व्यापार
09-Oct-2025
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अमेरिका की 47 फीसदी जेनेरिक दवाएं भारत से आयात की जाती हैं वाशिंगटन (ईएमएस)। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने फिलहाल भारतीय जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाने की योजना टाल दी है, जिससे भारतीय दवा कंपनियों और अमेरिकी उपभोक्ताओं दोनों को बड़ी राहत मिली है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग 47 फीसदी जेनेरिक दवाएं भारत से आयात की जाती हैं। टैरिफ लगाने की योजना का उद्देश्य दवा निर्माण को अमेरिका में वापस लाना था, जिसे ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (एमएजीए) समर्थकों ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा। लेकिन ट्रंप की घरेलू नीति परिषद के कुछ सदस्य इसके खिलाफ थे। उनका तर्क था कि इससे न केवल दवाएं महंगी होंगी, बल्कि आपूर्ति संकट भी उत्पन्न हो सकता है। भारत जैसे देशों में जेनेरिक दवाओं का उत्पादन अमेरिका की तुलना में कहीं सस्ता है, जिससे अमेरिकी उत्पादन प्रतिस्पर्धी नहीं बन पाता। आईक्यूवीआईए के अनुसार, अमेरिका की फार्मेसियों में बिकने वाली लगभग आधी जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं, जबकि घरेलू अमेरिकी कंपनियों की हिस्सेदारी सिर्फ 30 प्रतिशत है। मेटफॉर्मिन (डायबिटीज), एटोरवास्टेटिन (कोलेस्ट्रॉल), लोसार्टन (ब्लड प्रेशर) और एंटीबायोटिक्स जैसी आम दवाओं की सप्लाई में भारत अग्रणी है। चीन के साथ पिछले टैरिफ युद्धों में हुए नुकसान को देखते हुए ट्रंप प्रशासन नहीं चाहता था कि दवा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी जनता को कीमतों की मार झेलनी पड़े। ऐसे में, जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाने की योजना को रोकना एक व्यावहारिक फैसला माना जा रहा है। सतीश मोरे/09अक्टूबर