जिम्मेदार नहीं बनवा पाये नदी पर पुल और झोर पर पुलिया, वर्षो से कर रहे मांग मरीजों को अस्पताल, बच्चों को स्कूल और ग्रामीणों को बाजार जाने में उठानी पड़ रही परेशानी अशोकनगर (ईएमएस)। जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत झागर की आदिवासी बस्ती हुरी चक्क में आजादी के बाद से विकास की बाट जोह रहे ग्रामीणों को नेताओं के आश्वासन तो खूब मिले लेकिन उनके पास अभी तक विकास नहीं पहुंचा, कई बार सांसद, कलेक्टर को शिकायत करने के बाद भी उनकी समस्या जस की तस है। ग्रामीण को आवागमन के लिए नदी पर एक पुल नाले पर एक पुलिया और एक सड़क की जरूरत है। जिससे उनका भी बारह महीने गांव से शहर का संपर्क हो सके। करीब सौ-डेढ़ सौ घर की इस आदिवासी बस्ती में आने-जाने के लिए रास्ते में एक नदी तथा एक झोरा पड़ता है, ना तो गांव में सड़क है ना नदी पर पुल, कई वर्ष पूर्व पुलिया टूट गई। ऐसे में स्कूल के बच्चों को नदी और झोरे पार कर कच्चे रास्तों से स्कूल जाना पड़ता है। बारिश के मौसम में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है जिसके चलते 1 से 2 माह तक उनका स्कूल जाना बंद हो जाता है। गांव में कोई अगर बीमार पड़ जाए, तो उसे खटिया पर रखकर गले तक पानी में होकर से गुजरना पड़ता है, अथवा 10 किलोमीटर का चक्कर लगाकर अशोकनगर अस्पताल ले जाना पड़ता है। इस स्थिति में ग्रामीणों की हालत बहुत खराब है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी खाट पर रखकर प्रसव के लिए अस्पताल ले जाया जाता है। बारिश के मौसम में स्थिति और भी विकट हो जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि गंभीर हालत में अगर मरीज को समय पर उपचार के लिए अस्पताल न पहुंच पाए तो बीच में ही दम तोड़ देता है। कई बार ऐसा हो भी चुका है। ग्रामीणों की शासन प्रशासन से मांग है कि उनके गांव जाने आने के लिए पक्की सड़क तथा नदी नाले पर पुल पुलिया शीघ्र बनवाई जाए जिससे लोगों को आवागमन की सुविधा मिल सके। मरीजों को अस्पताल और बच्चों स्कूल जाने में होती है परेशानी: इस संबंध में गांव के नंदराम यादव ने बताया कि आदिवासी बस्ती हुरी चक्क में सौ डेढ़ सौ घर है,आवागमन के साधन नहीं है नदी, नाले के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। बीमार, गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने तथा सबसे अधिक परेशानी स्कूल के बच्चों को आती है, बारिश के समय स्कूल नहीं जा पाते, हमने पूर्व में कलेक्टर तथा सांसद के पी यादव,को आवेदन देकर समस्या बताई, लेकिन किसी ने भी समाधान नहीं किया। पिछले दिनों हमारे पिताजी की तबीयत खराब हुई,गंभीर स्थिति में उन्हें 10 किलोमीटर चक्कर लगाकर अस्पताल ले जाना पड़ा, अगर सड़क होती तो जल्द अस्पताल पहुंच जाते। नदी, झोरे में से निकाल कर जाते हैं स्कूल: गांव की कक्षा आठवीं में पढ़ने वाली स्कूली छात्रा मुस्कान आदिवासी ने बताया कि गांव में नदी, झोरे पर पुल पुलिया नहीं है, सड़क भी नहीं होने की वजह से कच्चे रास्ते, नदी झौरे से होकर स्कूल जाना पड़ता है। बारिश में स्कूल नहीं जा पाते। एक वृद्ध महिला सरोज बाई ने बताया कि हमारी पूरी जिंदगी निकल गई, गाय को चारा लेने जाने या अन्य काम से दूसरे गांव शहर जाने के लिए नदी झोरे में से गले गले पानी में से निकल कर जाना आना पड़ता है, ना तो गांव में सड़क है ना पुल-पुलिया। बीमार दुखी को खाट पर रखकर अस्पताल ले जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में आती है। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ने बताया बड़ी परेशानी है: ग्राम हुरी के शासकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक वाहिद खान ने बताया कि सन 2017 से प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक हैं, नदी पर पुल और सड़क न होने की वजह से बहुत परेशानी होती है,मोटर साइकिल दूसरी तरफ रखकर 3 किलोमीटर पैदल चलकर आना पड़ता है। हमने ग्रामीणों के माध्यम से तत्कालीन सांसद केपी यादव को समस्या के संबंध में आवेदन दिया। लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। सिंधिया के क्षेत्र में नहीं पहुंचा विकास: विकास की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले क्षेत्र के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के संसदीय क्षेत्र की ग्राम पंचायत की आदिवासी बस्ती हुरी चक्क में आजादी के बाद से अभी तक विकास नहीं पहुंच सका। जबकि इस क्षेत्र में एकाध बार की बात छोड़ दें, तो शुरू से अभी तक सिंधिया परिवार का ही प्रतिनिधि रहा है, ऐसे में, आदिवासी बस्ती के लिए एक सड़क ना होना विकास के दावों की पोल खोलता है। अपनी समस्या को लेकर ग्रामीणों ने सांसद ज्योतिरादित सिंधिया, तत्कालीन सांसद केपी यादव, कलेक्टर सुभाष द्विवेदी तथा वर्तमान कलेक्टर आदित्य सिंह को भी आवेदन दे दिया। लेकिन अभी तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। / ईएमएस / दिनांक 17/9/025