राज्य
28-Oct-2025
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- गोयनका बनाम पाठक: जबलपुर के जंगल में तेंदुए की मौत से उठा सियासी तूफान - सीबीआई जांच की मांग, कारोबारी बोले, भाजपा विधायक के इशारे पर रची गई साजिश जबलपुर (ईएमएस)। मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में निसर्ग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के मालिक और खनन कारोबारी महेंद्र गोयनका और भाजपा विधायक संजय पाठक के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। सिहोरा वन परिक्षेत्र के घुघरा जंगल में एक तेंदुए और चार जंगली सूअरों के शव जमीन में दफन मिलने के बाद मामला गर्मा गया। वन विभाग ने जांच शुरू की तो खुलासा हुआ कि तेंदुए की मौत करंट लगने से हुई और उसके 18 नाखून व 4 दांत निकाल लिए गए। इस खुलासे के बाद गोयनका ने दावा किया कि पूरी कार्रवाई उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत की जा रही है और उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है। महेंद्र गोयनका ने आरोप लगाया कि “जमीन मेरी जरूर है, लेकिन मैं पिछले तीन साल से जबलपुर नहीं गया हूं। यह सब भाजपा विधायक संजय पाठक के इशारे पर कराया गया है। उन्होंने कहा कि मैं शुद्ध शाकाहारी हूं, शिकार तो दूर मैं ऐसे काम की कल्पना भी नहीं कर सकता।” गोयनका का कहना है कि विधायक संजय पाठक कटनी में आयोजित इन्वेस्टर्स मीट की सफलता से घबरा गए हैं। “वह नहीं चाहते कि जबलपुर या कटनी में कोई और बड़ा निवेशक आए। सत्ता और ताकत के बल पर वह कारोबारियों को डराने का काम करते हैं। उनके लिए भय और भ्रष्टाचार ही राजनीति का जरिया बन गया है।” भाजपा विधायक संजय पाठक की भूमिका इस विवाद के केंद्र में संजय पाठक, कटनी से भाजपा विधायक और प्रदेश के प्रभावशाली नेता हैं। पाठक का नाम पहले भी खनन से जुड़े कई मामलों में विवादों में रहा है। गोयनका का आरोप है कि खनिज क्षेत्र में निवेश रोकने और अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए संजय पाठक राजनीतिक दबाव और “गुंडागर्दी” का इस्तेमाल करते हैं। गोयनका ने कहा, “आदिवासी जमीन घोटाला, सहारा प्रकरण और एक्सेस माइनिंग विवाद जैसे कई मामलों में खुद संजय पाठक पर गंभीर आरोप हैं। अब अपने कृत्यों से ध्यान भटकाने के लिए उन्होंने मेरे खिलाफ यह षड्यंत्र रचा है।” हालांकि, जब इस मामले पर भाजपा विधायक संजय पाठक से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। तेंदुए की मौत पर वन विभाग की जांच वन विभाग के डीएफओ ऋषि मिश्र ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक तेंदुए की मौत बिजली के करंट से हुई थी। शव से नाखून और दांत निकाल लिए गए, जिससे शिकार की संभावना मजबूत होती है। शवदाह के बाद टाइगर स्ट्राइक फोर्स को जांच सौंपी गई है। यह टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिकारियों को पकड़ने में विशेषज्ञ मानी जाती है। मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है — कंपनी मैनेजर अनुराग द्विवेदी, जेसीबी ऑपरेटर बृजेश विश्वकर्मा और कर्मचारी मोहित दहिया। वहीं, लापरवाही के लिए दो वनकर्मियों को निलंबित किया गया है। जेसीबी से गड्ढा खुदवाकर शव गाड़े गए जांच में सामने आया कि फार्म हाउस परिसर में जंगली सूअर और तेंदुए को करंट लगाकर मारा गया और सबूत मिटाने के लिए जेसीबी से गड्ढा खोदकर शव दफनाए गए। सूचना मिलने पर वन विभाग ने खुदाई कर शव बरामद किए। डॉग स्क्वॉड और टाइगर स्ट्राइक फोर्स की टीम क्षेत्र में सर्चिंग कर रही है। जांच के दौरान सीसीटीवी कैमरों का डीवीआर जलाया गया, जिससे वन विभाग को आशंका है कि सबूत मिटाने की कोशिश हुई है। गोयनका बोले – “साजिश का सच सामने लाना जरूरी” महेंद्र गोयनका ने कहा, “मेरी जमीन पर ना कोई पार्टी होती है, ना मैं वहां गया हूं। सिहोरा में कभी तेंदुए नहीं दिखे, फिर शिकार कैसे हुआ?” उनका आरोप है कि “संभव है, कुछ वनकर्मी विधायक के दबाव में आकर वहां शव फेंक गए हों।” उन्होंने मुख्यमंत्री से उच्च स्तरीय जांच या CBI जांच की मांग दोहराई है ताकि सच्चाई सामने आ सके। राजनीतिक साजिश या पर्यावरणीय अपराध? जबलपुर का यह मामला अब केवल वन्यजीव अपराध का नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संघर्ष का रूप ले चुका है। एक ओर भाजपा विधायक पर सत्ता के दुरुपयोग और “भय की राजनीति” के आरोप हैं, वहीं दूसरी ओर वन विभाग की कार्रवाई पर पक्षपातपूर्ण जांच के आरोप लग रहे हैं। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव इस प्रकरण की जांच किस स्तर पर करवाते हैं — क्या यह मामला CBI तक पहुंचेगा या राज्य की एजेंसियां ही इसका सच उजागर कर पाएंगी।