वॉशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिका लगातार भारत और चीन के लिए चुनौतियां खड़ी कर रहा है। इस पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका की शुल्क और दबाव की राजनीति की कड़ी आलोचना की है। साथ ही उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि भारत और चीन जैसी प्राचीन सभ्यताओं को धमकियों और अल्टीमेटम से डराया नहीं जा सकता है। लावरोव रूस के एक टीवी कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत और चीन जैसे देशों से रूसी ऊर्जा खरीद बंद करने की मांग उल्टा असर डाल रही है। लावरोव ने कहा कि रूस नए प्रतिबंधों से चिंतित नहीं है। उन्होंने कहा, सच कहूं तो मुझे इन नए प्रतिबंधों में कोई समस्या नहीं दिखती। ट्रंप के पहले कार्यकाल में ही हमारे खिलाफ अभूतपूर्व स्तर के प्रतिबंध लगाए गए थे। हमने तब से सबक सीखा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जो बाइडेन के कार्यकाल में प्रतिबंधों को कूटनीति का विकल्प बना दिया गया और समझौते की कोई कोशिश नहीं हुई। भारत ने अमेरिका की कार्रवाई को अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक करार दिया है। भारत का कहना है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह राष्ट्रीय हित और बाजार की परिस्थितियों पर आधारित है, न कि किसी बाहरी दबाव पर। लावरोव ने अमेरिकी की टैरिफ नीतियों की आलोचना करते हुए कहा, इससे देश नए ऊर्जा बाजार और संसाधन तलाशने पर मजबूर हो रहे हैं और उन्हें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। पिछले कुछ हफ्तों से डोनाल्ड ट्रंप और उनके शीर्ष अधिकारियों ने भारत को रूस से तेल खरीदने पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि भारत यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहा है। भारत ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि उसका ऊर्जा आयात राष्ट्रीय हित और बाजार की जरूरतों पर आधारित है। रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका का रुख नैतिक और राजनीतिक तौर पर गलत है। लावरोव ने जोर देकर कहा, भारत और चीन प्राचीन सभ्यताएं हैं। उनसे इस भाषा में बात करना कि या तो वह करो जो मुझे पसंद है वरना मैं शुल्क लगा दूंगा यह काम नहीं करेगा। वीरेंद्र/ईएमएस/19सितंबर2025 -----------------------------------