ज़रा हटके
30-Sep-2025
...


तेलअवीव (ईएमएस)। 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इज़राइल पर हमला किया, तब गाजा क्षेत्र में तबाही का ऐसा मंजर देखने को मिला कि वहां की पहचान करना मुश्किल हो गया। इस बीच, इजराइल ने ईरान, सीरिया, लेबनान और कतर तक निशाने साधे। इन हमलों में हिज्बुल्लाह विद्रोहियों को पेजर ब्लास्ट के जरिए निशाने पर लिया गया, जिसमें इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के शामिल होने की बात सामने आई। इस घटना के बाद मोसाद के काम करने के तरीके ने विशेषज्ञों को भी हैरान कर दिया। इस एजेंसी की हत्याओं और ऑपरेशनों पर पत्रकार ने अपनी किताब में विस्तार से प्रकाश डाला है। उन्होंने किताब के लिए नेताओं, पूर्व एजेंट और विशेषज्ञों से हजारों इंटरव्यू किए। पत्रकार रोनेन के अनुसार, “दूसरे विश्व युद्ध के बाद से पश्चिमी दुनिया में सबसे अधिक हत्याएं इजराइल ने की हैं।” किताब में नैतिक सवाल भी उठाए गए हैं। रोनेन ने लिखा कि जब कोई देश अपनी सुरक्षा और अस्तित्व के लिए हत्या का रास्ता अपनाता है, तब इससे कई नैतिक दुविधाएं पैदा होती हैं। एक ऐसा देश, जो शरणार्थियों की सुरक्षा के लिए बना, क्या विरोधियों की हत्या करना उसके लिए न्यायसंगत है? इजराइल के लिए हत्याओं का सिलसिला दशकों पुराना है। किताब में एक पूर्व हत्यारे का जिक्र किया गया है, जिसमें बताया कि 1944 में उसने येरूशलम में एक ब्रिटिश ऑफिसर की हत्या की थी। उस समय, ब्रिटिश कब्ज़े में फ़लस्तीन था और उनका मानना था कि जितने ज्यादा अंग्रेजों के शव लंदन पहुंचते हैं, उनकी आजादी का दिन उतना करीब आएगा। इजराइल के अस्तित्व के डर ने मोसाद की रणनीति को आकार दिया। अलग देश बनने से पहले यहूदी अंडरग्राउंड मूवमेंट में शामिल कई लोग बाद में सत्ता के शीर्ष पदों पर पहुंचे। हिटलर के होलोकॉस्ट और यहूदियों पर अत्याचारों का गहरा साया आज भी मोसाद के मिशनों में देखा जा सकता है। पूर्व मोसाद चीफ ने रोनेन को बताया कि उनकी एजेंसी कभी भी होलोकॉस्ट जैसी स्थिति में नहीं फंसेगी। मोसाद की रणनीतियां और ऑपरेशन हमेशा चौंकाने वाले और रहस्यमय रहे हैं। रोनेन की किताब में दर्ज कई घटनाएं इस खुफिया एजेंसी की सूक्ष्म योजना, कठोर निर्णय और सर्वाइवल के लिए की गई हत्याओं को उजागर करती हैं। आज इज़राइल-फ़लस्तीन संघर्ष को समझने के लिए मोसाद की कार्यप्रणाली एक महत्वपूर्ण संदर्भ बन चुकी है। आशीष/ईएमएस 30 सितंबर 2025