पटना(ईएमएस)। बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसके लिए पार्टी ने चुनाव में प्रत्याशी भी उतार दिए हैं और अब सबकी नजर आगामी 6 और 11 नवंबर को बिहार चुनाव के लिए डाले जाने वाले मतदान पर है। लेकिन, इसके बीच एक दिलचस्प और गौर करने वाली बात यह है कि इस क्रम में भाजपा चुनाव लड़ने से पहले ही 6 जिलों से बिल्कुल ही मुक्त हो चुकी है। दरअसल, इन 101 सीटों में से 6 जिले ऐसे हैं जहां भाजपा ने एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा है। इन छह जिलों में मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास शामिल हैं। इसका मतलब यह है कि इन जिलों में भाजपा के उम्मीदवार नहीं होने के कारण भाजपा के घटक दलों ने एनडीए की ओर से मैदान संभाल लिया है। जबकि भाजपा ने कुछ जिलों में सिर्फ एक-एक सीट पर ही उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसा उदाहरण है सहरसा, लखीसराय, नालंदा, बक्सर और जमुई जैसे जिलों में। दरअसल, भाजपा ने यह रणनीति इसलिए अपनाई है क्योंकि राज्य में उनकी गठबंधन-साझेदारी (एनडीए) के तहत जदयू-भाजपा सहित अन्य घटक दलों के उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे हैं। इन जिलों में बिना उम्मीदवार उतरे खेली चाल पर भाजपा के नेता कहते हैं कि पार्टी ने अपनी सीट संख्या कम रखकर इन जिलों में सहयोगी दलों को आगे रहने का स्थान दिया है। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में भी भाजपा ने कुछ जिलों में उम्मीदवार नहीं उतारे थे। उस समय पांच जिलों- शिवहर, खगड़िया, शेखपुरा, जहानाबाद और मधेपुरा में भाजपा के कोई प्रत्याशी नहीं थे।इस बार सूची में एक नया जिला रोहतास भी शामिल हुआ है। रोहतास की दो सीटों- डिहरी और काराकाट में पिछली बार भाजपा ने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार उन्होंने इन सीटों पर खुद नहीं लड़ने का फैसला किया है और पार्टी ने सहयोगी दलों को प्राथमिकता दी है। सहयोगियों को सौंपी सियासी जिम्मेदारी स्पष्ट है कि भाजपा ने इससे यह संकेत दिया है कि राज्य में गठबंधन-रणनीति को प्राथमिकता दी जा रही है। यह कदम यह बता रहा है कि भाजपा अकेले नहीं बल्कि गठबंधन की ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है। भाजपा ने कुल 101 सीटों का चुनाव लड़ा है, जबकि जदयू-भाजपा ने 101-101 सीटें लड़ने का फ़ॉर्मूला बनाया है। वहीं, लोजपा (आर) को 29 सीटें और हम-आरएलएम को 6-6 सीटें दी गई हैं। राजनीति के जानकारों के अनुसार, जिन जिलों में भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहां भाजपा के सहयोगी दलों की पकड़ मजबूत हैं या राजनीतिक समीकरण ऐसे हैं कि भाजपा खुद मैदान में उतरने से बच रही है। भाजपा ने इन जिलों में पकड़ा मैदान, जानें रणनीति वहीं, दूसरी ओर कुछ ऐसे जिले भी हैं जहां गठबंधन दलों के ऊपर भाजपा का दबदबा है। भाजपा ने सबसे अधिक आठ उम्मीदवार पश्चिम चंपारण जिले में उतारे हैं। इनमें- हरसिद्धि, पिपरा, कल्याणपुर, मोतिहारी, रक्सौल, मधुबन, चिरैया और ढाका शामिल हैं। इस जिले में कुल 12 सीटों में से आठ पर भाजपा है। पूर्वी चंपारण की 9 में से 7 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार हैं। इस तरह देखें तो सीटों की संख्या की दृष्टि से भाजपा के लिए चंपारण का क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। वहीं, पटना जिले की 14 में से 7 सीटों सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जबकि दरभंगा की 6, मुजफ्फरपुर की 5, भोजपुर की 5 और मधुबनी की 5 सीटों पर भी भाजपा के कैंडिडेट मैदान में हैं। सियासी रणनीति ने बदली बिहार की तस्वीर जानकारों की नजर में भाजपा यह संसाधन-वितरण रणनीति अपनाकर अपने गठबंधन को संतुलित करना चाहती है। वहीं जिन जिलों में सिर्फ एक सीट पर भाजपा का उम्मीदवार हैं, वहां भाजपा ने अपने लिए आसान सियासी लड़ाई की जमीन तैयार की है और बाकी सीटें सहयोगियों को दी हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/25अक्टूबर2025 ------------------------------------