लेख
24-Oct-2025
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(छठ पूजा 25 अक्टूबर) छठ पर्व और छठी मैया को समर्पित एक प्राचीन हिन्दू त्योहार छठ पूजा,बिहार, झारखंड पूर्वी उत्तरप्रदेश और नेपाल के लिए अद्वितीय तो है ही,लेकिन यह त्योहार भारत के हर राज्यो का श्रद्धा का क्षेत्र है। गुजरात,महारास्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि अनेक राज्यो में अपने सांसारिक कार्य छोड़कर छठी मैया की पूजा करने लोगो का हुजूम उमडता है। बिहार विकास परिषद एवं बिहार की धार्मिक कार्यक्रमो का संचालित करने वाली संस्थाओं के कार्यकर्ता छठ पूजा की तैयारी में गुजरात तथा महाराष्ट्र में भी जुट चुके है। मानव जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण बात है श्रद्धा की। जब हमारे मन में श्रद्धा की ज्योति जगमगाती है तो सारे कार्य सहज-सुलभ हो जाते है। वंदना पूजा उन्हीं की की जाती है,जिनके प्रति श्रद्धा होती है। नहाय खाय के इस अलौकिक पर्व पर श्रद्धा के भाव है। अगर लोगो मे श्रद्धा नही होती तो क्या वे छठी मैया की पूजा अर्चना में दिवाली पूर्व से तैयारी करते प्रतीत होते? श्रद्धा असीम आनंद का खजाना है। धर्म किसी मंदिर में नही है। ये तो केवल साधना के स्थल केंद्र है,जहा नदी के तट पर बैठकर मनुष्य अपना आत्म चिंतन कर छठी मैया से अपने परिवार की खुशहाली की कामना करता है। धर्म तो मनुष्य के आचरण में है। छठ पूजा में तैयारी जोरों पर है। दरअसल,देश मे उल्लास का माहौल है। छठी मैया की गीतों की धुन पर थिरकते लोग और चार दिवसिय आयोजन में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। , नहाया,खाय, खरना और डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए महिलाओ सहित लोगो की घाटों पर भीड़ एकत्रित होगी। बाजारों में छठ पर्व को लेकर रौनक है तो घाटों को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। नहाय खाय से शुरू होने वाले इस पर्व पर व्रती उमंग और उल्लास के साथ छठ मैया की पूजा अर्चना करता है। खरना के व्रत और खीर का प्रसाद और गंगा स्नान का पवित्र रिवाज और ही श्रद्धावान बना देता है। शाम का अर्ध्य और चौथे दिन सुबह का अर्ध्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। दीपावली के बाद छठ पर्व के भोजपुरी गीत वायरल हो रहे है। छठ के पहले रिलीज हुआ भोजपुरी गीत-*पनिया में कांपतारी कनिया* छठ व्रत की तैयारी करते हुए गाया है। और *छठी मइया मांगले ललवा* जैसे भोजपुरी गीत बहुत लोकप्रिय हुए है। गुजरात के सूरत में लाखों लोग छठ पूजा की तैयारी कर रहे है। तापी नदी पर घाटों की तैयारी जोरों पर है। आज अंतिम रूप दे दिया गया है। छठ का व्रत मुख्य रूप से संतान की सुख-समृद्धि, सफलता और लंबी आयु के लिए रखा जाता है। छठ पर्व सूर्यषष्ठी व्रत है, जिसमें सूर्य देव और षष्ठी देवी दोनों की एक साथ पूजा की जाती है। इस पूजा में छठी मैया और सूर्य देव का संबंध माता और पुत्र या भाई और बहन जैसा है, जिसमें दोनों का महत्व एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। छठ पूजा की आस्था का मुख्य कारण सूर्य देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त करना है, जिससे सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और संतान की प्राप्ति होती है। यह पर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है, क्योंकि