नई दिल्ली (ईएमएस)। देश के शीर्ष न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट में व्हिसल ब्लोअर अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामले को लेकर एक अत्यंत असामान्य और चिंताजनक स्थिति उत्पन्न हो गई है। उनके लंबित मामले की सुनवाई के लिए अब तक लगभग 16 अलग-अलग न्यायाधीशों ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है। यह मामला दरअसल संजीव चतुर्वेदी के ख़िलाफ़ शुरू की गई उस विभागीय कार्रवाई से जुड़ा है, जिसे उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करने के बाद शुरू किया गया बताया है। न्यायाधीशों द्वारा बार-बार सुनवाई से हटने की इस असाधारण घटना ने न्यायिक हलकों और नागरिक समाज में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल उठ रहा है कि आख़िर इस मामले में ऐसी कौन सी संवेदनशीलता या प्रभाव है कि कोई भी पीठ इसकी सुनवाई को आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हो रही है। इस रिक्यूस (के सिलसिले के कारण यह महत्वपूर्ण मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से लंबित पड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह न्याय मिलने में हो रही भारी देरी, न केवल व्हिसल ब्लोअर के अधिकारों के लिए, बल्कि भारत की न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और क्षमता के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। यह स्थिति न्याय की प्रतीक्षा कर रहे चतुर्वेदी और अन्य व्हिसल ब्लोअर के मनोबल को तोड़ने वाली है।