राष्ट्रीय
30-Oct-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। 50 रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में एक टीटीई जीतेजी खुद को निर्दोष सावित नहीं कर पाए। अब सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत के आरोप में दोषी ठहराए गए ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर (टीटीई) को आखिरकार बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया, लेकिन न्याय की यह जीत 37 साल बाद आई जब टीटीई इस दुनिया में नहीं रहे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा। साथ ही, टीटीई के कानूनी उत्तराधिकारियों को तीन महीने के भीतर सभी आर्थिक लाभ, पेंशन और बकाया राशि देने के आदेश दिए गए हैं। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने पाया कि कैट यानी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल का आदेश सही था, जिसमें टीटीई को बर्खास्त करने और नौकरी बहाल करने की बात कही गई थी।हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने साल 2017 में कैट के इस साल 2002 के आदेश को पलट दिया था। अब 2025 सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया है। बेंच ने कहा, जुर्माने का आदेश रद्द करने का कैट का आदेश पूरी तरह से सही था। उन्होंने कहा कि कर्मचारी के खिलाफ सभी आरोप साबित नहीं हुए थे। आरोप थे कि टीटीई ने बर्थ देने के बदले 3 यात्रियों से 50 रुपये की रिश्वत ली थी। कोर्ट ने पाया कि एक यात्री की जांच नहीं हुई। वहीं, दो अन्य ने आरोपों का समर्थन नहीं किया। 2002 में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए टीटीई की बहाली का आदेश दिया। कैट ने माना कि आरोप पूरी तरह साबित नहीं हुए। लेकिन रेलवे ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। 2017 में हाईकोर्ट ने कैट के आदेश को पलट दिया और बर्खास्तगी बहाल रखी। इस बीच, टीटीई की मृत्यु हो गई। उनके उत्तराधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। बता दें कि घटना 31 मई 1988 की है। मध्य रेलवे में कार्यरत टीटीई पर रेलवे विजिलेंस टीम ने अचानक छापा मारा। आरोप लगा कि उन्होंने तीन यात्रियों से बर्थ आवंटन के बदले 50 रुपये रिश्वत ली। जांच में उनके पास 1254 रुपये अतिरिक्त नकदी मिली और ड्यूटी कार्ड पास में जालसाजी का भी शक जताया गया। 1989 में विभागीय चार्जशीट जारी हुई। 1996 में जांच पूरी होने पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। वीरेंद्र/ईएमएस/30अक्टूबर2025 ------------------------------------