01-Oct-2025
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राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दिया आदेश बीजिंग (ईएमएस)। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) लंबे समय से अपने देश में धर्म और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर सख्त नीतियां अपनाती रही है। अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने फिर स्पष्ट किया है कि चीन में मौजूद सभी धर्मों को “सोशलिस्ट समाज और चीनी संस्कृति के साथ और अधिक अनुकूल” होना पड़ेगा। इस ही पार्टी धर्मों का चीनीकरण कह रही है। रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ पार्टी की सेंट्रल कमेटी की ग्रुप स्टडी बैठक की अध्यक्षता कर शी ने कहा कि सभी मजहबों को इस तरह गाइड कर कि वे चीन की समाजवादी व्यवस्था, राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति के अनुरूप ढलें। क्या है सिनिसाइजेशन? सिनिसाइजेशन का अर्थ है चीन में मौजूद हर धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को इसतरह से ढालना कि वे चीनी संस्कृति और साम्यवादी विचारधारा से मेल खाए। इसका मतलब है कि नागरिक अपनी निजी धार्मिक मान्यताओं को त्यागकर चीनी प्रतीकों और परंपराओं को अपनाएं। मस्जिदों, चर्चों और मंदिरों को विदेशी स्थापत्य शैली से हटाकर चीनी शैली में बदला जा रहा है। धार्मिक नेताओं और संस्थाओं को सीसीपी की नीतियों का पालन करना अनिवार्य है। चीन में मस्जिदों के गुंबद और मीनारें तोड़ी जा रही हैं, और उन्हें पैगोड़ा या बौद्ध मंदिर जैसी चीनी शैली में बदला जा रहा है। चर्चों पर क्रॉस की जगह चीनी प्रतीकों का इस्तेमाल हो रहा है। उइगर मुस्लिमों को बड़े पैमाने पर पुनर्शिक्षा शिविरों में भेजा गया, जहां उन्हें चीनी भाषा, संस्कृति और कम्युनिस्ट विचारधारा सिखाई जा रही है। तिब्बती बौद्धों पर मठों और भिक्षुओं की नियुक्ति तक में सरकारी दखल है, और दलाई लामा जैसी धार्मिक नेतृत्व की परंपराओं को कमजोर किया जा रहा है। चीनी सरकार का कहना है कि नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता है, लेकिन “पार्टी द्वारा तय मानदंडों” के भीतर। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला और अल्पसंख्यक समुदायों की सांस्कृतिक पहचान मिटाने की कोशिश बताया जा रहा है। क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट? जिनपिंग का मानना है कि धर्मों का चीनीकरण देश में धार्मिक सौहार्द, जातीय एकता और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करेगा। लेकिन आलोचक कहते हैं कि असल मकसद अल्पसंख्यकों की अलग पहचान को खत्म करके उन्हें पूरी तरह कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा और चीनी राष्ट्रवाद के अधीन करना है। आशीष दुबे / 30 सितंबर 2025