इस्लामाबाद (ईएमएस)। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अब केवल दरी बिछाने का काम कर रहे हैं। यहां के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ही चौरफा दिखाई दे रहे हैं। जानकारों का मानना है कि यह सब महज औपचारिकता नहीं बल्कि सोझी-समझी रणनीति है, जिसके जरिये सेना अपनी पकड़ सरकार पर और मजबूत करती दिख रही है। एक चुनी हुई सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ लगातार सेना के नेतृत्व को वैश्विक मंचों पर सामने ला रहे हैं। हाल ही में हुए विदेश दौरों में शरीफ के साथ मुनीर की मौजूदगी ने साफ संकेत दिया है कि पाकिस्तान की सियासत में सेना का कद और असर नागरिक नेतृत्व से कहीं आगे बढ़ चुका है। शहबाज शरीफ का 17 सितंबर से शुरू हुआ विदेश दौरा सऊदी अरब, ब्रिटेन और अमेरिका तक फैला रहा। इस दौरान आर्मी चीफ मुनीर भी हर जगह शरीफ के साथ नजर आए। रियाद में तो दोनों ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की और एक नए रक्षा समझौते को अंतिम रूप दिया, जिसके तहत किसी एक देश पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा। यह समझौता पाकिस्तान की कूटनीति में सेना की सीधी भूमिका का सबूत है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव महज दिखावा नहीं बल्कि पाकिस्तान की आंतरिक सियासत का नया चेहरा है, जिसमें नागरिक सरकार की भूमिका सीमित और सेना का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। इसे शरीफ की कमजोरी और सेना की महत्वाकांक्षा का नतीजा भी माना जा रहा है, जहां विदेशी नीति से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक हर मसले पर सेना की दखल साफ नजर आ रही है। चीन में भी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के दौरान मुनीर ने प्रधानमंत्री शरीफ के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यहां भी बातचीत रक्षा से आगे निकलकर राजनीतिक और रणनीतिक मुद्दों तक गई, जिससे यह धारणा और पुख्ता हुई कि पाकिस्तान की कूटनीति अब सेना के हाथों में है। दरअसल, शरीफ के साथ हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुनीर की मौजूदगी यह संदेश दे रही है कि पाकिस्तान की विदेश नीति और कूटनीतिक दिशा तय करने में सेना का दखल सबसे ऊपर है। यह सिलसिला न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि को प्रभावित कर रहा है, बल्कि घरेलू राजनीति में भी इस धारणा को मजबूत कर रहा है कि असली ताक़त नागरिक सरकार नहीं बल्कि सेना के पास है। अमेरिका में 22 से 26 सितंबर तक चलने वाले कार्यक्रम में शरीफ के साथ मुनीर की मौजूदगी और भी अहम मानी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चुनिंदा मुस्लिम देशों के नेताओं के साथ होने वाली बैठक में मुनीर की भागीदारी ने उनके वैश्विक कद को और मजबूत कर दिया है। यह वही मुनीर हैं, जिन्हें ट्रंप ने जून में व्हाइट हाउस बुलाकर सीधे मुलाकात की थी। विश्लेषकों के मुताबिक, यह घटना पाकिस्तान सेना प्रमुख के लिए असाधारण थी और इसने उनके प्रभाव को सियासत तक फैला दिया। वीरेंद्र/ईएमएस 24 सितंबर 2025