लेख
15-Oct-2025
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इजराइल हमास युद्ध पर पूर्ण विराम से मध्य पूर्व में शांति हमास इजराइल में 738 दिन के बाद स्थायी युध्द विराम के तुरंत बाद सभी बंधकों को छोड़ दिया।इस बीच डोनाल्ड ट्रम्प ने इजराइल संसद को सम्बोधित किया।रिहा हुए इजराइली बंधकों से मिलकर परिजन भावुक हो गए।वह दृश्य वेदना देने वाला था।दूसरी तरफ बंधकों की रिहाई पर खुशी झलक रही थी।दो साल से इजराइली सेना ने हमास पर हमला किया।हजारो लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हुए।करोड़ो की सम्पति नष्ट हुई।लेकिन परिणाम शून्य आया।आज विश्व मे दो सौ देश है।सभी राष्ट्रों का अपना धर्म, अपनी परम्परा और अपनी संस्कृति है।उनके रास्ट्रीय आदर्श है।वे अपने आदर्श नही त्यागते है,फिर हमें आदर्श त्यागने की जरूरत क्या है।देश मे हिंसा करने की शासकीय स्वीकृति भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति पर कालिख पोतने के समान है।धर्म को जाने बिना अहिंसा का ज्ञान नही हो सकता। हम धर्म को समझकर ही धार्मिक बन सकते है।इतने वर्षों से विदेशो में गृहयुद्ध चल रहे है।लेकिन किसी भी समस्या का समाधान नही हुआ।सभी युद्ग्रस्त देश ज्यादा उलझते गए है।क्योंकि युद्ध से आज दिन तक कोई समस्या का समाधान होता नही दिखा है।क्योंकि हिंसा अन्यायपूर्ण है।ईरान इराक,इजराइल हमास,रूस युक्रेन ,भारत पाकिस्तान आदि अनेक देश युद्ध कर चुके है।लेकिन नतीजा वो ही ढाक के तीन पात वाली कहावत यहाँ चरितार्थ होती दिखाई देती है।कोई भी देश अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए यदि हिंसा का सहारा लेते है तो उनके जैसा मूर्ख कौन होगा?युद्ध को त्यागकर देश के विकास की तरफ ध्यान देना होगा।रूस युक्रेन युद्ध मे क्या खोया क्या पाया?युक्रेन नाटो की मदद से लड़ता रहा और दोनो देश तबाही के दंश झेल रहे है।अपनी मनमानी और जिद्द में दोनो देश बर्बाद हो गए।खरबो डालर का धुआं कर सम्पति को राख में तब्दील करके शांति धारण कर बैठ गए।विश्व शांति का दिव्यास्त्र अहिंसा है।युद्ध स्थायी समाधान नही है।आज अहिंसा का स्थान हिंसा ने,आचार का स्थान अनाचार ने और शांति के स्थान पर अशान्ति ने अपने पैर फैला दिए है।दो देशो के बीच बिगड़ते रिश्ते के साथ ही युद्ध पर उतारू हो जाते है।युद्ध से निर्दोष लोगों की जाने जाती है।जानमाल की क्षति होती है।जीवन मे युद्ध को भूलकर शांति का सुमार्ग ढूंढना है तो हमे सर्वप्रथम धर्म के आंगन में उतरना होगा।धर्म को किसी एक परिभाषा में नही बांधा जा सकता है।अहिंसा के समान कोई धर्म नही है।अहिंसा परम् धर्म है।अहिंसा दिव्यास्त्र है।महात्मा गांधी ने स्वराज पाने का अपना भारतीय स्वाधीनता का आंदोलन चलाया और उन्हें अपने कार्य मे पूर्ण सफलता भी मिली।कुछ नासमझ लोग हिंसा को सर्वोपरि मानते है क्योंकि वे अहिंसा से परिचित नही है।वे कहते है कि आज के युग मे अहिंसा की बात कैसे सोची जा सकती है, लेकिन अहिंसा तो जीवन जीने की सिख देती है।