 
                            नई दिल्ली (ईएमएस)। क्या आप सोच सकते हैं कि सोशल मीडिया पर चल रहा साधारण-सा ग्रुप, बड़े आतंकी हमले की तैयारी में लगा हुआ था? जी हां, दिल्ली पुलिस ने इसतरह के एक ग्रुप का भांडा फोड़ किया है। इस ग्रुप का नाम है ‘सावत-अल-उम्माह’ है। सुनने में ये धार्मिक लोगों का ग्रुप लगता है। लेकिन यह कोई साधारण ग्रुप नहीं था। यह एक जाल था जो सीरिया से चलाए जा रहे भर्ती कर्ताओं ने बिछाया था। जिसका सीधा मकसद? भारतीय युवाओं को जिहाद की आग में झोंकना। बीते कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर ग्रुप सक्रिय हुए थे। जिसमें जिहादी वीडियो, प्रचार सामग्री और धार्मिक उन्माद की आग भड़काने वाले संदेश प्रसारित हो रहे थे। एक दिन इस ग्रुप में चार नए सदस्यों की एंट्री हुई। वे धीरे-धीरे बातचीत करने लगे और अपना विश्वास जमाते रहे। अचानक कुछ चुनिंदा सदस्यों को एक नए सिंगल ग्रुप की इनवाइट भेजी गई। यहां सदस्य कम थे, लेकिन इसी ग्रुप में असली प्लानिंग चल रही थी। पता चला कि खुफिया एजेंसियों के कुछ जासूस पहले से ही ग्रुप में शामिल हो चुके थे। वे चुपचाप निगरानी कर रहे थे। शुरुआत में ग्रुप सिर्फ धार्मिक प्रचार कर रहा था, लेकिन धीरे-धीरे बातें ऑपरेशन तक पहुंच गईं। एजेंटों ने देखा कि सदस्यों को कहा जा रहा है कि वे त्यौहरों के दौरान दिल्ली में भीड़-भाड़ वाली जगहों पर हमला करें। सीरिया में बैठा हैंडलर लगातार आदेश दे रहा था। आरोपियों ने बम बनाने के सामान जुटाना शुरू किया। पुलिस को जो सबूत मिले, उनसे उनकी आंखें फटी रह गईं। जाहिर था, यह साजिश किसी बड़े खून-खराबे की तरफ इशारा कर रही थी। दिल्ली पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पहले पुलिस ने अदान नाम के संदिग्ध को पकड़ा गया। जैसे ही यह खबर फैली, बाकी सदस्य घबरा गए। उन्होंने ग्रुप्स डिलीट किए, आईडी मिटा दीं और सबूतों को मिटाने की कोशिश। लेकिन तब तक पुलिस ने डिलीटेड मटेरियल रिकवर कर लिया। पुलिस ने दो मुख्य आरोपियों के अलावा चार और लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इसमें से दिल्ली के दो युवक गवाह बने है। आशीष/ईएमएस 27 अक्टूबर 2025