लेख
15-Oct-2025
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विश्व खाद्य दिवस 16 अक्टूबर 2025) विश्व खाद्य दिवस प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाते दशकों हो चुके हैं, परंतु दुनिया भर में भूखे पेट सोने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। यह संख्या आज भी तेज़ी से बढती जा रही है। विश्व में आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो भूखमरी से जूझ रहे हैं। इस मामले में विकासशील या विकसित देशों में किसी तरह का कोई फ़र्क़ नहीं है। विश्व की आबादी वर्ष 2050 तक नौ अरब होने का अनुमान लगाया जा रहा है और इसमें क़रीब 80 फीसदी लोग विकासशील देशों में रहेंगे। ऐसे में किस तरह खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी, यह एक बड़ा प्रश्न है। दुनिया में एक तरफ़ तो ऐसे लोग हैं, जिनके घर में खाना खूब बर्बाद होता है और फेंक दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जिन्हें एक समय का भोजन भी नहीं मिल पाता। खाद्यान्न की इसी समस्या को देखते हुए 16 अक्टूबर को हर साल विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। विश्व खाद्य दिवस का मकसद दुनिया से भूखमरी खत्म करना है। आज भी करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को मज़बूर हैं l हमें आधुनिक तरीके से खेती करनी होगी ताकि ज्यादा अनाज पैदा हो। इस दिन का उद्देश्य विकासशील देशों में तकनीकी और वित्तीय मदद बढ़ाना है ताकि वे ज्यादा अनाज उगा सकें।अफ्रीका के कई देशों में यह समस्या बहुत गंभीर है, जैसे रवांडा, बुरुंडी, नाइजीरिया और सोमालिया। हमें इन देशों की मदद करनी होगी ताकि वे अपने लोगों को खाना दे सकें। भूख और कुपोषण मुक्त दुनिया के सपने को साकार करने में हम सभी की भूमिका है। हमें संकट के समय में स्थायी आदतों को दरकिनार नहीं करना चाहिए। हम स्वस्थ भोजन के विकल्प चुन सकते हैं और भोजन की बर्बादी को कम करने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, सरकारें, उद्यम और संगठन एवं अपनी समझ को साझा कर सकते हैं और स्थायी, लचीली खाद्य प्रणालियों और आजीविकाओं का समर्थन कर सकते हैं। हम सब मिलकर अपने विश्व का विकास, पोषण और स्थायित्व कर सकते हैं। कुछ जगहों पर, खाद्य असुरक्षा की गंभीरता बहुत ज़्यादा है। अनुमान है कि 67.3 करोड़ लोग भूख से जूझ रहे हैं। दूसरी तरफ, मोटापे का बढ़ता स्तर और व्यापक खाद्य अपव्यय एक असंतुलित व्यवस्था की ओर इशारा करते हैं l बढ़ती वैश्विक जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीमाओं, क्षेत्रों और पीढ़ियों के पार टीमवर्क की आवश्यकता है। भारत में भी खाद्यान्न की कमी नहीं है, लेकिन फिर भी लोगों को खाने के लिए पर्याप्त अनाज नहीं मिलता। इसकी वजह है खराब सार्वजनिक वितरण प्रणाली और भंडारण की समस्या। लाखों टन अनाज खुले में सड़ जाता है, जबकि करोड़ों लोग भूखे पेट सोते हैं। बच्चों में कुपोषण की समस्या भी गंभीर है। हमें इस समस्या का समाधान निकालने की जरूरत है ताकि अनाज की बर्बादी रोकी जा सके और लोगों को उचित मात्रा में भोजन मिल सके। भारत में शादी-विवाह जैसे समारोहों में बहुत सारा खाना बर्बाद होता है। एक शोध के अनुसार बेंगलुरु में शादियों में लगभग 950 टन खाना फेंका गया। समस्या सिर्फ खाने की बर्बादी नहीं है, बल्कि जरूरत से ज्यादा कैलोरी वाला खाना भी एक समस्या है। भारत में कुपोषण की समस्या गंभीर है, जबकि अनाज की बर्बादी हो रही है। विश्व खाद्य उत्पादन रिपोर्ट के अनुसार भारत में भुखमरी की समस्या से निपटने की गति धीमी है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सभी लोगों के लिए पर्याप्त अनाज है, लेकिन फिर भी कई लोग भूखे हैं और कुपोषण से जूझ रहे हैं। हमें इस समस्या का समाधान निकालने की जरूरत है। क्या सिर्फ कृषि उत्पाद बढ़ा कर और खाद्यान्न को बढ़ा कर हम भूख से अपनी लड़ाई को सही दिशा दे सकते हैं। चाहे विश्व के किसी कोने में इस सवाल का जवाब हाँ हो, लेकिन भारत में इस सवाल का जवाब ना है और इस ना की वजह है, खाद्यान्नों को रखने के लिए जगह की कमी। यूँ तो भारत विश्व में खाद्यान्न उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर पिछले दशकों से बना हुआ है, लेकिन यह भी सच है कि यहाँ प्रतिवर्ष करोड़ों टन अनाज बर्बाद होता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 58,000 करोड़ रुपये का खाद्यान्न भंडारण आदि तकनीकी के अभाव में नष्ट हो जाता है। कुल उत्पादित खाद्य पदार्थो में केवल दो प्रतिशत ही संसाधित किया जा रहा है। भारत में लाखों टन अनाज खुले में सड़ रहा है। यह सब ऐसे समय हो रहा है, जब करोड़ों लोग भूखे पेट सो रहे हैं और छह साल से छोटे बच्चों में से 47 फीसदी कुपोषण के शिकार हैं। भूख की वैश्विक समस्या को तभी हल किया जा सकता है, जब उत्पादन बढ़ाया जाए। साथ ही उससे जुड़े अन्य पहलुओं पर भी समान रूप से नजर रखी जाए। खाद्यान्न सुरक्षा तभी संभव है, जब सभी लोगों को हर समय, पर्याप्त, सुरक्षित और पोषक तत्वों से युक्त खाद्यान्न मिले, जो उनकी आहार संबंधी आवश्यकताओं को पूरा कर सके। साथ ही कुपोषण का रिश्ता ग़रीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, आदि से भी है। इसलिए कई मोर्चों पर एक साथ मजबूत इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना होगा। (लेखक पत्रकार हैं) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 15 अक्टूबर/2025