क्षेत्रीय
31-Oct-2025
...


- बोले, “सीखने की यही सबसे उपयुक्त उम्र” - रोजगार कौशल जागरूकता के तहत तीन दिवसीय शिल्प कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न गुना (ईएमएस) | भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय एवं विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) सेवा केंद्र, ग्वालियर द्वारा जिला जूनियर रेडक्रॉस के तत्वाधान मे सरस्वती शिशु मंदिर, महावीरपुरा, गुना में रोजगार कौशल के अंतर्गत आयोजित तीन दिवसीय शिल्प प्रदर्शन सह जागरूकता कार्यशाला का आज सफल समापन हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल रहे, जबकि विशिष्ट अतिथियों में महेंद्र सिंह रघुवंशी, राजेश गोयल (जिला शिक्षा अधिकारी) एवं अजीत कुमार (एच.पी.ओ.) शामिल रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. एल. के. शर्मा ने की। मंचासीन अतिथियों का स्वागत प्रताप नारायण मिश्रा, नीतेश कुमार जैन एवं जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट द्वारा किया गया। प्रशिक्षकों को मंचासीन अतिथियों द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में डॉ. सतीश चतुर्वेदी, चन्देश जैन, आलोक जैन, आशीष मंगल, नर्मदा शंकर भार्गव (भारतीय सोसायटी), श्रीमती मृदुला सक्सेना एवं श्रीमती राखी नामदेव सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कार्यशाला में जिले के विभिन्न शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों के जूनियर रेडक्रॉस, स्काउट-गाइड, एन.सी.सी. एवं एन.एस.एस. के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट, जिला काउंसलर, जूनियर रेडक्रॉस गुना द्वारा किया गया। समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि कलेक्‍टर श्री किशोर कुमार कन्याल सबसे पहले बच्चों द्वारा लगाए गए स्टॉलों पर पहुँचे, जहाँ उन्होंने मिट्टी, जूट और जरी से बने आकर्षक हस्तशिल्प उत्पादों को देखा और बच्चों के कार्य की सराहना की। इस दौरान उन्होंने स्वयं भी मिट्टी का दिया बनाकर विद्यार्थियों का उत्साह बढ़ाया। इसके पश्चात मंचीय कार्यक्रम हुए, जिसमें स्वागत-अभिनंदन के बाद अपने उद्बोधन में श्री कन्याल ने कहा “सीखने के लिए एक मिनट भी काफी होता है; पढ़ने से ज्ञान और ज्ञान से समझ विकसित होती है।” उन्होंने स्व-सहायता समूहों द्वारा संचालित जिज्जि की पंचायत, गुलाब खेती, कंप्यूटर प्रशिक्षण तथा अन्य स्वरोजगार के अवसरों की जानकारी दी। उन्होंने “विकसित भारत” के संकल्प को साकार करने हेतु युवाओं को कौशल विकास एवं आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने का संदेश दिया। संवाद के दौरान उन्होंने कहा “सीखने की सबसे सही उम्र यही है, और जो व्यावहारिक ज्ञान हम सीखते हैं, वही जीवन में सबसे अधिक उपयोगी सिद्ध होता है।” सीताराम नाटानी (ईएमएस)