मनोरंजन
02-Nov-2025
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मुंबई (ईएमएस)। बालीवुड एक्टर यूसुफ हुसैन की मौजूदगी फिल्म की स्क्रीन पर चाहे कुछ मिनटों की हो, लेकिन असर दिल में हमेशा के लिए रह जाता था। एक्टर यूसुफ ने कभी नहीं सोचा था कि कारोबार की दुनिया से निकलकर वह कैमरे के सामने आ जाएंगे। उन्होंने फिल्मों में छोटे-छोटे किरदारों से शुरुआत की, लेकिन उनकी सादगी भरी अदाकारी ने दर्शकों और निर्देशकों दोनों का दिल जीत लिया। ‘दिल चाहता है’ में आमिर खान के पिता की भूमिका में उनका अपनापन दर्शकों को खूब भाया, तो वहीं ‘धूम 2’ में ऋतिक रोशन के साथ उनके सीन ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया। यूसुफ हुसैन ने ‘ओएमजी: ओह माय गॉड’ में जज का किरदार निभाया, ‘रईस’ में शाहरुख खान के साथ नजर आए और ‘कृष 3’ में साइंस-फिक्शन की दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। हर फिल्म में उन्होंने ऐसा कुछ छोड़ा, जो कहानी को और गहराई दे गया। फिल्मों के साथ-साथ उन्होंने टीवी की दुनिया में भी अपनी जगह बनाई। उनकी सहज अभिनय शैली और सच्चे भावों ने उन्हें हर पीढ़ी के दर्शकों के करीब ला दिया। लेकिन यूसुफ हुसैन सिर्फ एक अच्छे अभिनेता नहीं थे — वह एक अच्छे इंसान और प्रेरणा देने वाले पिता जैसे शख्स भी थे। उनके जीवन की सबसे प्रेरक कहानी उनके दामाद और फिल्म निर्देशक हंसल मेहता से जुड़ी है। जब हंसल मेहता की फिल्म ‘शाहिद’ पैसों की कमी के कारण अधर में अटक गई थी, तो यूसुफ हुसैन ने आगे बढ़कर न सिर्फ आर्थिक बल्कि भावनात्मक सहारा दिया। उन्होंने अपनी जमा पूंजी में से एक फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़कर हंसल मेहता को चेक दिया, ताकि फिल्म पूरी हो सके। यह कदम सिर्फ एक आर्थिक मदद नहीं था, बल्कि विश्वास का प्रतीक था एक पिता के उस भरोसे का, जिसने एक कलाकार का करियर डूबने से बचा लिया। ‘शाहिद’ पूरी हुई, सफल भी रही, और इसी फिल्म के लिए हंसल मेहता को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। 30 अक्टूबर 2021 को यूसुफ हुसैन इस दुनिया से विदा हो गए, लेकिन उन्होंने जो काम, अपनापन और विश्वास की मिसाल छोड़ी, वह हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। यूसुफ हुसैन ने साबित किया कि सच्चा कलाकार वह नहीं जो सिर्फ पर्दे पर अभिनय करे, बल्कि वह जो जीवन में भी इंसानियत का किरदार निभाए। सुदामा/ईएमएस 02 नवंबर 2025