्दशन लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए था। इसको लेकर यह प्रदर्शन अपने आप में यह बता रहा था ब्रिटेन में आज भी मानवीय मूल्यों का विशेष स्थान है। विरोधी गुटों को कंट्रोल करने में पुलिस की भूमिका बहुत अहम रही। मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने एक निष्पक्ष नीति अपनाई। दोनों पक्ष के प्रदर्शनकारियों के बीच एक चैन बनाकर उन्हें एक दूसरे से अलग रखा। पुलिस कमांडर क्लेयर हंस की भूमिका की सराहना हो रही है। उन्होंने इतने बड़े प्रदर्शन में अलग-अलग विचारधारा के लोग हों। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था अथवा संघर्ष की स्थिति नहीं बनने दी। ब्रिटेन के विविध समुदाय के प्रर्दशनकारी सुरक्षित रूप से अपनी अभिव्यक्ति कर पाएं। पुलिस ने इसका पूरा ध्यान रखा, उसमें वह सफल भी हुए। यह प्रदर्शन ब्रिटेन में बढ़ते प्रवासी-विरोधी रुझान को प्रदर्शित कर रहा था। एक तरफ प्रदर्शनकारी राष्ट्रीय गर्व के नाम पर विदेशी नागरिकों के प्रति नफरत का संदेश फैला रहे थे। वहीं दूसरी ओर ब्रिटेन की बहुसंख्यक समाज इस घृणा के खिलाफ आवाज उठाने एकजुट हुई। इस प्रदर्शन से स्पष्ट हो गया कि लोकतंत्र केवल बहुमत की ताकत केवल पर नहीं चल सकता है। लोकतंत्र मानवता, समानता और सहिष्णुता का प्रतीक है। समाज को समझना होगा, नफरत का प्रसार केवल आंतरिक संघर्ष और विनाश को बढ़ावा देता है। इसके मुकाबले प्रेम और आपसी सदभाव और एकजुटता का संदेश ही सामाजिक विकास एवं सुनहरे भविष्य का रास्ता है। लंदन की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने यही रास्ता दिखाया है। विभिन्न विचारधारा के लोग एकजुट होकर, बिना भय के मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए, नफरत के खिलाफ एक साथ अभिव्यक्ति व्यक्त कर सकते हैं। लंदन का यह आंदोलन पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। जिसने साबित किया है, अपने-अपने विचारों के साथ मानवीय संवेदनाओं के साथ विभिन्न विचारधारा के लोग प्रेम से एक साथ रह सकते है। ब्रिटेन एक मामले में और भी अन्य देशों से अलग है। यहां पर राजशाही की व्यवस्था होते हुए ,लोकतांत्रिक व्यवस्था एक साथ चल रही है। ब्रिटेन के लोग अपनी परंपराओं और अपने रीति-रिवाज को लेकर काफी सजग रहते हैं । शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखते हैं। अपनी-अपनी विचारधारा का पालन करते हुए पूरे समाज में शांति बनाए रखते हैं। इसके लिए ब्रिटेन को आज भी दुनिया का श्रेष्ठ देश माना जाता है। लंदन में हुए हाल के प्रदर्शन से यह साबित होता है। विभिन्न विचारधारा के लोग एक साथ रहते हुए प्रेम एवं सद्भाव के साथ सभी को समान अधिकार के रुप में देखते हैं। अपनी विचारधार किसी के उपर थोपते नहीं हैं। स्वतंत्र रुप से अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकते हैं। ब्रिटेन की खूबी उसे अन्य देशों से प्रथक रखती है। ईएमएस/15/09/2025