विश्व अर्थव्यवस्था में एक बार फिर भूचाल की स्थिति देखने को मिल रही है। अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी ट्रेड वॉर ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उथल-पुथल मचा दी है। अमेरिका द्वारा चीन पर 100प्रतिशत टैक्स लगाने और चीन ने जवाब में रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर रोक लगाने से साफ संकेत मिल रहा है, आने वाले महीनों में वैश्विक व्यापार एक नई दिशा पर चलने वाला है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे राजनीतिक सामरिक एवं व्यापारिक तनाव के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था एक नया मोड़ ले रही है। नई व्यवस्था में विभिन्न देशों की मुद्राएं जिसमें प्रमुख रूप से डालर है, उसको लेकर सारी दुनिया के देशों में एक अविश्वास देखने को मिल रहा है। हर देश अपनी मुद्रा को सुरक्षित रखने के लिए स्वर्ण भंडार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। औद्योगिक विकास के युग में चांदी भी मुद्रा के रूप में स्थापित होती जा रही है, जिसके कारण दुनिया में एक बार फिर सोने एवं चांदी की मांग बढ़ती चली जा रही है। जिसके कारण सोने और चांदी की कीमतें नए-नए रिकॉर्ड बना रही हैं। सोना और चांदी की चमक के आगे सब कुछ फीका पड़ रहा है। इतिहास गवाह है, जब भी दुनिया में आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है, निवेशकों के बीच में गोल्ड और सिल्वर को सबसे “सेफ हेवन” यानी सुरक्षित निवेश माना जाता है। सोने और चांदी के भंडार ने हमेशा परिवारों और सत्ता में बैठे हुए लोगों को बुरे वक्त पर सहारा देने का काम किया है। वर्तमान में वही परंपरा दोहराई जा रही है। अमेरिका के डॉलर इंडेक्स में गिरावट और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के मूल्यांकन में लगातार गिरावट से सोने की मांग दुनिया भर के सभी देशों में तेजी से बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 3000 डालर के पार जा चुका है। चांदी ने भी जबरदस्त तेज रफ्तार पकड़ ली है। भारत में दीपावली का त्योहार और शादी के सीजन ने सोना एवं चांदी की मांग को बढ़ा दिया है। भारत में सोने और चांदी के दाम बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं लेकिन अब विश्व के अन्य देशों में भी सोने एवं चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है जिसके कारण दाम भी बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। जिसकी कभी कल्पना लोगों ने नहीं की थी। वर्तमान स्थिति को देखते हुए दुनिया भर के सेंट्रल बैंक गोल्ड खरीद रहे हैं। चीन, रूस और तुर्की ने पिछले कुछ महीनों में अपने भंडारों में हजारों टन सोना जोड़ा है। भारत ने भी पिछले 10 महीनो में सोने के स्टॉक को बढ़ाया है। यह संकेत है, डॉलर आधारित मौद्रिक व्यवस्था पर दुनिया के सभी देशों का भरोसा कम होता जा रहा है। कुछ अर्थशास्त्रियों का तो मानना है, अगर यह रुझान आगे भी जारी रहा, तो आने वाले दशक में सोना फिर से वैश्विक वित्तीय व्यवस्था मे लेन-देन का आधार बन सकता है। हर तेजी के पीछे जोखिम भी छिपा होता है। सोने और चांदी के दाम जिस तेजी के साथ बढ़ रहे हैं उसको लेकर जोखिम भी लगातार बढ़ता चला जा रहा है। फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है, रूस यूक्रेन अमेरिका चीन इजरायल या गाजा के हालात सुधरते हैं ऐसी स्थिति में सोने-चांदी के दामों में गिरावट भी आ सकती है। निवेशकों के लिए यह समय बेहद सतर्कता के साथ निवेश करने का है। छोटे निवेशकों को अंधी दौड़ से बचना होगा। छोटे निवेशक अपने धन को कई स्थानों पर और कई तरह से निवेश करें ताकि एक जगह पर नुकसान होता है, तो दूसरी जगह वह सुरक्षित रह सकें। आज की स्थिति बता रही है, सोना और चांदी अब सिर्फ धातु और आभूषण नहीं हैं, ये दोनों धातु अब वैश्विक स्तर पर रणनीति के रूप में इस्तेमाल की जा रही हैं। वर्तमान में डिजिटल करेंसी और डॉलर की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले 80 सालों से डॉलर और विभिन्न देशों की मुद्राओं को लेकर जो विश्वास बना था वह विश्वास खत्म होता जा रहा है। उसका स्थान अब सोना और चांदी ले रहे हैं। एक बार फिर मानव सभ्यता उसी धातु की ओर लौट रही है। हजारों सालों तक अर्थव्यवस्था को सोने एवं चांदी ने स्थिरता दी है। यही समय है, “ट्रेड वॉर के इस युग में, असली विजेता वही देश होगा, जिसके पास पर्याप्त मात्रा में सोना और चांदी उपलब्ध होगा। जिस देश के पास जितना सोना और चांदी होगी, उसी मूल्यांकन के आधार पर ही दुनिया में उसकी मुद्रा का मूल्यांकन होगा। लेन-देन में वही मुद्रा स्वीकार की जाएगी, जिसके भंडार में सोने और चांदी का भंडार होगा। आम लोगों को भी अपनी सोच में परिवर्तन लाना पड़ेगा। सोना एवं चांदी एक सुरक्षा कवच है। सुरक्षा के लिए सोने चांदी का निवेश आवश्यक है। आम लोग अपनी कमाई की बचत का एक हिस्सा सोने चांदी के रूप में भी निवेश करें। ताकि कठिन समय पर सुरक्षा कवच के रूप में परिवार को आर्थिक रूप से सक्षम बना सके। जिस तरह से सोने-चांदी का व्यापार रणनीति के रूप में किया जा रहा है। इसमें मांग और आपूर्ति के अनुसार कीमतें बड़ी तेजी के साथ कम ज्यादा होती हैं। ऐसी स्थिति में आम आदमी को अपनी जरूरत के अनुसार कई स्थानों पर, कई तरह से निवेश करते हुए अपने आप को सुरक्षित रखना होगा। वर्तमान उथल-पुथल को देखते हुए यही कहा जा सकता है। एसजे/ 25 अक्टूबर/2025