ऑपरेशन सिंदूर से मिले घावों को भरने में पाकिस्तान को लंबा समय लगेगा, वहीं उसकी सफलता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सेनायें गदगद हैं, क्योंकि भारत के हथियारों की विश्वभर में धूम मची हुई है, अधिकांश देश भारत के हथियारों को पाना चाहते हैं, इस सफलता से अभिभूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपोत्सव आईएनएस विक्रांत के साथ मनाया और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने धनतेरस के अवसर पर सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों के पहले बैच को हरी झंडी दिखाई, इसी विषय पर बात कर रहे हैं बीपी गौतम... पीएम ने आईएनएस विक्रांत पर मनाया दीपोत्सव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रांत पर नौसेना के जवानों के साथ दिपावली मनाते हुए अपने संबोधन में इसे अपना सौभाग्य बताया। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह दीवाली मेरे लिए खास है। उन्होंने कहा कि दीपावली के पर्व में हर किसी को अपने परिवार के बीच दीवाली मनाने का मन करता है। मुझे भी मेरे परिवार जनों के बीच दिवाली मनाने की आदत हो गई है और इसलिए आप जो मेरे परिवार जन हैं, उनके बीच मैं दिवाली मनाने चला आता हूं। मैं भी यह दिवाली मेरे परिवार जनों के साथ मना रहा हूं। उन्होंने कहा कि समंदर की पानी पर सूर्य किरणों की चमक जवानों द्वारा जलाए गए दीपावली के दिए हैं.. यह हमारी अलौकिक दीपमालायें हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं नौसेना के जवानों के बीच दीपावली का पर्व मना रहा हूं। विक्रांत पर मनाई गई दीवाली को शब्दों में कह पाना कठिन है। कोई कवि इस तरह से उन अनुभूतियों को प्रकट नहीं कर पायेगा, जिस तरह से यहां के जवान कर रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपकी तपस्या और समर्पण की ऊंचाई इतनी है कि मैं उसे जी नहीं पाया लेकिन, महसूस कर पाया हूं। मैं आपकी धड़कन, सांसों को महसूस कर पा रहा था। मेरी दीवाली कई मायनों में खास बन गई है। उन्होंने कहा कि मुझे याद है जब आईएनएस विक्रांत को देश को सौंपा जा रहा था तो, मैंने कहा था कि विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है, विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है बल्कि, यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिसका नाम ही दुश्मन की साहस का अंत कर दे, वह है आईएनएस विक्रांत। मैं इस अवसर पर अपनी सेनाओं को सैल्यूट करना चाहता हूं। तीनों सेनाओं के जबरदस्त समन्यव ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को इतनी जल्दी घुटने टेकने पर मजबूर किया था। मैं फिर एक बार आईएनएस विक्रांत की साधना और पराक्रम की स्थली से तीनों सेनाओं को सैल्यूट करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नक्सलवाद के उन्मूलन का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे सुरक्षा बलों के पराक्रम और साहस के कारण ही बीते वर्षों में देश ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, वह उपलब्धि है माओवादी आतंक का खात्मा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि पुलिस के जवानों को लाख-लाख बधाई। उन्होंने नक्सलियों के खात्मे के लिए बेहतरीन काम किया। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले देश में सवा सौ जिले माओवाद से प्रभावित थे लेकिन, अब यह संख्या केवल 11 रह गई हैं। 