युद्ध थोपे गए,निर्दोषों के शवों पर राजनीति की गई ,लेकिन भारत और पाकिस्तान, रूस-युक्रेन,ईरान इराक इजराइल और हमास जैसे युद्ग्रस्त देशों के वहा किसी समस्या का समाधान हुआ है?निर्दोष के लहू से सियासत की राजनीति के पीछे सच्चाई कुछ और बयां कर रही है। धर्म को जानने वाला अहिंसा का पथ कभी नही त्याग सकता है।रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पुतिन महत्वकांक्षी व्यक्ति है।क्योंकि मन मे अहंकार जागृत हो जाता है तो उसी क्षण मानव की प्रगति का पथ अवरुद्ध हो जाता है।क्योंकि पुतिन को इस बात का अहंकार था कि युक्रेन के पास आधुनिक टेक्नोलॉजी की कमी है।रूस शक्तिशाली देश है।लेकिन चार साल तक युक्रेन ने रूस का बराबर मुकाबला किया तब अहसास हुआ कि मेरी सोच गलत थी।दोनो देश बर्बाद हो गए।क्योकि जहाँ अहंकार जागृत हो जाता है,वही व्यक्ति स्वयं को शिखर समझने लगता है।हमास ने सबसे पहले इजरायल पर हमला किया।उसके जवाब में इजराइल ने दो साल तक युद्ध थोपे रखा।जब तक अंहकार की हवा भरी हुई रहती है,तब तक आदमी उछलता रहता है।सच्चाई का पता चलेगा तब अहसास होगा कि जीवन के सुनहरे पल हमने गंवा दिए है।मान और अहंकार ने हम भी इतिहास पढ़ चुके है कितने राज्य नष्ट किये है।कितने परिवार नष्ट हुए है।क्योंकि युद्ध तो बड़ी बात है।अहंकार में पति पत्नी में तलाक हो जाता है।बच्चो की जिंदगी माता पिता के अहं की टकराहट में तबाह हो जाती है।दुनिया में बड़े बड़े धन कुबेर हुए।इस देश मे मुगल आये,अंग्रेज आये और चले गये।इंद्रिरा गांधी में मान चढ़ा तो जनता ने वास्तविकता जता दी।कुर्सी स्थायी नही है।इसलिए भले कार्य करने के मौके ढूंढते रहना चाहिए।मान नही करना है।क्योंकि कांग्रेस में अहंकार की हवा भरी हुई थी।उसने मान किया तो सरकार चली गई। मान-अभिमान के प्रकारों और रूपों की कोई गणना नहीं है। जाति का मान, तंदुरुस्ती का मान, रूप, परिवार, यशकीर्ति, विद्या का मान, अपने पूर्वजों का मान। यहाँ तक कि मान न होने का भी मान, निरहंकारिता का भी अहंकार। मुझमें कोई मान नहीं है, इसका भी मान होता है। मैं अहंकाररहित हूँ, यह भाव निरहंकारिता का अहंकार है। कुछ लोगों को सत्य बोलने और ईमानदार होने का भी अहंकार होता है। मैं बहुत ईमानदार हूँ, मैं कभी झूठ नहीं बोलता-इस सोच में भी अहंकार है। कभी-कभी आप भीतर अहंकार रखते हैं और वाणी में विनम्रता दिखाते हैं तो यह अपने आपको धोखा देना और परदा डालकर अहंकार को छिपाना है। याद रखें, अपने को छोटा कहना आसान है, पर छोटा समझना कठिन है और छोटा समझना ही अहंकार का अभाव होना है। युद्ध का पूर्ण विराम लगने के बाद भारत ने ट्रंप के शांति प्रयासों की सराहना की है।भारत को बड़ी खुशी हुई है।ट्रम्प ने कहा कि मैं इजराइल से इतना प्यार करता हूं कि मेरी बेटी ने भी यहूदी धर्म अपना लिया।ट्रम्प ने आश्वासन दिया कि इजराइल को किसी से खतरा नही होगा।लेकिन युद्ध विनाशकारी ही होते है।ये युद्ध विश्व युद्ध की आहट थी।लेकिन ट्रम्प के प्रयास ने मध्य पूर्व में शांति स्थापित कर दी। ईएमएस/15/10/2025