राष्ट्रीय
18-Sep-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक नया रक्षा समझौता किया है, जिसे स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट नाम दिया है। समझौते के तहत यदि किसी एक देश पर हमला होता है, तब हमले को दोनों पर हमला माना जाएगा। इसका मकसद रक्षा सहयोग को मजबूत करना और साझा सुरक्षा उपाय खोजना है। हालांकि यह कोई नया प्रयोग नहीं है। करीब एक दशक पहले दोनों देशों ने मिलकर इस्लामी सैन्य गठबंधन बनाया था। दिसंबर 2015 में सऊदी अरब के तत्कालीन रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने इसकी घोषणा की थी। पाकिस्तान के समर्थन से बना यह गठबंधन शुरू में 34 मुस्लिम देशों का था, बाद में इसमें 42 देश शामिल हुए। इस गठबंधन की कमान पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ को दी गई थी। रियाद में इसका ऑपरेशनल सेंटर खोला गया और उद्देश्य रखा गया कि आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसक विचारधाराओं के खिलाफ संयुक्त सैन्य कार्रवाई की जाएगी। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इसका समर्थन किया, लेकिन संसद में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान यमन युद्ध जैसे संघर्षों में हिस्सा नहीं लेगा और तटस्थ भूमिका बनाए रखेगा। बावजूद इसके, घरेलू राजनीति में इसका विरोध हुआ, क्योंकि ईरान को इसमें शामिल नहीं किया गया था और यह गठबंधन शिया–सुन्नी ध्रुवीकरण का प्रतीक माना गया। कुछ ही वर्षों में यह गठबंधन निष्क्रिय हो गया। इसके पीछे कई कारण रहे: ईरान, इराक और सीरिया जैसे बड़े मुस्लिम देशों की गैर मौजूदगी ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए। इस सऊदी–ईरान प्रतिद्वंद्विता और यमन युद्ध से जोड़कर देखा गया। गठबंधन के तहत किसी भी बड़े आतंकी गुट, यहां तक कि आईएसआईएस के खिलाफ भी कोई सैन्य अभियान नहीं चलाया गया। 2016 में एक संयुक्त सैन्य अभ्यास जरूर हुआ, लेकिन उसके बाद गतिविधियां लगभग ठप पड़ गईं। आशीष दुबे / 18 सिंतबर 2025