11 में से भी, जिसमें उनके प्रभाव रह गया है, वे सिर्फ तीन बचे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब दुश्मन सामने हो, जब युद्ध की आशंका हो तब, जिसके पास अपने दम पर लड़ाई लड़ने की ताकत हो, उसका पलड़ा हमेशा भारी रहता है। सेनाओं के सशक्त होने के लिए उनका आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है। यह वीर जवान इसी मिट्टी में पैदा हुए हैं, इसी मिट्टी में पले हैं। जिस मां की गोद से उन्होंने जन्म लिया है, वो मां भी इसी मिट्टी में पली-बड़ी है और इसलिए इस मिट्टी के लिए मरने के लिए, इस मिट्टी के मान-सम्मान के लिए अपने आप को खपा देने की वो प्रेरणा रखते हैं, जो ताकत आपके भारतीय होने में है, जो ताकत आपका भारत की मिट्टी से जुड़े होने में जुड़ी हुई है, वैसे ही हमारा हर औजार, शस्त्र, हर पुर्जा जैसे-जैसे भारतीय होते जाएगा, हमारी ताकत को चार-चांद लग जायेंगे। ब्रह्मोस की रेंज में है पाकिस्तान राजनाथ सिंह ब्रह्मोस एयरोस्पेस की लखनऊ इकाई में निर्मित सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों के पहले बैच को हरी झंडी दिखाने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि धनतेरस पर चार मिसाइलों की डिलीवरी भारत की रक्षा सफलता के साथ आर्थिक समृद्धि और रोजगार सृजन का भी प्रतीक है। उन्होंने ब्रह्मोस को भारत की बढ़ती स्वदेशी शक्ति का प्रतीक बताते हुये पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अब उसकी एक-एक इंच जमीन ब्रह्मोस की पहुंच में है। रक्षा मंत्री ने कहा कि 11 मई 2025 को इस आधुनिक सुविधा का उद्घाटन हुआ था और मात्र पांच महीनों में ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप तैयार होकर डिलीवर हो रही है, यह केवल रिकॉर्ड ही नहीं बल्कि, लखनऊ और उत्तर प्रदेश की विश्वसनीयता का भी प्रमाण है। उन्होंने कहा कि यह इकाई करीब 200 एकड़ में फैली हुई है और लगभग 380 करोड़ रुपए की लागत से बनी है। अनुमान है कि यहां से प्रतिवर्ष लगभग 100 मिसाइल सिस्टम थलसेना, वायुसेना और नौसेना को उपलब्ध कराए जायेंगे। अगले वित्तीय वर्ष में इस इकाई का टर्नओवर 3,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जायेगा, जो 500 करोड़ रुपए का जीएसटी देगा। रक्षा मंत्री ने ब्रह्मोस की क्षमताओं के बारे में बताया कि यह परंपरागत वॉरहेड, उन्नत गाइडेड सिस्टम और सुपरसोनिक गति के साथ लंबी दूरी तक सटीक प्रहार करने में सक्षम है। गति, सटीकता और शक्ति का यह अनूठा संयोजन ब्रह्मोस को विश्व की सर्वश्रेष्ठ मिसाइल प्रणालियों में शुमार करता है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस ने न केवल अपनी तकनीकी श्रेष्ठता साबित की बल्कि, यह भी दिखाया कि यह भारत की सुरक्षा का सबसे बड़ा व्यावहारिक प्रमाण है, इस ऑपरेशन ने सिद्ध किया कि जीत अब हमारे लिए कोई घटना नहीं बल्कि, हमारी आदत बन चुकी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की एक-एक इंच जमीन ब्रह्मोस की पहुंच में है। ऑपरेशन सिंदूर इसका ट्रेलर था, जिसने पाकिस्तान को अहसास दिला दिया कि अगर भारत पाकिस्तान को जन्म दे सकता है तो, समय आने पर वह... इसके आगे मुझे बोलने की जरूरत नहीं... आप सब समझदार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी अब ब्रह्मोस की मारक क्षमता से नहीं बच सकते। राजनाथ सिंह ने स्थानीय उद्योगों को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि बड़ी सुविधा के साथ स्थानीय और छोटे-स्तरीय उद्योगों को भी विकसित किया जाए। उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर तब ही पूरी तरह सफल होगा। धनतेरस के संयोग पर रक्षा मंत्री ने हास्य का पुट देते हुए कहा कि एक दिलचस्प संयोग यह भी है कि आज हम सब धनतेरस का पर्व मना रहे हैं और इसी शुभ दिन पर चार ब्रह्मोस मिसाइलों की डिलीवरी भी हो रही है। सोचिए, इससे बड़ा धनतेरस देश के लिए और क्या हो सकता है! एक तरह से हम कह सकते हैं कि आज लक्ष्मी जी की कृपा न केवल सुरक्षा क्षेत्र पर बल्कि, अर्थव्यवस्था पर भी समान रूप से बरस रही है। रक्षा मंत्री ने ब्रह्मोस के निर्यात पर कहा कि फिलीपींस के साथ भारत ने ब्रह्मोस एक्सपोर्ट का अनुबंध किया है। आने वाले समय में और भी देश भारत के साथ सहयोग करेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले एक माह में ब्रह्मोस टीम ने दो देशों के साथ लगभग 4,000 करोड़ रुपए के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। लखनऊ में स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड की इकाई में उत्पादित सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों के पहले बैच का फ्लैग ऑफ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। भारत माता की जय के उद्घोष के बीच मिसाइलों का पहला जत्था रवाना हुआ, इस दौरान हुआ समारोह गर्व, गौरव और देशभक्ति से गूंज उठा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ब्रह्मोस केवल भारत की नहीं बल्कि, पूरी दुनिया में अपने मित्र देशों की रक्षा करने का सबसे सक्षम हथियार है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के प्रयास से ब्रह्मोस लखनऊ में विकसित हुआ है, जो देश की खुशहाली का माध्यम बना है। जब व्यक्ति सुरक्षित रहता है तभी चैन की नींद सोता है। लखनऊ में बनी मिसाइल पूरे देशवासियों की सुरक्षा और समृद्धि की गारंटी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2018 के पहले निवेशक सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि लखनऊ में ही प्रधानमंत्री ने दो डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर की घोषणा की थी, जिसमें से एक उत्तर प्रदेश को मिला। प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी और चित्रकूट के 6 नोड्स में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर आगे बढ़ रहे हैं। लखनऊ में ब्रह्मोस, झांसी में भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) और अमेठी में एके-203 जैसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं। अब तक 2,500 एकड़ से अधिक जमीन इन छह नोड्स में उपलब्ध कराई गई है, जिससे 15,000 से अधिक नौजवानों को नौकरियां मिली हैं। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस केंद्र में आईटीआई, पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग डिग्रीधारक युवा काम कर रहे हैं। उन्होंनेने बताया कि राज्य सरकार आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू के साथ मिलकर दो ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ स्थापित कर रही है, जिससे डिफेंस टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज डीजी ब्रह्मोस ने 40 करोड़ का जीएसटी चेक सौंपा है। हर वर्ष 100 ब्रह्मोस मिसाइल बनेंगी, जो बढ़कर 150 तक पहुंचेंगी तो, 150-200 करोड़ जीएसटी मिलेगा। यह आम के आम और गुठली के दाम जैसा है। लखनऊ की जमीन अब सोना उगल रही है। उन्होंने जरूरत पड़ने पर डीआरडीओ को और लैंड उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया। योगी आदित्यनाथ ने झांसी में 56,000 एकड़ के नए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का उल्लेख करते हुए कहा कि चित्रकूट में एक्सप्रेस-वे पर नोड विकसित हो रहा है। पाकिस्तान हमारे हमले से उबर नहीं पाया है: राजनाथ दिल्ली में बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो पुस्तकों का विमोचन किया। पहली किताब सिविल मिलिट्री फ्यूजन एज अ मेट्रिक ऑफ नेशनल पावर एंड कॉम्प्रेहेंसिव सिक्योरिटी भारत की रणनीतिक सोच और नीतिगत समन्वय पर केंद्रित है, जबकि दूसरी किताब पोर्टरेट्स ऑफ वेलर: टाइमलेस मिलिट्री आर्ट भारतीय सैन्य इतिहास और कला पर आधारित कॉफी टेबल बुक है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं की असाधारण एकजुटता और तालमेल का उदाहरण था। इसने यह साबित कर दिया कि भारत किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार है। पाकिस्तान हमारी सेनाओं के हमले से लगे गंभीर झटके से अब तक उबर नहीं पाया है। उन्होंने कहा कि यह अभियान भारत की इस प्रतिबद्धता को दोहराता है कि देश उभरती राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित, अनुकूलनीय और पूर्व-नियोजित रणनीतियां अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के समय में पारंपरिक रक्षा दृष्टिकोण पर्याप्त नहीं है, क्योंकि युद्ध केवल