 
                            नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली, मुंबई हो यहां लखनऊ-इंदौर शाम होते ही आपको सड़क किनारे चाट-पकौड़ों के ठेलों पर चाट शौकीनों की भीड़ लग जाती है। इन ठेलों पर लगी भीड़ चटपटे चाट का जमकर स्वाद लेती है। लेकिन, आने वाले में चटपटे चाट का जायका बिगड़ने वाला है। दरअसल केंद्र सरकार ने टिक्की, चाट, पकौड़े और समोसे में इस्तेमाल होने वाली सबसे खास चीज पर आयात शुल्क लगाया है, वह भी पूरे 30 फीसदी जो 1 नवंबर से लागू होगा। दरअसल, मोदी सरकार ने पीली मटर के आयात पर एक नवंबर से 30 प्रतिशत शुल्क लगाया है। हालांकि, 31 अक्टूबर या उससे पहले के बिल वाली खेप को अभी भी शून्य शुल्क के साथ आयात किया जाएगा। पीली मटर पर अभी तक कोई शुल्क नहीं लगता था, लेकिन 1 नवंबर से एकमुश्त 30 फीसदी का टैक्स लगने से इसकी खपत और आयात पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा। कारोबारी जब बाहर से महंगी कीमत पर मटर मंगाएगा तब स्वाभिक हैं कि खुदरा बाजार में भी इसके रेट पर असर पड़ेगा, जो आखिरकार उपभोक्ताओं की थाली तक जाएगा। भारत में पीली मटर की गिनती दलहनी फसलों में की जाती है। इसका उत्पादन बेहद सीमित होने की वजह से ज्यादातर पीली मटर आयात होती है। दलहन उत्पादन पर जोर दिए जाने के बाद पिछले 5 से 6 साल में कुछ बढ़ोतरी हुई है, लेकिन आज भी कुल दलहनों में इसकी मात्रा बेहद सीमित है। देश में कुल दलहन का उत्पादन साल 2024 में करीब 2.45 करोड़ टन रहा, जबकि पीली मटर का उत्पादन आंकड़ा 12 से 15 लाख टन के आसपास रहा। कुल दलहन की खपत भी देश में 2.7 करोड़ है, जिससे 25 लाख टन दाल का हर साल आयात करना पड़ता है। भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर पीली मटर कनाडा और रूस से मंगाता है। चूंकि, देश में पीली मटर को चने के विकल्प के रूप में इस्तेमाल होता है, लिहाजा इसके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे दी है। वित्तवर्ष 2023-24 में 20 लाख टन पीली मटर का आयात किया था। पिछले साल यह 30 लाख टन पहुंच गया था! उत्पादन में पीली मटर की हिस्सेदारी भले ही नगण्य हो, लेकिन आयात में इसका हिस्सा 30 फीसदी के आसपास रहा है। आशीष दुबे / 31 अक्टूबर 2025