सूर्य पृथ्वी पर जीवन के लिए ऊर्जा का स्रोत है। इसके अलावा, यह पर्व संयम, आत्म-अनुशासन और सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है। छठ पूजा में छठी मैया ,जो देवी पार्वती का ही एक रूप मानी जाती हैं की भी पूजा की जाती है, जो सूर्य देव की बहन हैं और संतान की रक्षा करती हैं। छठ पूजा के दौरान 36 घंटे का निर्जला उपवास रखने से शरीर डीटॉक्स होता है और मानसिक स्वास्थ्य भी मजबूत होता है। सूर्य को अर्घ्य देने से शरीर के रंगों का संतुलन बना रहता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और विटामिन-डी भी प्राप्त होता है। नेत्र रोग और चर्म रोग से राहत: ऐसा माना जाता है कि डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने से नेत्र ज्योति और चर्म रोग में सुधार होता है। पूरे भारत में छठ पूजा की आस्था मुख्य रूप से सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया के प्रति गहरी श्रद्धा, संतान सुख और परिवार की समृद्धि की इच्छा, और प्रकृति के प्रति सम्मान के कारण है। यह पर्व न केवल धार्मिक है, बल्कि इसमें वैज्ञानिक लाभ, जैसे कि विटामिन डी का उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, भी माने जाते हैं। साथ ही, यह पर्व सभी को एक समान लाकर सामाजिक समता को बढ़ावा देता है। श्रद्धा असीम आनंद का खजाना है। जब श्रद्धा में स्वार्थ की दीवार खड़ी होती है,मनुष्य जब अपने लाभ और हानि का अंकगणित लगाने लगता है,तब उसकी आशाएं फलीभूत हो पाना सम्भव नही लगता। इस स्वार्थ की प्रवृति ने ही धर्म,समाज एवं राष्ट्र को नुकसान पहुंचाया है। जिस धरती से हम अन्न जल प्राप्त करते है,जिसे धर्म से हमारी आत्मा को आलोक मिलता है उसके प्रति अटूट श्रद्धा का होना आवश्यक है। जीवन की बगिया को चमकाना है तो उसमें श्रद्धा का बीज वपन करना होगा। अपने जीवन को धर्म के आचरण से इतना उर्वर बनाने की आवश्यकता है कि श्रद्धा की फसल छठ पर्व में लहलहा उठे। मनुष्य की भावना को श्रद्धा से सम्बल मिलता है। जहां श्रद्धा टूटती है,वहां विश्वास भी विखंडित होने लगता है। छठी मईया को पूरा समर्पण के साथ अपने कर्तव्य का निर्वाह करता रहे। पर्व आस्था का विषय है। विज्ञान स्वार्थ को जगाता है,जबकि धर्म प्ररार्थ को बढ़ावा देता है। जहां प्ररार्थ है,वही परमात्मा है,आनन्द है और वही सच्चा सुख है। प्रभु के प्रति प्रेम रखने वाला व्यक्ति मुस्कराता है। धर्म जीवन मे शक्ति और श्रद्धा बढ़ाता है। धर्म विरोधी विज्ञान भौतिक उपलब्धियां तो देता है-दे सकता है,पर आत्म शांति के द्वार बंद कर देता है। देव पूजा और छठ पूजा से द्वार खुले रहे,इस हेतु धर्म साधना ही एक मात्र उपाय है जो धर्म की शरण मे आ जाता है,वह न केवल उनका सरंक्षण ही करता है,अपितु उसे आत्म मुक्ति की दिशा भी प्रदान करता है। यही छठी मैया का आह्वान का रहष्य है। आज देश विदेश में करोड़ो लोग इस छठ पूजा महापर्व पर समर्पण भाव और श्रद्धा के साथ छठी मैया को अर्ध्य अर्पण कर परिवार की खुशी के लिए छठपर्व की महा पूजा में शामिल होते है। यह त्योहार रास्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। आइए ऐसे महापर्व को हम सब मिलकर मनाए। (L103 जलवन्त टाऊनशिप पूणा बॉम्बे मार्केट रोड़ नियर नंदालय हवेली सूरत मो 99749 40324 वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार-स्तम्भकार) ईएमएस / 24 अक्टूबर 25