मॉस्को(ईएमएस)। रूस और बेलारूस ने सितंबर 2025 में बड़े स्तर का सैन्य अभ्यास जापद-2025 शुरू कर दिया है और यह सिर्फ़ सामान्य युद्धाभ्यास नहीं दिखता। जो जगह सबसे ज़्यादा सेंसेटिव है, वह है बाल्टिक देशों को जोड़ने वाला छोटा-सा सुवाल्की गैप। अगर इस 65–100 किलोमीटर की जमीन पर किसी तरह कब्ज़ा हो गया, तो लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया तीनों बाल्टिक देशों को रूस नाटो के मुख्य भाग से अलग कर सकता है। यही वजह है कि हर कोई अब इसी पट्टी की तरफ टकटकी लगाए हुए है। माना जा रहा है कि ये तीसरे विश्वयुद्ध की आहट हो सकती है। रूस का पश्चिमी एनक्लेव कलिनिनग्राद बाल्टिक सागर पर है और मुख्य रूस से जमीन से अलग है। कलिनिनग्राद में पहले से ही भारी हवाई-रक्षा और आर्मेड सिस्टम- जैसे एस-400 और इस्कंदर मिसाइल यूनिट्स तैनात हैं, जो पूरी बाल्टिक पट्टी और कई यूरोपीय लक्ष्यों को निशाना बना सकती हैं। इसलिए सुवाल्की गैप का तत्काल कब्जा कलिनिनग्राद को जमीन से जोड़ने जैसी ही रणनीतिक जीत होती।1991 में सोवियत संघ टूटने के बाद कई देश रूस से अलग हुए। बेलारूस और यूक्रेन उनमें से थे। बेलारूस जियो-पॉलिटिक तौर पर रूस के साथ काफी नजदीक है। इसके पश्चिम में पोलैंड (जो नाटो सदस्य है), दक्षिण में यूक्रेन और उत्तर-पश्चिम में बाल्टिक देश आते हैं। बेलारूस और रूस की दोस्ती में सैन्य सहयोग ने इस इलाके को संवेदनशील बना दिया है। सियासी धरातल यही है जिसकी वजह से जापद-2025 को गंभीरता से लिया जा रहा है। रूस और बेलारूस ने जापद-2025 में क्रूज मिसाइल लॉन्च, ड्रोन ऑपरेशन, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी की परिक्षण जैसी गतिविधियाँ दिखाई हैं। कुछ रिपोर्टों में अभ्यास के दौरान न्यूक्लियर-क्षमता वाले हथियारों की ‘रिहर्सल’ का भी जिक्र आया है जो निर्भयता और नाटक दोनों का संकेत है। रूस की आधिकारिक गिनती और विश्लेषकों की गिनती में फर्क है। मॉस्को बड़े फोर्स का जिक्र करता है, जबकि विशेषज्ञ अनुमानित सैन्य ताकत अलग बता रहे हैं। इस अभ्यास को कई देश और वहां भेजे गए विदेशी निरीक्षक भी देख रहे हैं। वीरेंद्र/ईएमएस 19 सितंबर 2025