राष्ट्रीय
05-Oct-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आज की तेज-तर्रार और दबाव भरी खेल दुनिया में खिलाड़ी सिर्फ अपने अभ्यास और फिटनेस पर ही नहीं, बल्कि छोटी-छोटी आदतों पर भी खास ध्यान देते हैं। यही आदतें उन्हें मैदान पर बेहतर प्रदर्शन करने और मानसिक रूप से मजबूत बने रहने में मदद करती हैं। इनमें बैठकर पानी पीना और मैच के दौरान च्युइंग गम चबाना खासतौर पर उल्लेखनीय हैं। पहली नज़र में ये आम बातें लग सकती हैं, लेकिन इनका सीधा असर खिलाड़ियों के शरीर और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों के अनुसार, खड़े होकर पानी पीना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। जब कोई व्यक्ति खड़े होकर पानी पीता है तो पानी तेजी से नीचे उतरता है और सीधे किडनी पर दबाव डालता है। यह न सिर्फ पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, बल्कि लंबे समय में किडनी से जुड़ी दिक्कतें भी पैदा कर सकता है। वहीं, बैठकर पानी पीने से यह धीरे-धीरे शरीर में समाहित होता है और हाइड्रेशन बेहतर होता है। यही कारण है कि खिलाड़ियों को मैदान में और अभ्यास के दौरान बैठकर पानी पीते हुए अक्सर देखा जाता है। इससे न सिर्फ शरीर में पानी का संतुलन बना रहता है, बल्कि मांसपेशियों में ऐंठन यानी क्रैम्प्स की समस्या भी कम होती है। दूसरी ओर, खिलाड़ियों के बीच मैच के दौरान च्युइंग गम चबाना भी एक आम लेकिन महत्वपूर्ण आदत है। कई लोग इसे सिर्फ स्टाइल या फैशन मानते हैं, लेकिन साइकोलॉजिकल और न्यूरोलॉजिकल रिसर्च बताती है कि च्युइंग गम चबाने से मानसिक तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है। जबड़े की मांसपेशियों की हल्की गतिविधि खिलाड़ी को रिलैक्स रखती है, जिससे शरीर में कॉर्टिसोल यानी स्ट्रेस हार्मोन का स्तर कम होता है। यही कारण है कि प्रेशर भरे मैचों के दौरान खिलाड़ी इसे अपनाते हैं। यह आदत उन्हें मैदान में शांत और केंद्रित बनाए रखती है, जिससे गेंद, रन रेट और रणनीति पर उनका ध्यान ज्यादा रहता है। क्रिकेट और अन्य खेल केवल शारीरिक क्षमता का नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती का भी खेल हैं। एक खिलाड़ी का निर्णय, उसका फोकस और उसकी मानसिक स्थिति मैच के नतीजे को बदल सकती है। ऐसे में ये छोटी-छोटी आदतें बड़ी भूमिका निभाती हैं। बैठकर पानी पीना शरीर को संतुलित रखता है और चोटों का खतरा कम करता है, वहीं च्युइंग गम चबाना खिलाड़ी को दबाव भरे माहौल में स्थिर और तेज रिफ्लेक्स वाला बनाता है। अगली बार जब आप मैदान पर किसी खिलाड़ी को बैठकर पानी पीते या च्युइंग गम चबाते देखें, तो समझ जाइए कि यह केवल एक रिवाज नहीं बल्कि एक सोची-समझी वैज्ञानिक रणनीति है। इन आदतों को अपनाकर आम लोग भी न केवल अपनी सेहत सुधार सकते हैं, बल्कि मानसिक मजबूती और एकाग्रता भी बढ़ा सकते हैं। यही छोटे-छोटे बदलाव लंबे समय में जीवन और प्रदर्शन दोनों पर सकारात्मक असर डालते हैं। डेविड/ईएमएस 05 अक्टूबर 2025