17-Sep-2025
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काठमांडू (ईएमएस)। नेपाल में जेन-जेड की भड़की आग ने नेपाल में बहुत कुछ जलाकर राख कर दिया। यहां तक की सरकार भी नहीं बची और तख्ता पलट हो गया। अब इस हिंसा के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। यहां के टूरिज्म सेक्टर को भारी नुकसान हुआ है और अनगिनत लोगों के रोजगार छिन गए। दरअसल, नेपाल में विरोध प्रदर्शन ठीक उसी समय शुरू हुए, जब देश में टूरिज्म अपने पीक पर जाने वाला था। इससे उन व्यवसायों को झटका लगा है, जो दुनिया भर से ट्रेकर्स का स्वागत करने की तैयारी कर रहे थे। नेपाल में सरकार विरोधी आंदोलन की वजह से पर्यटकों की संख्या में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। काठमांडू के चहल-पहल वाले पर्यटन केंद्र थमेल जैसी जगहों की सुव्यवस्थित गलियों में स्थित दुकानें, पब और रेस्टोरेंट, हिंसक भ्रष्टाचार विरोधी विरोध प्रदर्शन के बाद फिर से खुलने के बाद भी लगभग वीरान रहे। ओली सरकार के खिलाफ इस विरोध प्रदर्शन में 72 लोग मारे गए थे। 2,000 से अधिक लोग घायल हुए थे। हालांकि, जेन-जी क्रांति की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा था। नेपाल के पर्यटन प्राधिकरण, होटल मालिकों और ट्रेक आयोजकों ने कहा कि पिछले साल की तुलना में पर्यटकों की संख्या में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। नेपाल में उथल-पुथल के के कारण बुकिंग रद्द हो रही हैं। 49 साल के रामचंद्र गिरि ने कहा, मैं बाहर बेकार बैठा हूं, क्योंकि कोई पर्यटक नहीं है… कई समूहों ने सितंबर में अपनी बुकिंग रद्द कर दी है। रामचंद्र गिरि ट्रैकिंग अभियानों का आयोजन करते हैं और एक जापानी रेस्टोरेंट के मालिक हैं। उन्होंने कहा कि उनके 35प्रतिशत मेहमानों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी है। एक अन्य होटल मालकिन रेणु बनिया ने कहा कि अगले महीने के लिए सभी बुकिंग पूरी तरह से रद्द कर दी गई हैं। बता दें कि नेपाल के संकट को देखते हुए भारत समेत कई देशों ने अपने नागरिकों से गैर जरूरी यात्रा न करने की सलाह दी है। इसके कारण नेपाल आने वाले विदेशी टूरिस्टों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है।विदेशी पर्यटक आमतौर पर राजधानी से अपनी यात्राएं शुरू करते हैं मगर बीते दिनों जलती हुई संसद और हिल्टन होटल की नाटकीय तस्वीरों के बाद कई देशों ने नेपाल की गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह जारी की है। नेपाल में सालाना 12 लाख पर्यटक आते हैं और यह टूरिज्म सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 8 प्रतिशत का योगदान देता है। सितंबर से दिसंबर तक का समय टूरिज्म का पीक यानी पर्यटन का चरम मौसम माना जाता है।नेपाल के ट्रैकिंग ट्रेल्स में दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट का बेस कैंप भी शामिल है, जो साहसी लोगों को हिमालय की गोद में खींच लाता है। नेपाल पर्यटन बोर्ड के सीईओ दीपक राज जोशी ने बताया कि सरकारी इमारतों और कुछ होटलों को हुए नुकसान से न केवल पर्यटकों, बल्कि निवेशकों को भी निगेटिव संदेश यानी नकारात्मक संदेश जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों की आमद सामान्य से 30 प्रतिशत कम है। वीरेंद्र/ईएमएस 17 सितंबर 2025