सीमाओं पर ही नहीं लड़े जाते बल्कि, अब एक मिश्रित और विषम रूप ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ देश की रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने हेतु भविष्य के लिए तैयार सेना बनाने हेतु कई साहसिक और निर्णायक सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक कदमों में से एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन था, जो तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और तालमेल को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संयुक्तता और एकीकरण का परिणाम पूरी दुनिया ने देखा। पाकिस्तान अभी भी हमारे सशस्त्र बलों द्वारा दिए गए करारी हार से उबर रहा है। उन्होंने कहा कि मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई कार्रवाई थी। कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि सरकार द्वारा उन्हें नियुक्त किए जाने के बाद उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियों में से एक तीनों सेनाओं थल, जल और वायु सेना में जॉइंटनेस और इंटीग्रेशन यानी, एकता और समन्वय को बढ़ाना है। अनिल चौहान ने इसे एक कठिन लेकिन, अत्यंत आवश्यक कार्य बताते हुए कहा कि सिविल-मिलिट्री फ्यूजन (नागरिक और सैन्य समन्वय) केवल रक्षा के दायरे तक सीमित नहीं बल्कि, यह राष्ट्रीय स्तर पर समग्र शक्ति और सुरक्षा का मापदंड है। उन्होंने कहा कि यह काम बेहद कठिन है लेकिन, इससे भी ज्यादा जरूरी है। देश की शक्ति तभी मजबूत होगी जब नीतिगत और सैन्य ढांचे में तालमेल स्थापित हो। सीडीएस ने बताया कि हाल ही में आयोजित कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में राजनीतिक नेतृत्व ने सेना को कई अहम दिशा-निर्देश दिये, जिनमें यह भी कहा गया कि कुछ ऐसे क्षेत्रों में सेना को नेतृत्व करना चाहिए, जहां एकीकरण और सहयोग बढ़ाया जा सके। जनरल चौहान ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज शुक्ला की किताब ने इस विषय को गहराई से समझाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने सिविल-मिलिट्री फ्यूजन की दिशा में कई प्रयास किये हैं लेकिन, अभी इस पर और काम करने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा राज शुक्ला ने अपनी किताब में जो विचार रखे हैं, वे न सिर्फ वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य बल्कि भविष्य की रणनीतिक दिशा तय करने में मदद करेंगे। इस अवसर पर थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कि उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) से अपने कैरियर में बहुत कुछ सीखा है। हायर कमांड कोर्स हमेशा क्यों पर केंद्रित रहता है। उनसे मैंने तीन महत्वपूर्ण बातें सीखी थीं, जिनमें से एक थी ऑपरेशन सिंदूर की नींव। जनरल द्विवेदी ने बताया कि जब 2016 में उरी हमला हुआ था तब राज शुक्ला ने संभावित जवाबी रणनीति और भविष्य की तैयारी पर विस्तृत चर्चा की थी। उन्होंने कि जब मेरे सामने ऐसी स्थिति आई तो, मुझे यह सब पहले से ही सामान्य और परिचित लगा, क्योंकि मैंने यह परिप्रेक्ष्य पहले देख लिया था। युद्ध स्तर पर चल रही है सेना को सशक्त बनाने की तैयारी भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता को और सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। रक्षा मंत्रालय शीघ्र ही 2,408 नाग मार्क- 2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें और 107 नामिका ट्रैक्ड वाहन खरीदने की अनुमति देने वाला है, यह पूरी तरह स्वदेशी प्रणाली है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है, यह सौदा भारत की आत्मनिर्भर भारत मुहिम के अंतर्गत रक्षा क्षेत्र में अब तक के सबसे अहम अनुबंधों में से एक माना जा रहा है। यह मिसाइलें भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित की जायेंगी। नाग मार्क- 2 मिसाइल अपने पिछले संस्करण की तुलना में अधिक सटीक, घातक और तकनीकी रूप से