राष्ट्रीय
12-Oct-2025
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जगह-जगह हो रहा मीटर लगाने का विरोध नई दिल्ली,(ईएमएस)। देशभर के कई राज्यों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसके चलते बिजली उपभोक्ताओं में भारी चिंता और विरोध भी बढ़ गया है। विशेषज्ञ और उपभोक्ता संगठन कह रहे हैं कि स्मार्ट मीटर के कारण बिलिंग और पारदर्शिता का नियंत्रण निजी कंपनियों के हाथ में चला गया है। जहां स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं वहां के अधिकांश उपभोक्ताओं को अनजाने में कम बिजली खपत के बावजूद अधिक शुल्क देना पड़ रहा है। विभिन्न राज्यों की मीडिया रिपोर्टों और उपभोक्ता शिकायतों के अनुसार, स्मार्ट मीटर लगाए जाने के बाद कई जगहों पर बिल असामान्य रूप से बढ़ने के मामले सामने आए हैं। नैनीताल में कुछ उपयोगकर्ताओं को हजारों रुपये की बजाय लाखों रुपये के बिल थमाए जा रहे हैं। पुणे, नोएडा और मध्य प्रदेश के भोपाल सहित अन्य शहरों में भी सैकड़ों उपभोक्ताओं ने अचानक बढ़े बिलों पर विरोध जताया है। मुंबई में जबरदस्त विरोध के चलते कई क्षेत्रों में मीटर बदलने का काम रोकना पड़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक मैकेनिकल मीटर में उपभोक्ता खुद बिजली की रीडिंग और बिलिंग की जांच कर सकते थे और गड़बड़ी होने पर शिकायत दर्ज कराकर सुधार करवा सकते थे। लेकिन स्मार्ट मीटर की रियल-टाइम कनेक्टिविटी और सर्वर-आधारित बिलिंग के कारण उपभोक्ताओं के लिए जांच करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। उपभोक्ता अब यह तय नहीं कर सकते कि बिल गलत है या सही, और स्मार्ट मीटर की रीडिंग, डेटा और बिलिंग लॉजिक का कोई स्वतंत्र ऑडिट नहीं है। ऊर्जा नीति विशेषज्ञों का कहना है कि स्मार्ट मीटर में ऑडिट और रेगुलेशन का कोई स्पष्ट नियम नहीं है। वर्तमान में निजी कंपनियों के लिए जो नियम बने हैं, उनके तहत मीटर सीधे सर्वर से जुड़े हैं, और थर्ड-पार्टी ऑडिट की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे उपभोक्ताओं की शिकायतों और पारदर्शिता पर गंभीर असर पड़ रहा है। स्मार्ट मीटर का लगातार हो रहा विरोध स्मार्ट मीटर लगाने वाले क्षेत्रों में उपभोक्ता समूह लगातार विरोध कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि सॉफ़्टवेयर, डेटा-हैंडलिंग और बिल निर्माण प्रक्रिया का स्वतंत्र, मानकीकृत ऑडिट तंत्र और कानूनी मॉनिटरिंग व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके बिना स्मार्ट मीटर लगाना जोखिम भरा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बिजली बाजार में निजी कंपनियों की भागीदारी से टैरिफ और सेवा मॉडल में अराजकता बढ़ सकती है। “डायनेमिक प्राइसिंग” के कारण मांग बढ़ने पर कीमतें बढ़ सकती हैं, और उपभोक्ता को इसकी जानकारी पहले नहीं मिलेगी। इससे विशेष रूप से कम और मध्यम आय वाले वर्ग प्रभावित होंगे। सरकार का कहना होगा सुधार सरकार का कहना है कि निजी भागीदारी से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और विद्युत क्षेत्र में सुधार आएगा, लेकिन आलोचक कहते हैं कि जब तक मजबूत नियामक, उपभोक्ता संरक्षण और स्वतंत्र ऑडिट तंत्र नहीं होगा, तब तक स्मार्ट मीटर प्रक्रिया उपभोक्ताओं के लिए जोखिम भरी होगी। उपभोक्ता अधिवक्ताओं और नागरिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि बिजली वितरण, बिलिंग, डेटा सुरक्षा और उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को सुनिश्चित किए बिना स्मार्ट मीटर लगाने का काम बंद किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी की गई, तो इसके दुष्परिणाम कानून-व्यवस्था और सामाजिक असमानता पर भी पड़ सकते हैं। एसजे/ ईएमएस 12अक्टूबर25