भारत में तकनीक और नवाचार के नाम पर कई बार ऐसी जीजें प्रचलन में आ जाती हैं जो दिखने में साधारण और बड़े काम की लगती हैं, लेकिन आगे चलकर वो समाज के लिए गंभीर खतरा बन जाती हैं। “कार्बाइड गन” इसका ताज़ा उदाहरण है। मूल रूप से यह गन पक्षियों और जानवरों को भगाने के लिए उपयोग में लाई जातीं थीं। दीपावली के अवसर पर हाल के दिनों में यह गन मासूम बच्चों और आम नागरिकों की जान और आंखों की रोशनी छीनने का कारण बन रही हैं। दीपावली के अवसर पर देशभर में इस कार्बाइड गन को जिस तरह से पटाखे के रूप में उपयोग किया गया है। बच्चों और आम नागरिकों के हाथ में यह गन थी। भीड़भाड़ वाले इलाकों में इसका उपयोग किया गया। उसके कारण दिल्ली, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, सहित कई राज्यों में हजारों लोगों की आंखों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे सेकड़ों लोग स्थाई रूप से अंधे हो गए हैं। हजारों लोग अस्पताल में आंखों का इलाज करा रहे हैं। इस कार्बाइड गन को लोगों ने जुगाड़ से भी तैयार किया। जब इसे उपयोग में लाया गया, तो सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई कई घटनाओं के बाद सरकार ने इसे घातक घोषित करते हुए, प्रदेश में कार्बाइड गन पर प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस गन को “घातक विस्फोटक उपकरण” की श्रेणी में रखा गया है। सरकार ने यदि कोई भी व्यक्ति इस गन को बनाता, खरीदता या बेचता है तो उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट 1959, विस्फोटक अधिनियम 1884 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 के तहत कठोर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नियम में जो परिवर्तन किया गया है, उसके बाद कार्बाइड गन बेचने वालों को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी। यह सख्त कदम समय की मांग थी। मध्य प्रदेश सरकार ने तत्काल कार्यवाही करते हुए इस पर रोक लगाने का काम किया। कार्बाईड गन से भोपाल, होशंगाबाद, बैतूल और जबलपुर जैसे जिलों में गनों से किए गए विस्फोट के कारण बच्चों की आंखें जलने और किए गए विस्फोट के कारण स्थायी अंधेपन के कई मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में 10 लोगों की आंखें पूरी तरह से खराब हुई है। इनमें से चार लोगों की सर्जरी की गई है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 150 लोग और पटना के 50 से अधिक लोग इस गन के विस्फोट से घायल हुए हैं। कार्बाइड गन प्लास्टिक के साधारण से पाइप में तैयार हो जाती है। गैस लाइटर, कैल्शियम और कार्बाइड से तैयार कर इसे आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है। कार्बाइड का उपयोग फलों को पकाने और औद्योगिक कार्यों के लिए उपयोग में होता है। जो सभी शहरों में आसानी से उपलब्ध है। यह गन 150 रुपए से लेकर 2000 रुपये तक में आसानी से देश भर में उपलब्ध थी। इस बार पटाखों की दुकानो और ऑनलाइन इस गन को बेचा गया है। सोशल मीडिया की इसमें बड़ी भूमिका थी। दीपावली के अवसर पर इसका बड़े पैमाने पर विस्फोटक के रूप में इस्तेमाल किया गया है। प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े और कार्बाइड धुयें के कारण हजारों लोगों की आंखों को नुकसान पहुंचा है। सैकड़ों लोगों की आखों की रोशनी चली गई हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर यह खतरनाक गन 1300 से 2500 रुपये में खुलेआम आज भी बिक रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस गन का उपयोग “खरगोश भगाने वाली गन” या “काबूम पाइप” जैसे नाम से होता है। सच्चाई यह है, इसमें उपयोग होने वाला कार्बाइड और पानी का मिश्रण गैस विस्फोट पैदा करता है। जो तेज आवाज़ के साथ खतरनाक आग और दबाव उत्पन्न करता है। जिसका असर काफी दूर तक होता है। इसी विस्फोट से बच्चों और किसानों के गंभीर रूप से झुलसने के कई मामले सामने आए हैं। मध्य प्रदेश सरकार का यह प्रतिबंध सराहनीय है। केवल आदेश जारी करना पर्याप्त नहीं होगा। आवश्यक है, जमीनी स्तर पर निगरानी रखी जाए। संपूर्ण देश में ऑनलाइन बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए। कार्बाइड गन बनाने और इसके उपयोग करने के लिए नियम तैयार किए जाएं। इसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय की बड़ी भूमिका होगी। पुलिस ओर साइबर टीम को सभी राज्यों में निगरानी के लिए सक्रिय करना होगा। ग्रामीण और शहरी स्कूलों में जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाए। यह गन कोई खिलौना या फटाका नहीं है। कार्बाइड गन एक विस्फोटक यंत्र है। भारत को इस तरह के खतरनाक आविष्कारों के खिलाफ सख्त निगरानी रखनी होगी। तकनीक तभी उपयोगी है, जब वह सभी के लिए सुरक्षित हो। वरना जिस तरह से कार्बाइड गन का उपयोग हुआ है, वह मानवता के लिए अभिशाप है। कार्बाइड गन पर प्रतिबंध सिर्फ एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि नागरिक सुरक्षा की दिशा में सरकार का बेहतर निर्णय माना जाएगा। सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को इस मामले में गंभीरता से कार्यवाही करने की जरूरत है। ईएमएस / 26 अक्टूबर 25