उन्नत है, यह एक तीसरी पीढ़ी की फायर एंड फॉरगेट मिसाइल है, जो टैंक को बिना किसी मार्गदर्शन के सीधा निशाना बनाती है। जनवरी 2025 में पोखरण रेंज में हुये फील्ड ट्रायल्स में इस मिसाइल ने अधिकतम और न्यूनतम रेंज में सभी लक्ष्यों को पूरी तरह नष्ट कर अपनी सटीकता सिद्ध की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लगातार स्वदेशी हथियार प्रणालियों को बढ़ावा दे रहे हैं। सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भी कई अवसरों पर कहा है कि भविष्य की जंग स्वदेशी हथियारों से ही जीती जायेगी। इसी दिशा में सेना कई आधुनिक प्रणालियों को सम्मिलित कर रही है। इनमें नाग मार्क- 2 ड्रोन आधारित वार सिस्टम और चौथी पीढ़ी की मिसाइलें सम्मिलित हैं। सेना ने पहले ही अमेरिकी जैवेलिन एंटी-टैंक मिसाइलों के 12 लॉन्चर और 104 मिसाइलों की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो आपातकालीन खरीद के अंतर्गत आ रही हैं। सेना के इंफैंट्री निदेशक जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने जानकारी दी कि भारतीय सेना ने 4.25 लाख क्लोज क्वार्टर कार्बाइन खरीदने का अनुबंध किया है, इन कार्बाइनों में 60 प्रतिशत आपूर्ति भारत फोर्ज लिमिटेड करेगी, जबकि शेष 40 प्रतिशत पीएलआर सिस्टम्स द्वारा दी जायेगी, यह कार्बाइन अगले दो वर्षों में सेना को मिल जायेगी, इसके अलावा सेना ने 380 इंफैंट्री बटालियनों में ड्रोन प्लाटून तैनात कर दिए हैं, जिन्हें अशनि प्लाटून कहा गया है, इनमें निगरानी के लिये चार और हथियार बंद श्रेणी के छः ड्रोन सम्मिलित हैं, जो कामिकाजे ड्रोन और प्रिसिशन अम्यूनिशन ड्रॉपिंग यूएवी के रूप में काम करेंगे। सेना ने अपनी युद्ध क्षमता को और प्रभावी बनाने के लिए भैरव बटालियन नाम की नई यूनिट्स का गठन शुरू किया है, इनकी पहली बटालियन एक नवंबर को तैनाती के लिए तैयार होगी। कुल 25 भैरव बटालियनें अगले छः महीनों में तैयार की जायेंगी, इनमें प्रत्येक में लगभग 250 जवान होंगे, जो विभिन्न शाखाओं इन्फैंट्री, आर्टिलरी, सिग्नल्स और एयर डिफेंस से चुने जायेंगे। भैरव बटालियनें स्पेशल फोर्सेज और रेगुलर इंफैंट्री के बीच की खाई को पाटने का काम करेंगी, इसके अलावा सेना पुराने 5.56 mm हथियारों को 7.62 mm राइफलों से अपग्रेड कर रही है, साथ ही 338 स्नाइपर राइफलें भी सम्मिलित की जा रही हैं। सेना सभी मौसम में चलने वाले वाहनों, हल्के स्पेशल व्हीकल्स, बैटल फील्ड रडार और थर्मल इमेजिंग साइट्स को भी तेजी से सम्मिलित कर रही है, ताकि सीमा पर हर परिस्थिति में जमीनी कमांडर तुरंत निर्णय ले सकें। विश्व भर को लुभा रही है आकाश मिसाइल भारत की स्वदेशी मिसाइल आकाश सतह से लेकर आसमान तक अचूक निशाना लगा सकती है, इसीलिये आकाश अन्य देशों को भी लुभा रही है। रक्षा सूत्रों के अनुसार लगभग आधा दर्जन देश आकाश को लेकर संपर्क में हैं, उनसे विभिन्न स्तरों पर वार्ता चल रही है। केंद्र सरकार आकाश मिसाइल सिस्टम को बड़े पैमाने पर निर्यात के प्लेटफार्म तक लाने की तैयारी में जुट गई है। मध्यम दूरी की सतह-से-हवा की मारक क्षमता वाली यह मिसाइल 64 लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है, इस मिसाइल की विशेषताओं को लेकर जानकारी मांगी जा रही है, उसमें मिसाइल की इंटरसेप्शन रेंज, ऊंचाई और सुपरसोनिक गति प्रमुख है। आकाश मिसाइल सिस्टम को 3डी इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से लैस किया गया है, इसकी प्रत्येक बैट्री में चार लांचर होते हैं। प्रत्येक लांचर में कम से कम 3 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल लगी होती हैं, इसकी इंटरसेप्शन रेंज 30 किलोमीटर तक रहती है, साथ ही यह मिसाइल 18,000 मीटर तक की ऊंचाई वाले लक्ष्यों को भेद सकती है। आकाश 2.5 मैक तक की सुपरसोनिक गति से अपने टारगेट की ओर बढ़ती है। ब्राजील ने इस मध्यम दूरी की मिसाइल में रुचि दिखाई है। पिछले सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ब्राजील