अंतर्राष्ट्रीय
01-Oct-2025
...


लंदन (ईएमएस)। नाक की एलर्जी यानी ‘एलर्जिक राइनाइटिस’ एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज को लगातार छींक आना, नाक बहना, खुजली और आंखों से पानी आने जैसी परेशानी होती है। कई बार यह समस्या सर्दी-जुकाम जैसी लगती है, लेकिन वास्तव में यह एक लंबी अवधि की स्वास्थ्य समस्या है। चिकित्सक बताते हैं कि हवा में मौजूद परागकण, धूल, धुआं, पालतू जानवरों के रोएं और प्रदूषण इसके मुख्य कारण हैं। हाल ही में किए गए स्वास्थ्य सर्वेक्षणों में पाया गया है कि शहरी इलाकों में रहने वाले लोग ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक प्रभावित हो रहे हैं। लगातार एसी में रहना, धूलभरे वातावरण का सामना करना और कमजोर इम्यूनिटी इस समस्या को और बढ़ा देते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि नाक की एलर्जी का सीधा असर नींद पर भी पड़ता है। रात में बार-बार छींक या सांस लेने में दिक्कत के कारण मरीज को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती, जिससे थकान और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि अगर नाक की एलर्जी का सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह आगे चलकर साइनसाइटिस, कान की बीमारियों और यहां तक कि अस्थमा तक का कारण बन सकती है। इसलिए शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद जरूरी है। दवाओं के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव भी उपचार का अहम हिस्सा है। धूल और प्रदूषण से बचाव, घर की नियमित सफाई, मास्क का उपयोग और परागकण वाले मौसम में सतर्कता जरूरी है। कई मामलों में एलर्जी टेस्ट कराकर यह पता लगाया जा सकता है कि मरीज किस चीज से अधिक प्रभावित हो रहा है। उसके बाद चिकित्सक उसी के हिसाब से दवाओं या इम्यूनोथेरेपी की सलाह देते हैं। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि नाक की एलर्जी को पूरी तरह खत्म करना संभव तो नहीं है, लेकिन सतर्कता और सही इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। बदलते मौसम और बढ़ते प्रदूषण के बीच देश में नाक की एलर्जी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि इसे हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि समय पर इलाज न मिलने पर यह समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है और मरीज की जीवनशैली को बुरी तरह प्रभावित कर देती है। सुदामा/ईएमएस 01 अक्टूबर 2025