नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारत ने अंतरिक्ष से अपनी समुद्री सीमाओं की निगरानी और संचार क्षमताओं को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय नौसेना के लिए सीएमएस-03 (जीएसएटी-7आर) कम्युनिकेशन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इसे ‘बाहुबली रॉकेट’ यानी जीएसएलवी एमके-III के जरिए आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से शनिवार शाम 5:26 बजे छोड़ा गया। यह सैटेलाइट भारतीय नौसेना का अब तक का सबसे उन्नत और शक्तिशाली संचार उपग्रह है। इसके माध्यम से नौसेना को स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन और मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस (समुद्री इलाके की निगरानी) में बड़ी मजबूती मिलेगी। जीएसएटी-7आर के ज़रिए नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों, एयरक्राफ्ट और ऑपरेशन सेंटर्स के बीच अब तेज, सुरक्षित और निर्बाध संचार संभव होगा। इसरो अधिकारियों के अनुसार, यह सैटेलाइट पूरी तरह भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया है। इसका वजन लगभग 4400 किलोग्राम है, जो इसे देश का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट बनाता है। इसमें कई देशी तकनीक आधारित मॉड्यूल लगाए गए हैं, जिन्हें खासतौर पर नौसेना की रणनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण के साथ भारत ने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसएटी-7आर के सक्रिय होने के बाद भारतीय नौसेना की समुद्री सीमा सुरक्षा, मिसाइल ट्रैकिंग और रियल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। इस उपलब्धि के साथ इसरो ने एक बार फिर साबित कर दिया, कि भारत न केवल अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भर है, बल्कि अब वह अपनी रक्षा जरूरतों के लिए स्पेस से रणनीतिक बढ़त हासिल करने की दिशा में भी अग्रसर है। हिदायत/ईएमएस 02नवंबर25