के उप-राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री के साथ सार्थक बातचीत हुई है। राजनाथ सिंह ने एक्स पर लिखा था कि नई दिल्ली में ब्राजील के उप-राष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन और ब्राजील के रक्षा मंत्री जोस मुसियो मोंटेइरो फिल्हो से मिलकर मुझे खुशी हुई। हमने सैन्य सहयोग और रक्षा औद्योगिक सहयोग के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा सहयोग से संबंधित मुद्दों पर दूरदर्शी चर्चा की। रक्षा सूत्रों के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आकाश मिसाइल का उपयोग किया गया था। भारतीय सेना ने इस मिसाइल का उपयोग कई तरह के हवाई खतरों से निपटने के लिये किया था, इसकी मदद से शत्रु को करारा जवाब दिया जा सका। आकाश मिसाइल के चलते ड्रोन एवं हवाई हमलों को रियल टाइम पर बेअसर किया गया। ऑपरेशन सिंदूर में आकाश मिसाइल ने अपने टेस्ट में सौ प्रतिशत विश्वास दिखाया। मल्टी-टारगेट मारक क्षमता में इस मिसाइल ने शानदार प्रदर्शन किया। आकाश की उच्च क्वालिटी की एयर डिफेंस कैपेबिलिटी ने भारतीय सेना की बड़ी मदद की थी, इसके द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सटीक हमला संभव हो सका, इस मिसाइल का ढांचा और तकनीक, डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने तैयार की है, इसकी मदद से आर्मी एस्टेब्लिशमेंट और दूसरे अहम भवनों को शत्रु के हवाई हमले से बचाया जा सकता है। शत्रु के डिफेंस सिस्टम, फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को निशाना बनाने में आकाश सक्षम है। तेज बरसात और धुंध के दौरान भी आकाश मिसाइल सिस्टम अपने टारगेट तक आसानी से पहुंच जाता है। रक्षा क्षेत्र में ब्राजील के साथ रणनीतिक साझेदारी से पहले भारत ने आर्मेनिया को भी आकाश सिस्टम मुहैया कराया है। आर्मेनिया के साथ आकाश, पिनाका और 155 मिमी तोपें सहित कई तरह की रक्षा सामग्री के सौदे हुये हैं। पिछले साल अर्मेनिया को आकाश की बैट्री दी गई थी, जिसकी कीमत 230 मिलियन डॉलर से अधिक थी, इसके बाद ब्राजील ने आकाश जैसे विश्वसनीय एयरडिफेंस सिस्टम की तरफ रूझान दिखाया है, इसके अलावा मिस्र और वियतनाम जैसे राष्ट्र भी आकाश में रूचि दिखा रहे हैं, इन देशों की ओर से इस मिसाइल को लेकर जानकारी एकत्रित की जा रही है। फिलीपींस और संयुक्त अरब अमीरात भी आकाश मिसाइल प्रणाली के गुणों को समझ रहे हैं। रक्षा सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में खाड़ी और आसियान देशों से होने वाले रक्षा सौदों में भी आकाश मिसाइल अपनी जगह बना लेगी। आकाश को मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के रूप में तैयार किया गया है, जिसे एसएएम तकनीक कहा जाता है। ट्रायल के अलावा ऑपरेशन सिंदूर में आकाश मिसाइल की हर खूबी को परखा गया है। 30 किलोमीटर तक की इंटरसेप्शन रेंज वाली यह मिसाइल 18,000 मीटर तक की ऊंचाई तक मार कर सकती है। विशेष बात है कि मौजूदा वॉरफेयर की जटिलताओं के बीच आकाश अपना रास्ता नहीं छोड़ती, इसमें लगे रडार, इसे बिना किसी समस्या के टारगेट तक ले जाते हैं। आकाश मिसाइल 60 किलोग्राम के उच्च-विस्फोटक को टारगेट के निकट गिराने की क्षमता रखता है, इसके लिये आकाश को प्रॉक्सिमिटी फ्यूज से लैस किया गया है, इस मिसाइल को तैयार करने के दौरान इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखा गया है कि अगर किसी ऐसे दुश्मन से लड़ाई होती है, जो मेगनेटिक पॉवर का उपयोग कर अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करता है तो, ऐसी स्थिति में भी आकाश बेहतर तरीके से टारगेट को खत्म कर देता है। यह मिसाइल शत्रु की जैमिंग तकनीक से निपटने में सक्षम है, साथ ही आकाश को उन्नत इलेक्ट्रॉनिक प्रति-प्रतिउपायों (ईसीसीएम) से लैस किया गया है। (लेखक, दिल्ली से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक गौतम संदेश के संपादक हैं) ईएमएस/25/10/2025