क्षेत्रीय
15-Sep-2025
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० काछन देवी के रूप में इस वर्ष भी पीहू ने शुरु की साधना जगदलपुर,(ईएमएस)। बस्तर दशहरा के प्रमुख विधान काछनगादी में जिन नाबालिग कन्याओं को देवी स्वरूपा मानकर बेल के कांटों के झूले में झुलाया जाता है, उन्हें बस्तरवासी देवी का रूप मानते हैं। पिछले दो वर्षों से पीहू दास काछन देवी बनकर दशहरा पर्व की अनुमति देती आ रही हैं। इस वर्ष भी पीहू ने पुनः काछन देवी के रूप में उपासना प्रारंभ कर दी है, जो दशहरा पर्व के समापन तक जारी रहेगी। ज्ञात हो कि बस्तर दशहरा पर्व के दौरान भंगाराम चौक स्थित काछन गुड़ी में एक नाबालिग लड़की को काछन देवी के रूप में श्रृंगारित कर बेल कांटा के झूले में झुलाया जाता है। इस वर्ष काछन पूजा विधान 21 सितंबर की शाम को संपन्न होगा। बीते 20 वर्षों में उर्मिला, कुंती, विशाखा और अनुराधा काछन देवी बन चुकी हैं, जबकि पिछले दो वर्षों से पीहू दास यह दायित्त्व निभा रही है। काछनगादी पूजा विधान के दिन पीहू दशहरा पर्व मनाने की अनुमति देगी। कक्षा तीसरी में अध्ययनरत पीहू ने बताया कि दशहरा पर्व के दौरान पखवाड़ेभर उपासना के कारण पढ़ाई प्रभावित होती है। इस कारण वह थोड़ी चिंतित रहती हैं। पीहू ने बताया कि दशहरा पर्व के बाद अपनी सहेलियों की मदद से स्कूल में पढ़ाये गए विषय को पूरा करती हूं, मां दंतेश्वरी की कृपा से कोई परेशानी नहीं होती है। दंतेश्वरी वार्ड निवासी पीहू दास, जो इस वर्ष तीसरी बार काछन देवी बनी है, का कहना है कि देवी बनना उन्हें अच्छा लगता है, और इस तरह का सम्मान भविष्य में भी पाना चाहती है। इसी कारण वे मन लगाकर पढ़ाई कर भविष्य में आईएएस अफसर बनने का सपना देख रही है। पीहू विद्या ज्योति स्कूल में अध्ययनरत है। सुधीर जैन /चंद्राकर/15 सितम्बर 2025